दूसरे देश से भारत में घुसने की कोशिश कर रहा पाकिस्तान, भारी संकट में आया पड़ोसी
मामले के जानकार लोगों ने हिन्दुस्तान टाइम्स से बातचीत में बताया है कि संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, इंडोनेशिया या श्रीलंका जैसे देशों के जरिए पाकिस्तान माल भारत में पहुंचाए जाने के लेकर भारतीय अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं।

पहले से ही आर्थिक रूप से तंगहाल पाकिस्तान को भारत ने बड़ा झटका दे दिया है। भारत ने पाकिस्तानी माल के आयात पर बैन लगा दिया है। अब भारत इस बात को लेकर अलर्ट है कि पाकिस्तान की तरफ से उसका माल किसी तीसरे देश के जरिए भारतीय बाजार तक न पहुंचने दिया जाए। भारत ने 2 मई को पाकिस्तान से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आयात होकर आने वाले माल पर बैन लगाने का आदेश जारी किया था।
मामले के जानकार लोगों ने हिन्दुस्तान टाइम्स से बातचीत में बताया है कि संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, इंडोनेशिया या श्रीलंका जैसे देशों के जरिए पाकिस्तान माल भारत में पहुंचाए जाने के लेकर भारतीय अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं। गोपनीयता की शर्त पर अखबार को बताया गया है कि किसी तीसरे देश में कम से कम 500 मिलियन डॉलर सामान की दोबारा पैकेजिंग और लेबलिंग की जा रही है, ताकि उन्हें भारतीय बाजार तक लाया जा सके।
इनमें फल, सुखे मेवे, कपड़ा, सोडा एश, नमक और चमड़ा शामिल है। एक शख्स ने अखबार से कहा, 'इसका मकसद पाकिस्तानी निर्यात को चोट पहुंचाना है, क्योंकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही लड़खड़ा रही है और कमजोर है।'
दूसरे जानकार शख्स ने बताया कि शुक्रवार को विदेश व्यापार महानिदेशालय की तरफ से एक आदेश जारी हुआ, जिसमें प्रत्यक्ष या तीसरे देश के जरिए आने वाले सभी पाकिस्तानी आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। साथ ही सभी सरकारी एजेंसियों को सतर्क रहने के लिए कहा गया है।
आदेश में कहा गया है, 'राष्ट्रीय हित में यह प्रतिबंध लगाया गया है। इस प्रतिबंध के किसी भी अपवाद के लिए भारत सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी।'
खास बात है कि भारत पहले ही MFN यानी मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस लेकर साल 2019 में पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान को बड़ा आर्थिक झटका दे चुका है।
खबर है कि MFN स्टेटस वापस लिए जाने के बाद भारत ने पाकिस्तान के आयात पर 200 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी लगाई थी, जिसके चलते सीमा पार से आने वाले माल में खासी गिरावट देखी गई थी। एक अधिकारी ने अखबार को बताया कि साल 2020-21 में पाकिस्तान आयात 2.39 मिलियन डॉलर का था, जो साल 2024-25 के शुरुआती 10 महीनों में धीरे-धीरे गिरकर लगभग 0.42 मिलियन डॉलर पर आ गया था।