'राहुल गांधी से बेहतर नेता तो अभिषेक बनर्जी हैं', दिलीप घोष के बयान से बढ़ी राजनीतिक सरगर्मी
- राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया। दूसरी ओर, अभिषेक बनर्जी ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया और भारी संख्या में वोट हासिल किए।
पश्चिम बंगाल बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष अभिषेक बनर्जी की तारीफ करते नजर आए हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि अभिषेक बनर्जी राहुल गांधी से बेहतर नेता हैं। आप देखिए कि अभिषेक का भाषण बहुत समझदारी भरा होता है।' घोष की इन टिप्पणियों ने राज्य की राजनीति में नई अटकलों को हवा दे दी है। दरअसल, तृणमूल कांग्रेस नेताओं का एक गुट ऐसा है जो पहले ही अभिषेक बनर्जी को उपमुख्यमंत्री बनाने की मांग कर चुका है। यहां तक कि उन्हें पुलिस मंत्री बनाने की भी मांग हुई है। इस बीच दिलीप घोष की ओर से अभिषेक बनर्जी की तारीफ सुनने को मिली है, जो काफी मायने रखती है।
दिलीप घोष का यह बयान बंगाल-बीजेपी नेताओं के लिए असहज करने वाला है। दरअसल, यह शिकायत आती रही है कि बंगाल-बीजेपी के नेताओं ने ही उन्हें लगातार दरकिनार किया है। मालूम हो कि राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया। दूसरी ओर, अभिषेक बनर्जी ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया और भारी संख्या में वोट हासिल किए। उनके नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस अब विपक्ष की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि टीएमसी में अभिषेक बनर्जी को प्रमुखता से आगे लाने का प्रयास हो रहा है।
वहीं, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के सीएम ममता बनर्जी के कदम का विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने उपहास उड़ाया। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के ‘प्रत्यक्ष या परोक्ष’ समर्थन के बिना भ्रष्टाचार संभव नहीं है। भाजपा नेता ने यह भी आरोप लगाया कि भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी एवं नौकरशाह चुनावी बॉन्ड के माध्यम से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए चंदा जुटाने में लगे हैं। एक दिन पहले ही बनर्जी ने निचले स्तर के पुलिसकर्मियों के एक तबके पर भ्रष्टाचार में लिप्त रहने का आरोप लगाते हुए सीआईडी में ‘पूर्ण फेरबदल’ की शुरुआत करने की घोषणा की थी। अधिकारी ने दावा किया, ‘अगर ममता बनर्जी को सत्ता में 13 साल रहने के बाद सुधारों की जरूरत का एहसास हुआ है, तो उन्हें सबसे पहले चुनावी बॉन्ड के जरिए भ्रष्ट व्यक्तियों और माफियाओं से वसूले गए 1,600 करोड़ रुपये वापस करने चाहिए।’