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Hindi Newsदेश न्यूज़Five years after Article 370 Jammu sees tectonic shift in mood in as unemployment corruption remain

जम्मू में आर्टिकल 370 से ज्यादा बड़ा मुद्दा अब बेरोजगारी, भाजपा कैसे जीतेगी भरोसा?

  • अनुच्छेद 370 हटने के पांच साल बाद जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के बीच लोगों के मूड में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद लोगों का उत्साह कम हो गया है और जम्मू के लोग रोजी-रोटी के मुद्दे उठा रहे हैं।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तानMon, 16 Sep 2024 11:07 AM
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5 अगस्त 2019 को जब बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को हटाया था तब लोगों ने इसका जश्न मनाया था। हालांकि पिछले पांच सालों में जम्मू में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। इसके लिए कई वजहों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इनमें बढ़ती बेरोजगारी, नौकरियों की कमी, सुविधाओं का अभाव और भ्रष्टाचार का बढ़ना जैसी समस्याएं शामिल हैं। लोगों का कहना है कि यहां असली मुद्दा भ्रष्टाचार और बेरोजगारी ही है।

यहां की एक सिख महिला राजन कौर कहती हैं, “लोगों का मूड काफी बदल गया है। पांच साल पहले जम्मू के लोगों को लगता था कि कुछ बहुत अच्छा होने वाला है लेकिन अब हकीकत सामने आ गई है। लोगों को लगता है कि उनकी नौकरियां और जमीनें उनसे छीनी जा रही हैं। अब वे इस तरह की बातें कर रहे हैं कि हमें यहां से कहीं जाना चाहिए।” वह कहती हैं, “लोग नौकरी चाहते हैं। रोटी, कपड़ा, मकान अभी भी आम आदमी के लिए बड़ी चिंता का कारण है। आप भावनात्मक नारों पर लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते।”

स्पेशल पुलिस ऑफिसर रुखसाना कौसर 14 साल पहले लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादी अबू ओसामा को मार गिराने और उसके सहयोगियों को भागने पर मजबूर करने के बाद सुर्खियों में आई थीं। उनका मानना ​​है कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद पिछड़े और पहाड़ी इलाकों को कोई बड़ी सुविधा नहीं मिली है। वह कहती हैं, “बेरोजगारी अभी भी एक समस्या है। पिछड़े इलाकों में लोग अभी भी गरीबी में जी रहे हैं। आतंकवाद जिसके बारे में हमने सोचा था कि वह फिर कभी सिर नहीं उठाएगा, जम्मू के लगभग सभी 10 जिलों में वापस आ गया है।” गौरतलब है कि मार्च 2023 में जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी दर 23.09% थी और जनवरी 2024 तक यह घटकर 18.3% हो गई लेकिन यह अभी भी राष्ट्रीय औसत से कहीं ज़्यादा है। जून 2024 में भारत में बेरोजगारी दर 9.2% थी।

जम्मू की अनदेखी

45 साल के कश्मीरी पंडित सुमित हखू कहते हैं कि अनुच्छेद 370 के हटने से क्षेत्र में अलगाववादियों और आतंकवादियों को खत्म करने की कोशिश हुई लेकिन पिछले पांच सालों में जम्मू को अनदेखा कर दिया गया। उन्होंने कहा “पूरा ध्यान कश्मीर पर रहता है। अब जम्मू की स्थिति देखें। आतंकवादी लगभग हर जिले में हैं जबकि कश्मीर लगभग शांत है। ऐसा लगता है कि जम्मू के लिए कोई प्लैन नहीं है।” वहीं 52 साल के बैंकर श्रेष्ठ शर्मा कहते हैं कि जम्मू में आम आदमी को टैक्स के मामले में मेट्रो शहरों के लोगों के बराबर लाया गया है लेकिन मेट्रो शहरों की प्रति व्यक्ति आय की तुलना में जम्मू की बहुत कम हैं। उन्होंने कहा कि शासन ऑनलाइन हो गया है, स्मार्ट बिजली मीटर और संपत्ति कर आदि शुरू किए गए हैं, राजस्व रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया गया है, लेकिन सुविधाएं खराब बनी हुई हैं। उन्होंने कहा, “पिछले पांच वर्षों में जम्मू नशेड़ियों का अड्डा बन गया है।”

‘10 सालों से कहां थी बीजेपी’

सरदार बलविंदर सिंह पिछले पांच सालों में जम्मू में पनप रहे खनन और शराब माफियाओं और बढ़ते भ्रष्टाचार पर निशाना साधते हैं। उन्होंने कहा, “आज बीजेपी 60,000 से ज्यादा दिहाड़ी मजदूरों को नियमित करने का वादा कर रही है। वे पिछले 10 सालों से कहां थे? यहां नौ से दस महीने के लिए नियुक्त होने वाले लेक्चरर को मात्र 28 हजार रुपये का वेतन मिलता है, जबकि लद्दाख में उन्हें 57,000 रुपये प्रति माह मिलते हैं।"

कई लोगों का मानना- आएं सकारात्मक बदलाव

हालांकि कई लोगों का मानना है कि 2019 के बाद सकारात्मक बदलाव भी आए हैं। वाल्मीकि समुदाय के एक युवा नेता गारू भट्टी ने कहा, "पिछले पांच साल हमारे लिए बड़े बदलाव लेकर आए हैं। हमारे बच्चे अब स्कूल जा रहे हैं और जो पढ़ाई छोड़ चुके थे उन्होंने फिर से पढ़ाई शुरू कर दी है। समुदाय की करीब 20 लड़कियां कानून की पढ़ाई कर रही हैं। इस साल एक युवक को जम्मू नगर निगम में जूनियर इंजीनियर के पद पर नियुक्त किया गया है।" भट्टी ने सकारात्मक विकास का श्रेय 370 के हटने और उसके बाद डोमिसाइल सर्टिफिकेट की शुरुआत को दिया। 65 साल पश्चिमी पाकिस्तान की शरणार्थी प्रीतम लाल ने भी डब्ल्यूपीआर की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में भारी बदलाव लाने के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की तारिफ की। उन्होंने कहा, "बीजेपी ने पिछले 70 सालों से हमारे साथ हो रहे भेदभाव को खत्म किया। पीएम मोदी ने हमें मौलिक अधिकार सुनिश्चित किए। उन्होंने हमें विधानसभा चुनावों में मतदान का अधिकार दिया। उन्होंने जम्मू में जमीनों के मालिकाना हक की घोषणा की जहां हम विभाजन के बाद 1947 से बसे हुए हैं।"

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