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कन्नड़ जाने बिना कर्नाटक में नहीं रह सकते, 1 नवंबर को फहराएं कन्नड़ झंडा; क्या बोले डीके शिवकुमार

  • शिवकुमार ने कहा कि हर किसी को यह महसूस करना चाहिए कि कर्नाटक में कन्नड़ जाने बिना नहीं रहा जा सकता। स्कूलों और कॉलेजों में 1 नवंबर को कन्नड़ ध्वज फहराने के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाने चाहिए।

Niteesh Kumar भाषाSun, 13 Oct 2024 11:29 AM
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कर्नाटक सरकार ने 1 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस पर कन्नड़ झंडा फहराना अनिवार्य कर दिया है। राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि राज्य के स्थापना दिवस पर बेंगलुरु में सूचना प्रौद्योगिकी (IT), जैव प्रौद्योगिकी (BT) क्षेत्र समेत सभी शिक्षण संस्थाओं, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और कारखानों में कन्नड़ ध्वज जरूर फहराया जाए। उन्होंने कहा कि शहर और बेंगलुरू शहरी जिले में रहने वाले लगभग 50 प्रतिशत लोग अन्य राज्यों से हैं। उन्हें भी कन्नड़ सीखने को प्राथमिकता देनी चाहिए।

शिवकुमार ने कहा, ‘हम मैसूर राज्य का नाम बदलकर कर्नाटक किए जाने के 50 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। 1 नवंबर कन्नड़ लोगों के लिए उत्सव का दिन है। बेंगलुरू के प्रभारी मंत्री के तौर पर मैंने एक नया कार्यक्रम तैयार किया है, जिसके तहत सभी स्कूलों और कॉलेजों, कारखानों, आईटी-बीटी क्षेत्र सहित व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में अनिवार्य रूप से कन्नड़ ध्वज फहराया जाना चाहिए।’ उन्होंने बताया कि इस संबंध में आदेश जारी किया जाएगा।

'कर्नाटक में कन्नड़ जाने बिना नहीं रहा जा सकता'

अनौपचारिक लेकिन व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त पीले व लाल ‘कन्नड़ ध्वज’ को 1960 के दशक में वीर सेनानी मा राममूर्ति ने डिजाइन किया था। शिवकुमार ने कहा, ‘राज्योत्सव का सरकारी समारोह एक स्थान पर आयोजित किया जाएगा, लेकिन निजी और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में भी अनिवार्य रूप से समारोह आयोजित किए जाने चाहिए।’ शिवकुमार ने कहा कि हर किसी को यह महसूस करना चाहिए कि कर्नाटक में कन्नड़ जाने बिना नहीं रहा जा सकता। उन्होंने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों में एक नवंबर को कन्नड़ ध्वज फहराने के साथ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तर्ज पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाने चाहिए।

'स्कूलों में कन्नड़ विषय को अनिवार्य कर दिया'

मंत्री ने कहा कि वह कारखानों और व्यसायिक संस्थानों से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए नहीं कह रहे हैं। मगर, कन्नड़ ध्वज अनिवार्य रूप से फहराया जाना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकारी आदेश का पालन न करने वालों को दंडित किया जाएगा, उन्होंने कहा, ‘मैं सभी को सूचित कर रहा हूं कि इस कन्नड़ भूमि पर, कन्नड़ सीखना उनका कर्तव्य है। हमने स्कूलों में कन्नड़ विषय को अनिवार्य कर दिया है। कन्नड़ ध्वज फहराने के ऐसे कार्यक्रम गांवों में आयोजित किए जाते हैं, लेकिन बेंगलुरु शहर में प्रभारी मंत्री के रूप में मैं इसे अनिवार्य बना रहा हूं।’

शिवकुमार ने कन्नड़ समर्थक संगठनों को चेतावनी दी कि अगर वे संस्थाओं या व्यवसायों पर यह कदम थोपने की कोशिश करेंगे तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘सरकार की ओर से ऐसा करने के लिए अपील किए जाने जाने के बाद संस्थाएं और व्यवसाय स्वेच्छा से ऐसा करेंगे।’

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