NHRC अध्यक्ष बनने जा रहे पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़? अटकलों पर दे दिया जवाब
- पूर्व सीजेआई के एनएचआरसी चीफ बनाए जाने की अटकलें लग रही हैं। अब डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि यह सिर्फ अफवाह है। इसके बारे में मुझसे किसी ने बात नहीं की है और मैं अपनी प्राइवेट सिटिजन की तरह जिंदगी को इंजॉय कर रहा हूं।
Chandrachud News: पिछले महीने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद से रिटायर हुए डीवाई चंद्रचूड़ को लेकर इन दिनों अटकलें लग रही हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ को सरकार बड़ी जिम्मेदारी देने जा रही है। उन्हें नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन (NHRC) का चेयरमैन बनाया जा सकता है। एक जून को जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा का कार्यकाल खत्म हुआ है, जिसके बाद से एनएचआरसी का पद खाली है। अब एनएचआरसी का पद मिलने को लेकर लग रहीं अटकलों पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने जवाब दिया है।
पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने 'एनडीटीवी' से बात करते हुए कहा है कि यह सिर्फ अफवाह है। इसके बारे में मुझसे किसी ने बात नहीं की है और मैं अपनी प्राइवेट सिटिजन की तरह जिंदगी को इंजॉय कर रहा हूं। बता दें कि बुधवार को ही पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की एनएचआरसी अध्यक्ष चुनने के लिए अहम बैठक भी हुई है। इसके बाद कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि एनएचआरसी अध्यक्ष पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ बनाए जा सकते हैं। हालांकि, उन्होंने अब जवाब देते हुए इसका खंडन कर दिया है।
एनएचआरसी का नेतृत्व भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश या फिर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज करते हैं। इस समय विजया भारती सयानी कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। पूर्व सीजेआई के पद से जस्टिस चंद्रचूड़ दस नवंबर को रिटायर हुए हैं। उनकी जगह संजीव खन्ना को नया सीजेआई बनाया गया है। जस्टिस चंद्रचूड़ दो सालों तक सीजेआई के पद पर रहे और इस दौरान लगातार सुर्खियों में बने रहे। वे अदालतों में अनुशासन को लेकर भी काफी जाने जाते थे। उनके कार्यकाल के दौरान इलेक्टोरल बॉन्ड्स, आर्टिकल-370 समेत कई अहम फैसले सुनाए गए।
पूजा स्थल एक्ट पर भी दी थी सफाई
पिछले दिनों पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ एक कार्यक्रम में पहुंचे थे, जहां पर उन्होंने पूजा स्थल एक्ट को लेकर कही गई अपनी टिप्पणी पर सफाई दी थी। टाइम्स नाऊ के कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि पूजा स्थल एक्ट को लेकर सुनवाई के दौरान कही गई बात (टिप्पणी) कोर्ट में होने वाली चर्चा का हिस्सा थी और यह कोई अंतिम फैसला नहीं था। सिर्फ सुनवाई के दौरान की जाने वाली टिप्पणी ही थी।