लक्ष्मी पुरी से माफी मांगो, 50 लाख हर्जाना भरो; TMC सांसद साकेत गोखले को HC से फिर झटका
यह मामला उस आदेश से संबंधित है जिसमें अदालत ने लक्ष्मी पुरी द्वारा दायर मानहानि याचिका पर गोखले को क्षमायाचना करने और 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था।

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद साकेत गोखले की एक याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में गोखले ने केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी की पत्नी और पूर्व राजनयिक लक्ष्मी पुरी के मानहानि मामले में माफी मांगने और 50 लाख रुपये हर्जाना देने के आदेश को वापस लेने की अपील की थी। न्यायमूर्ति पुरषेन्द्र कुमार कौरव की सिंगल पीठ ने राहत का अनुरोध करने में 180 दिनों से अधिक की देरी को माफ करने की गोखले की याचिका को भी खारिज कर दिया। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम आपकी मदद नहीं कर सकते। हमें दोनों अर्जियां खारिज करनी होंगी।’’ न्यायमूर्ति कौरव ने कहा कि अदालत का रुख करने में हुई देरी के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।
50 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश
अदालत ने एक जुलाई 2024 के फैसले में माफी मांगने और हर्जाने के रूप में 50 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था। इसके अलावा, उच्च न्यायालय ने गोखले को पुरी के खिलाफ अपने आरोप से संबंधित किसी भी सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक मंच पर कोई और सामग्री प्रकाशित करने से रोक दिया था। पुरी ने यह याचिका 2021 में गोखले द्वारा ‘X’ पर उनके और उनके पति हरदीप पुरी के खिलाफ की गई पोस्टों को लेकर दायर की थी। इन पोस्टों में उनके एक फ्लैट की खरीद को लेकर सवाल उठाए गए थे और प्रवर्तन निदेशालय (ED) से इस संपत्ति की जांच की मांग की गई थी।
गौरतलब है कि बीते दिनों हाईकोर्ट की एक अन्य पीठ ने आदेश ना मानने पर गोखले के सांसद वेतन के एक हिस्से को जब्त करने का निर्देश दिया था। 22 अप्रैल को न्यायमूर्ति मनीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने कहा था कि गोखले अपने गैर-अनुपालन को लेकर “उचित स्पष्टीकरण” देने में असफल रहे हैं। गोखले ने अपनी याचिका में कहा था कि जुलाई का आदेश एक्स-पार्टी (एकतरफा) पारित हुआ था और उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला। उनका कहना था कि उन्होंने वकील नियुक्त किया था लेकिन उस वकील ने बिना जानकारी दिए पेश होना बंद कर दिया, और वह मानते रहे कि मामला कोर्ट में चल रहा है।
दूसरे केस में बिजा था, पूरी जानकारी नहीं थी- साकेत गोखले
सांसद ने यह भी तर्क दिया कि वे गुजरात में अपने खिलाफ चल रहे कई मामलों में व्यस्त थे और उनके पास न तो पूरी जानकारी थी और न ही इतने संसाधन थे कि वे समय पर याचिका दाखिल कर सकें या वकील रख सकें। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने विवादित ट्वीट्स पहली ही सुनवाई के दिन हटा दिए थे। वहीं, लक्ष्मी पुरी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने अदालत में तर्क दिया कि गोखले ने आदेश का पालन न करके जानबूझकर अवमानना की है।
16 अप्रैल को कोर्ट ने गोखले की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। उस समय गोखले ने पुरी से समझौते की इच्छा जताई थी, लेकिन पुरी के वकील ने यह कहते हुए समझौते से इनकार कर दिया था कि गोखले ने बिना किसी आधार के पुरी की छवि खराब करने की कोशिश की थी। इस आदेश के साथ ही अब गोखले को क्षमा याचना करनी होगी और 50 लाख रुपये का हर्जाना भी देना होगा, जैसा कि अदालत ने पहले निर्देश दिया था।