सैलरी से ज्यादा पेंशन, ऐसी कौन सी नौकरी करती थीं माधबी बुच? SEBI चीफ पर कांग्रेस का नया हमला
पवन खेड़ा ने पूछा है कि अगर साल 2007-2008 से 2013-14 तक की माधबी पुरी बुच की औसत सैलरी निकाली जाए, जब वह ICICI में थीं, तो वह करीब 1.30 करोड़ रुपए थी। लेकिन माधबी पुरी बुच की पेंशन का औसत 2.77 करोड़ रुपए है। ऐसी कौन सी नौकरी है, जिसमें पेंशन.. सैलरी से ज्यादा है।
कांग्रेस ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर नया हमला बोला है और पूछा है कि आखिर वो कौन सी नौकरी करती थीं, जिसमें उन्हें सैलरी से ज्यादा पेंशन मिलती है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में आरोप लगाया कि सेवानिवृति के बाद भी ICICI बैंक ने माधबी पुरी बुच को वित्तीय लाभ पहुंचाया जो हितों का टकराव है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर 2014-15 में माधबी पुरी बुच और ICICI के बीच सेटलमेंट हो गया था और 2015-16 में उन्हें ICICI से कुछ नहीं मिला तो 2016-17 में पेंशन फिर से क्यों शुरू हो गई?
उन्होंने सैलरी से ज्यादा पेंशन मिलने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने पूछा है कि अगर साल 2007-2008 से 2013-14 तक की माधबी पुरी बुच की औसत सैलरी निकाली जाए, जब वो ICICI में थीं, तो वह करीब 1.30 करोड़ रुपए थी। लेकिन माधबी पुरी बुच की पेंशन का औसत 2.77 करोड़ रुपए है। ऐसी कौन सी नौकरी है, जिसमें पेंशन.. सैलरी से ज्यादा है।
कांग्रेस की तरफ से एक ट्वीट में पवन खेड़ा की बात दोहराई गई है, जिसमें कहा गया है," हमने कल के खुलासे में नरेंद्र मोदी, माधबी पुरी बुच और ICICI बैंक से सवाल पूछे थे। अब इस शतरंज के खेल के एक मोहरे यानी ICICI बैंक का खुलासे पर जवाब आया है। जब माधबी पुरी बुच ICICI से रिटायर हुईं तो.. 2013-14 में उन्हें 71.90 लाख रुपए की ग्रेच्युटी मिली। 2014-15 में उन्हें 5.36 करोड़ रुपए रिटायरमेंट कम्यूटेड पेंशन मिली। लेकिन अगर 2014-15 में माधबी पुरी बुच और ICICI के बीच सेटलमेंट हो गया था और 2015-16 में उन्हें ICICI से कुछ नहीं मिला तो फिर 2016-17 में पेंशन फिर से क्यों शुरू हो गई?"
इसके आगे कहा गया है, “अब अगर साल 2007-2008 से 2013-14 तक की माधबी पुरी बुच की औसत सैलरी निकाली जाए, जब वो ICICI में थीं, तो वो करीब 1.30 करोड़ रुपए थी। लेकिन माधबी पुरी बुच की पेंशन का औसत 2.77 करोड़ रुपए है। ऐसी कौन सी नौकरी है, जिसमें पेंशन.. सैलरी से ज्यादा है। उम्मीद है कि माधबी पुरी बुच जवाब देंगी कि 2016-17 में तथाकथित पेंशन फिर से क्यों शुरू हो गई थी? ध्यान रहे कि 2016-17 में माधबी पुरी बुच की 2.77 करोड़ रुपए की पेंशन तब फिर से शुरू हुई, जब वो SEBI में Whole time member बन चुकी थीं।”
दरअसल, निजी क्षेत्र के ICICI बैंक ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की तरफ से सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच पर लगाए गए आरोपों पर सोमवार को कहा था कि उसने अक्टूबर, 2013 में बुच की सेवानिवृत्ति के बाद से उन्हें कोई भी वेतन या ईएसओपी नहीं दिया है। इससे पहले कांग्रेस ने आरोप लगाया कि वर्ष 2017 में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का सदस्य बनने वालीं बुच ने वेतन और अन्य पारिश्रमिक के तौर पर ICICI बैंक से 16.8 करोड़ रुपये हासिल किए थे।
कांग्रेस ने कहा है कि सेबी चेयरमैन को 2017 से ICICI समूह की तरफ से 16.8 करोड़ रुपये मिले हैं, जो उन्हें बाजार नियामक से मिली आय का 5.09 गुना है। इस आरोप पर बैंक ने बयान में कहा, "ICICI बैंक या इसकी समूह कंपनियों ने माधबी पुरी बुच को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद उनके सेवानिवृत्ति लाभों के सिवाय कोई वेतन या कोई ईएसओपी (कर्मचारी शेयर विकल्प योजना) नहीं दिया गया है। यह ध्यान देने योग्य है कि उन्होंने 31 अक्टूबर, 2013 से प्रभावी सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना था।’’ ICICI समूह में अपने कार्यकाल के दौरान बुच को बैंक की नीतियों के अनुरूप वेतन, सेवानिवृत्ति लाभ, बोनस और ईएसओपी के रूप में पारिश्रमिक मिला। (भाषा इनपुट्स के साथ)
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