पत्थरबाजों और राजनीतिक कैदियों को रिहा करवाएं, जम्मू-कश्मीर में जेडीयू का कैसा वादा?
- जम्मू-कश्मीर में जेडीयू ने वादा किया है कि वह पत्थरबाजों और राजनीतिक कैदियों की रिहाई का प्रयास करेगी। राज्य में जेडीयू प्रमुख ने कहा कि उन्होंने गृह मंत्रालय से भी निवेदन किया है।
केंद्र में बीजेपी ने भले ही जेडीयू समेत अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बना ली है। हालांकि उसके सहयोगियों की राय कई मामले में अलग ही नजर आती है। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर जेडीयू ने वादा किया है कि पत्थरबाजों और राजनीतिक कैदियों को रिहा कर दिया जाएगा। यह बात जेडीयू ने अपने घोषणापत्र में शामिल की है। 19 सितंबर को होने वाले पहले चरण के चुनाव में जेडीयू ने अपने दो प्रत्याशी उतारे हैं। वहीं जेडीयू का दावा है कि सिस्टम से असंतुष्ट कई प्रत्याशी दूसरे चरण (25 सितंबर) में उतरेंगे।
जेडीयू ने घोषणापत्र में कहा, राजनीतिक कैदियों और पत्थरबाजों के मामलों की समीक्षा की जाएगी और उनकी रिहाई में मदद की जाएगी ताकि क्षेत्र में शांति स्थापित हो सके। राज्य में पार्टी की इकाई का कहना है कि इसके लिए गृह मंत्रालय से भी आग्रह किया गया है कि पत्थरबाजों के मामले पर फिर से गौर किया जाए और उनकी रिहाई का रास्ता साफ किया जाए।
जेडीयू के राज्य में अध्यक्ष जीएम शाहीन ने कहा, हमें 840 ऐसे लोगों की जानकारी है जो कि पत्थरबाजी के आरोप में जेल में हैं। उनपर तब केस हुआ जब पीडीपी या फिर नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार थी। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले की सरकारें पैसे के लिए युवाओं को गिरफ्तार करवाती थीं। ऐसे में गृह मंत्रालय को उनके मामलों की समीक्षा करवानी चाहिए। शाहीन ने कहा, हमने अपने लोगों की रिहाई का वादा किया है।
पहले चरण में कश्मीर में, अनंतनाग, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां के चार जिलों के 16 विधानसभा क्षेत्रों में 155 उम्मीदवार चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। पहले चरण में सबसे ज्यादा 14 उम्मीदवार पुलवामा जिले के पंपोर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि सबसे कम तीन उम्मीदवार अनंतनाग जिले के श्रीगुफवारा-बिजबेहरा विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ रहे हैं।
प्रमुख उम्मीदवारों में अन्य के अलावा कांग्रेस कार्य समिति के वरिष्ठ सदस्य गुलाम अहमद मीर, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से मोहम्मद यूसुफ तारिगामी, पीडीपी युवा नेता वहीद पारा, पूर्व सांसद और नेशनल कांफ्रेंस नेता हसनैन मसूद, वरिष्ठ नेशन कांफ्रेंस नेता सकीना इटू, भारतीय जनता पार्टी के नेता सोफी यूसुफ और प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लाम के पूर्व सदस्य तलत मजीद शामिल हैं।
चुनावी पर्यवेक्षकों का मानना है कि कश्मीर में अधिकांश सीटों पर मुकाबला बहुकोणीय होने की उम्मीद है, क्योंकि सीटों के परिसीमन से नई जटिलताएं सामने आ रही हैं। इस चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस का गठबंधन है, जिसमें एनसी 51 सीटों और कांग्रेस 32 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि उन्होंनें दो सीटें अपनी सहयोगी माकपा और पैंथर्स पार्टी के लिए छोड़ी है। गठबंधन को पीडीपी और निर्दलीयों से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है।(वार्ता से इनपुट्स के साथ)