इनके लिए गोबर और गौमूत्र लाओ; जब बाला साहेब ठाकरे ने नितिन गडकरी को लगाई डांट
- Nitin gadkari on Balasaheb Thackeray: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि एक बार जब मैंने बाला साहेब से वाइन पीने के लिए इनकार कर दिया तो उन्होंने मुझे झिड़कते हुए कहा कि यह तो चड्डी छाप है इसके लिए गाय का गोबर और गौमूत्र से बनी वाइन लेके आओ।
महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और ठाकरे परिवार के बीच में आज भले ही दूरियां हों लेकिन बाला साहेब ठाकरे के जिंदा रहते दोनों के बीच में बहुत तालमेल था। भाजपा के नेता उनके घर मातोश्री अक्सर उनसे मिलने जाते थे और उनका सम्मान करते थे। हाल ही में एक इंटरव्यू में भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी बताया कि कैसे बाला साहेब ठाकरे ने एक बार उन्हें डांट लगाई। उन्होंने कहा कि एक बार जब मैं बाला साहेब के घर गया तो उन्होंने मुझे वाइन पीने को दी, जब मैंने इसके लिए मना किया तो उन्होंने लगभग डाँटते हुए कहा कि यह तो चड्डी छाप है, इसके लिए गोबर और गौमूत्र से बनी वाइन लाओ तब यह पीएगा।
एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री से जब उनके खान-पान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि वह मांसाहार और शराब का सेवन नहीं करते। बाला साहेब से जुड़ा किस्सा सुनाते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक बार रात में जब मैं बाला साहेब ठाकरे के घर पर गया हुआ था। वहां पर एक वाइन फैक्ट्री के मालिक बैठे हुए थे, जो कि बाला साहेब के लिए महंगी वाली वाइन लेके आए थे। बाला साहेब ने उसे खोला और गिलास में डाल कर मुझसे कहा कि लो इसे पियो।
गडकरी ने कहा कि जब मैंने उनसे कहा कि मैं नहीं पीता हूं। मैं तो नीबूं पानी पियूंगा.. तो उन्होंने मुझे झिड़का और पास बैठे व्यक्ति को संबोधित करते हुए कहा कि यह नितिन गडकरी चड्डी-छाप है.. इसके लिए गाय का गोबर और गौमूत्र से बनी वाइन लेके आओ तब हो सकता है कि यह वाइन पिये। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बाला साहेब डांट भी लगाते थे और स्नेह भी बहुत रखते थे।
केंद्रीय मंत्री ने इसके अलावा अपने मांसाहार करने के सवाल पर कहा कि मैं बचपन से ही मांसाहार नहीं करता हूं। हालांकि मुझे किसी के खाने से कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कोई मेरे बगल में बैठकर खा भी रहा है तब भी मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है। मैं बस खुद इसे नहीं खाता हूं।
नितिन गडकरी महाराष्ट्र के बड़े नेता हैं। बाला साहेब ठाकरे के जिंदा रहते भाजपा हमेशा महाराष्ट्र में शिवसेना के छोटे भाई के रूप में ही चुनाव लड़ती रही। अपनी वैचारिक समानता के कारण दोनों दलों की काफी बनती थी। बाला साहेब ठाकरे भी अपने खुले विचारों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने खुले तौर पर खुद के शराब पीने की बात को स्वीकार किया था।