इन भगवानों को पूजते हैं काश पटेल, अमेरिकी घर में है बड़ा मंदिर; मामा ने बताया पूरा इतिहास
- कश्यप पटेल की पुष्टि सुनवाई के दौरान उन्होंने अपने माता-पिता का अभिवादन 'जय श्री कृष्णा' कहकर किया और सुनवाई समाप्त होते ही उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
फेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (एफबीआई) के प्रमुख के पद पर भारतीय मूल के काश पटेल की नियुक्ति लगभग तय है। इस संबंध में गुरुवार को अमेरिका के कैपिटल हिल में देर रात एक अहम सुनवाई हुई। काश पटेल ने अमेरिकी सीनेट न्यायिक समिति के समक्ष हुई अपनी पुष्टि सुनवाई में हिस्सा लिया। इस सुनवाई को गुजरात के विद्यानगर में उनके मामा प्रेमशरण अमीन ने परिवार के साथ लाइव देखा। अमीन ने कहा कि उनके भांजे की दृढ़ता कोई आश्चर्य की बात नहीं है और पूरा परिवार उनकी सफलता को लेकर उत्साहित है। यदि काश पटेल की पुष्टि होती है, तो वह अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (FBI) के निदेशक बनने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी और हिंदू होंगे। काश पटेल का पूरा नाम कश्यप पटेल है।
खुद के दम पर बनाई पहचान
69 वर्षीय प्रेमशरण अमीन वर्तमान में भारत दौरे पर हैं। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि काश पटेल पूरी तरह से 'सेल्फ मेड' हैं और उनके परिवार का भारत या अमेरिका में कोई राजनीतिक संबंध नहीं रहा है। उन्होंने बताया, "मैं और मेरी पत्नी रात 8 बजे से 1:40 बजे तक उनकी सुनवाई देखते रहे। कश्यप ने अपने करियर की शुरुआत मियामी-डेड में एक पब्लिक डिफेंडर के रूप में की, जहां वह नशीली दवाओं के मामलों में फंसे आरोपियों का बचाव करते थे। यहीं से उन्हें अमेरिकी न्याय प्रणाली की गहरी समझ मिली।"
उन्होंने आगे बताया, "बाद में, वह वाशिंगटन डीसी गए, जहां ओबामा प्रशासन ने उन्हें सुरक्षा और आतंकवाद-विरोधी मामलों पर कांग्रेस की चयन समिति के वरिष्ठ सलाहकार के रूप में नियुक्त किया। उनकी विशेषज्ञता आतंकवाद-विरोधी अभियानों में है और इस क्षेत्र में उनका अनुभव काफी व्यापक है।"
परिवार की परंपरा और भारतीय संस्कृति से जुड़ाव
कश्यप पटेल की पुष्टि सुनवाई के दौरान उन्होंने अपने माता-पिता का अभिवादन 'जय श्री कृष्णा' कहकर किया और सुनवाई समाप्त होते ही उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इस दौरान उनकी बहन निशा भी उनके समर्थन में मौजूद थीं। अमीन ने बताया, "कश्यप की माता अंजना और पिता प्रमोद भारत में छुट्टी मना रहे थे, जब उनकी पुष्टि सुनवाई की तारीख तय हुई। वे वडोदरा में अपने अपार्टमेंट में थे, लेकिन समय रहते अमेरिका लौट गए। निशा लंदन में रहती हैं, वह भी भी अपने भाई के इस बड़े मौके पर वहां मौजूद रहीं।"
उन्होंने यह भी बताया कि कश्यप भारतीय संस्कृति से गहरे रूप से जुड़े हुए हैं और अमेरिका में रहते हुए भी हिंदू परंपराओं का पालन करते हैं। उन्होंने बताया, "कश्यप पटेल का झुकाव शिव, हनुमान और गणेश की भक्ति की ओर है। वाशिंगटन डीसी में उनके अपार्टमेंट में एक अलग मंदिर का स्थान समर्पित है। हालांकि वह ‘काश’ नाम से पहचाने जाते हैं, लेकिन परिवार के लिए वह हमेशा ‘कश्यप’ ही रहेंगे।"
परिवार की जड़ें और अमेरिका में प्रवास
अमीन ने बताया कि कश्यप का परिवार मूल रूप से गुजरात के आणंद जिले से है, लेकिन उनके माता-पिता ने 1971 में इदी अमीन के सैन्य तख्तापलट के दौरान युगांडा से अमेरिका पलायन किया था। उन्होंने कहा, "प्रमोद पटेल युगांडा के जिन्जा शहर में अकाउंटेंट थे, लेकिन 1971 में वहां की राजनीतिक अस्थिरता के चलते वे कनाडा के रास्ते अमेरिका चले गए। 1977 में उन्होंने भारत आकर मेरी बहन अंजना से शादी की और फिर अमेरिका बस गए।"
अमीन ने आगे बताया कि उनका खुद का परिवार पहले तंजानिया के जांजीबार और टांगा में था, लेकिन उनकी बहन अंजना को भारत में पढ़ने के लिए भेजा गया था, जहां उन्होंने एमएस यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। उन्होंने कहा, "मैं 1985 में अमेरिका चला गया और बाद में मेरी मां और छोटा भाई भी वहां आ गए। अब पूरी फैमिली अमेरिका में ही बसी हुई है, लेकिन हम हर साल भारत आते हैं।"
कश्यप पटेल की नियुक्ति पर सबकी नजरें
कश्यप पटेल की नियुक्ति की प्रक्रिया अभी जारी है और उनके FBI निदेशक बनने की संभावना को लेकर उनके परिवार में उत्साह है। अमीन ने कहा, "हम सब इस बड़े मौके का इंतजार कर रहे हैं। यह उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष का नतीजा है।" अगर पुष्टि मिलती है, तो कश्यप पटेल अमेरिका के इतिहास में FBI का नेतृत्व करने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी बनेंगे, जिससे भारतवंशियों के लिए एक और ऐतिहासिक उपलब्धि जुड़ जाएगी।
सुनवाई के दौरान पटेल ने कहा कि उनके पिता युगांडा में ईदी अमीन की तानाशाही से बचकर भागे थे, जहां 3,00,000 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को उनकी जातीयता के आधार पर मार डाला गया था। उन्होंने कहा, "मेरी मां मूल रूप से तंजानिया की हैं। उन्होंने भारत में पढ़ाई की, मेरे पिता ने भी वहीं पढ़ाई की और उनकी शादी भी वहीं हुई। वे बाद में न्यूयॉर्क चले आए, जहां मेरा जन्म हुआ और मैं पला-बढ़ा। परिवार में मेरे पिता के सात भाई-बहन भी रहते थे, जिनके पति/पत्नी और कम से कम दर्जन भर बच्चे थे।”