चीन के ब्रह्मपुत्र पर बांध बनाने को लेकर भारत है सतर्क: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
- चीन तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोपावर डैम बनाने जा रहा है। इस डैम को लेकर भारत और बांग्लादेश जैसे देशों में हलचल शुरू हो गई हैं। हालांकि चीन ने कहा है कि इस बांध का असर निचले इलाकों पर नहीं पड़ेगा।
चीन के ब्रह्मपुत्र नदी पर सुपर डैम बनाने की घोषणा के बाद से ही इसे लेकर हलचल मची हुई है। इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा है कि तिब्बत में भारत की सीमा के पास बांध बनाने की चीन की योजना को लेकर भारत सतर्क है। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा है कि चीन को इसका ध्यान रखना होगा कि इससे भारत जैसे देशों के हितों को नुकसान न पहुंचे। ब्रह्मपुत्र पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की चीन की योजना पर भारत ने कहा है कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए जांच जारी रखेगा और जरूरी कदम उठाएगा।
रक्षा मंत्री ने एक कार्यक्रम के दौरान बांध के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘भारत सरकार सतर्क है।’’ उन्होंने चीन से यह सुनिश्चित करने की भी अपील की है कि ब्रह्मपुत्र के निचले बहाव वाले इलाकों के हितों को ऊपरी इलाकों में होने वाली गतिविधियों से नुकसान न पहुंचे। राजनाथ सिंह मंगलवार को यहां माध्यमिक शिक्षक संघ के मुफीद-ए-आम इंटर कॉलेज में आयोजित राज्य सम्मेलन में पहुंचे थे।
चीन ने दी है सफाई
गौरतलब है कि चीन ने पिछले महीने तिब्बत में भारत की सीमा के करीब ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने की योजना को मंजूरी दी थी। इस योजना के मुताबिक यह बांध हिमालय की पहुंच में एक विशाल घाटी पर बनाया जाएगा जहां से ब्रह्मपुत्र अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश में पहुंचती है। इस सुपर डैम को लेकर कई तरह की चिंताएं सामने आई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे भारत को बाढ़ और सुख समेत कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि चीन की विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा है कि बांध से निचले क्षेत्रों पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा।
भारत हर क्षेत्र में कर रहा है प्रगति
राजनाथ सिंह ने इस मौके पर यह भी कहा कि भारत आज हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘पहले जब भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बोलता था तो लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते थे, लेकिन अब जब भारत बोलता है तो दुनिया सुनती है। भारत हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। पहले वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था 11वें स्थान पर थी। अब भारतीय अर्थव्यवस्था पांचवें स्थान पर है और आने वाले ढाई साल में यह शीर्ष तीन देशों में शामिल होगी।’’