Assembly Elections Schedule: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव का ऐलान, एक साथ 4 अक्टूबर को आएंगे परिणाम
- जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में मतदान होगा, जबकि हरियाणा में एक ही राउंड में वोटिंग होगी। दोनों के चुनाव नतीजे एक साथ ही 4 अक्टूबर को घोषित होंगे। 18 सितंबर को पहले राउंड का मतदान होगा। दूसरे राउंड की वोटिंग 25 सितंबर और तीसरे राउंड की वोटिंग 1 अक्टूबर को कराई जाएगी। इसी दिन हरियाणा में वोटिंग होगी।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है। निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इलेक्शन का शेड्यूल बताया। जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में मतदान होगा, जबकि हरियाणा में एक ही राउंड में वोटिंग होगी। दोनों के चुनाव नतीजे एक साथ ही 4 अक्टूबर को घोषित होंगे। जम्मू-कश्मीर में पहले राउंड के लिए नोटिफिकेशन 20 तारीख को होगा और 18 सितंबर को मतदान होगा। दूसरे राउंड की वोटिंग 25 सितंबर और तीसरे राउंड की वोटिंग 1 अक्टूबर को कराई जाएगी।
अब हरियाणा की बात करें तो यहां एक ही राउंड में 1 अक्टूबर को मतदान होगा और 4 तारीख को ही जम्मू-कश्मीर के साथ ही नतीजे आएंगे। हरियाणा में मतदाताओं की अंतिम सूची 27 अगस्त को जारी हो जाएगी। राज्य में 2.1 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे। राज्य में कुल 20 हजार 629 पोलिंग बूथ होंगे। सीईसी राजीव कुमार ने कहा कि इस बार हम बहुमंजिला इमारतों में भी पोलिंग बूथ इस बार बनाएंगे। इसके अलावा स्लम इलाकों में भी ऐसा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत में ऐसा किए जाने की जरूरत थी, जिसका ध्यान रखा गया है। सभी बूथों में पानी, शौचालय, रैंप, वीलचेयर जैसी चीजों की व्यवस्था की जाएगी।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि कश्मीर के युवाओं में इलेक्शन को लेकर उत्साह है। उन्होंने कहा कि हम 20 अगस्त को जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची जारी की जाएगी। वहां आवाम तस्वीरें बदलते देखना चाहती है। जम्मू-कश्मीर में 11,838 पोलिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव को लेकर हम इस इंतजार में थे कि मौसम थोड़ा सुधर जाए। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 20 लाख युवा मतदान के लिए तैयार हैं। हमने 2024 के आम चुनाव में कश्मीर में चुनावी लोकतंत्र की बुनियाद बताई थी। अब उस पर इमारत तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सभी उम्मीदवारों को बराबर सुरक्षा दी जाएगी।
जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त, 2019 के बाद राजनीतिक स्थितियां भी बदली हैं। आर्टिकल 370 हटने और राज्य के पुनर्गठन के बाद जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया है। इसके अलावा अब यहां कुल 90 विधानसभा सीटें हैं। पहले यहां 87 सीटें होती थीं, जिनमें 4 सीटें लद्दाख की थीं। ऐसे में पुनर्गठन के बाद लद्दाख जब अलग केंद्र शासित प्रदेश बना तो जम्मू-कश्मीर में 83 सीटें ही बची थीं। फिर चुनाव आयोग ने परिसीमन के बाद 7 सीटों का इजाफा कर दिया और अब कुल 90 सीटें हैं। इनमें से कश्मीर क्षेत्र की 47 सीटें हैं। वहीं जम्मू में अब 43 सीटें हैं। इसके पहले कश्मीर में 46 सीटें हुआ करती थीं और जम्मू क्षेत्र में 37 सीटें होती थीं।
अब क्या है जम्मू-कश्मीर में सीटों का समीकरण
परिसीमन के बाद जम्मू इलाके में 6 विधानसभा सीटें बढ़ गईं और कश्मीर में भी एक सीट का इजाफा हुआ। जम्मू-कश्मीर में आखिरी 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे। इलेक्शन के बाद अप्रत्याशित बदलाव हुआ था। भाजपा और पीडीपी ने साथ मिलकर सरकार बनाई थी, जो पूरे 5 साल नहीं चल पाई। फिर 2019 आया तो राज्यपाल शासन के दौरान ही आर्टिकल 370 हट गया और फिर पुनर्गठन होने के बाद जम्मू-कश्मीर राज्य की बजाय केंद्र शासित प्रदेश बन गया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट 30 सितंबर तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का आदेश दिया है।
2019 में हरियाणा में कितनी सीटें जीती थी भाजपा
बता दें कि हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं, जिनमें से भाजपा के पास फिलहाल 40 विधायक ही हैं। निर्दलीयों के साथ वह सरकार चला रही है, लेकिन इस बार वापसी करने की चुनौती उसके सामने होगी। भाजपा ने 2014 में पहली बार हरियाणा में अपने दम पर सरकार बनाई थी और तब से लगातार दो बार सत्ता में रह चुकी है। चुनाव से कुछ महीने पहले ही उसका राज्य की सत्ता में शामिल रही जननायक जनता पार्टी से गठबंधन टूट चुका है, जो 2019 के विधानसभा इलेक्शन के बाद हुआ था। इस तरह लगातार तीसरी बार भाजपा अकेले ही चुनावी समर में उतरने जा रही है।
हरियाणा में लोकसभा चुनाव में 44 सीटों पर आगे थी भाजपा
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को राज्य की 10 में से 5 सीटों पर जीत मिली थी। विधानसभा के अनुसार देखें तो उसे कुल 90 में से 44 विधानसभाओं में बढ़त मिली थी। यही वजह है कि तीसरी बार भी भाजपा में सत्ता में बने रहने की उम्मीद के साथ चुनाव में उतरने जा रही है। वहीं कांग्रेस को उम्मीद है कि दो बार की हार के बाद इस बार माहौल उसके पक्ष में आ सकता है। हरियाणा में आमतौर पर एक ही राउंड में मतदान होता रहा है। इसकी वजह यह है कि हरियाणा छोटा राज्य है और सुरक्षा की चुनौतियां भी जम्मू-कश्मीर या फिर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों जैसी नहीं हैं।