भारत की सैन्य ताकत से पाकिस्तान को डर, एक हमले से शुरू हो सकता है युद्ध: अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट
CIA की खुफिया रिपोर्ट में भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के दिलचस्प पहलुओं को शामिल किया गया है। इसमें उन संभावनाओं का भी जिक्र है जिसके चलते युद्ध छिड़ सकता है।

अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA ने हाल ही में एक नेशनल इंटेलिजेंस एस्टिमेट (NIE) की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है, जिसे 1993 में तैयार किया गया था। इसका मकसद भारत और पाकिस्तान के बीच 1990 के दशक में युद्ध की संभावना का आकलन करना था। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि पाकिस्तान को भारत की सैन्य ताकत से डर है और उसे अपने विनाश का भी खतरा महसूस होता है। इस दस्तावेज को फरवरी 2025 में सार्वजनिक किए जाने की अनुमति दी गई थी और अब यह अमेरिका की सरकारी वेबसाइटों पर उपलब्ध है। भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर तनाव की स्थिति बनी हुई है, ऐसे में यह दस्तावेज विशेष रूप से प्रासंगिक हो गया है। तीन दशक पहले किए गए विश्लेषण के कई बिंदु आज भी सच प्रतीत होते हैं।
आतंकवाद और नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी से युद्ध की चेतावनी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें भारत और पाकिस्तान के बीच पारंपरिक युद्ध की संभावना को कम आंका गया था, लेकिन फिर भी इसे पांच में से एक की संभावना (लगभग 20%) के रूप में रेट किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्ध की शुरुआत कई कारणों से हो सकती है, जिनमें से एक प्रमुख कारण "एक बड़ा आतंकी हमला" हो सकता है। यह अनुमान हाल के घटनाक्रमों, जैसे कि पहलगाम में 26 नागरिकों की मौत का कारण बने आतंकी हमले के बाद और भी सटीक प्रतीत होता है।
रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि भारत की सैन्य ताकत पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय थी। इसमें कहा गया कि पाकिस्तान पहले के कई युद्धों में हार झेल चुका है, ऐसे में वह अपने सैन्य बलों या यहां तक कि पूरे देश के विनाश की आशंका से डरता है। इसके अलावा, दोनों देशों के परमाणु हथियारों को भी रिपोर्ट में शामिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों को भारत की पारंपरिक सैन्य ताकत के खिलाफ एक सुरक्षा बीमा के रूप में देखता है।
कश्मीर को लेकर भारत-पाक के इरादों पर सीधी टिप्पणी
रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीरी आतंकवादियों में इतनी ताकत है कि वे बड़ी संख्या में भारतीय बलों को उलझाए रख सकते हैं। इसमें लिखा है, “नई दिल्ली ने पिछली वसंत ऋतु में कश्मीरियों से संवाद शुरू करने की कोशिश की थी ताकि राज्य में चुनाव कराए जा सकें। परंतु ये कोशिशें शायद विफल हो जाएंगी क्योंकि नई दिल्ली की सख्त नीतियों से कश्मीरी नरमपंथी कमजोर हो गए हैं और कट्टरपंथी अड़ियल बने हुए हैं।” रिपोर्ट में कहा गया, “भारतीय सुरक्षाबल जम्मू-कश्मीर में एक अंतहीन प्रतीत होते उग्रवाद से जूझ रहे हैं। नियंत्रण रेखा (LoC) पर गोलीबारी आम है, खासकर वसंत ऋतु में जब आतंकवादी सीमा पार करने की कोशिश करते हैं।” इसमें यह भी कहा गया कि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कूटनीतिक हथियार के रूप में करता है, और जब भी घाटी में अशांति होती है, वह इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता है।
दोनों देशों की सैन्य नीति और परमाणु हथियारों पर चिंता
रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया कि भारत और पाकिस्तान दोनों एक-दूसरे के क्षेत्र में अलगाववादियों को समर्थन देते हैं। हालांकि पाकिस्तान की नीति ज्यादा आक्रामक बताई गई है।
NIE के अनुसार, युद्ध की संभावना कम होने के कुछ अहम कारण ये हैं:
- दोनों पक्षों के नेता परमाणु हथियारों की क्षमता को लेकर सतर्क हैं और युद्ध के परमाणु स्तर तक बढ़ने की आशंका से बचना चाहते हैं।
- एक और युद्ध हुआ को इसे सीमित रखना मुश्किल होगा — यह चिंता भी युद्ध से रोकने वाला कारक है।
- दशक के अंत तक परमाणु मिसाइलों की तैनाती और विकास से तनाव बढ़ेगा लेकिन इससे पाकिस्तान को थोड़ा अधिक आत्मविश्वास मिल सकता है।
- बजट सीमाएं, आपूर्ति में व्यवधान और आंतरिक सुरक्षा के दबाव के चलते दोनों देशों की सेनाएं युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं।
लेकिन युद्ध की संभावना बनी हुई है…
रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि पाकिस्तान को लगे कि भारत हमला करने वाला है, तो वह प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक कर सकता है क्योंकि पाकिस्तान के पास सामरिक गहराई की कमी है।
युद्ध के संभावित कारणों में यह भी शामिल हैं:
- यदि भारत को लगे कि पाकिस्तान फिर से कश्मीर पर पारंपरिक हमला करने जा रहा है, तो भारत की सेना पंजाब और राजस्थान में युद्ध की स्थिति में आ सकती है — जो पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई को जन्म देगा।
- एक बड़ा आतंकी हमला, जिसे एक पक्ष दूसरे की साजिश माने।
- सीमा पार की सैन्य कार्रवाई, विशेष रूप से घुसपैठ रोकने या आतंकवाद को समर्थन देने वालों को सजा देने पर भी युद्ध भड़क सकता है।
ब्रासटैक्स और जर्ब-ए-मोमिन जैसे पुराने संकटों का जिक्र
रिपोर्ट में 1987 और 1990 के संकटों का भी जिक्र है, जब दोनों देश युद्ध के करीब पहुंच गए थे। इसमें लिखा है, “1987 में भारत के ‘ब्रासटैक्स’ सैन्य अभ्यास ने हालात को बिगाड़ा। पाकिस्तान के सैन्य शासक की कूटनीतिक पहल ने तब तनाव को कम किया। दो साल बाद, पाकिस्तान ने ‘जर्ब-ए-मोमिन’ नामक बड़ा सैन्य अभ्यास किया।”
आज की प्रासंगिकता
1993 की यह रिपोर्ट आज के भारत-पाकिस्तान संबंधों के संदर्भ में भी प्रासंगिक है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की बात कही है। सीआईए की रिपोर्ट में दिए गए परिदृश्य, जैसे कि आतंकी हमलों के कारण युद्ध की ओर बढ़ने की संभावना, आज भी सटीक प्रतीत होते हैं। इसके अलावा, दोनों देशों के परमाणु हथियारों की मौजूदगी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई थी कि यदि भारत अपनी पारंपरिक सैन्य श्रेष्ठता को और बढ़ाता है, तो पाकिस्तान के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप परमाणु खतरे की संभावना बढ़ सकती है। यह आकलन आज भी भारत की सैन्य आधुनिकीकरण और पाकिस्तान की रणनीतिक चिंताओं के संदर्भ में प्रासंगिक है।