Hindi Newsदेश न्यूज़Bombay high court asks question Does a mentally challenged woman not have the right to become a mother

'कम बुद्धि' वाली बेटी का अबॉर्शन कराना चाहता था पिता, हाईकोर्ट ने खूब सुनाया

  • उच्च न्यायालय ने कहा, 'सिर्फ इसलिए कि उसकी बुद्धि औसत से कम है, क्या उसे मां बनने का कोई अधिकार नहीं है? अगर हम कहें कि औसत से कम बुद्धि वाले व्यक्ति को माता-पिता बनने का अधिकार नहीं है, तो यह कानून के खिलाफ होगा।'

Nisarg Dixit भाषाThu, 9 Jan 2025 08:56 AM
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बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को सवाल किया कि क्या मानसिक रूप से कमजोर महिला को मां बनने का कोई अधिकार नहीं है। जस्टिस आर वी घुगे और जस्टिस राजेश पाटिल की पीठ 27 वर्षीय महिला के पिता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें इस आधार पर 21 सप्ताह के उसके भ्रूण को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की अनुमति मांगी गई है कि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ और अविवाहित है।

व्यक्ति ने अपनी याचिका में कहा कि उसकी बेटी गर्भ को कायम रखना चाहती है। पीठ ने पिछले सप्ताह निर्देश दिया था कि महिला की जांच मुंबई के सरकारी जे जे अस्पताल में एक मेडिकल बोर्ड द्वारा की जाए।

बुधवार को मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, महिला मानसिक रूप से अस्वस्थ या बीमार नहीं है, बल्कि उसे 75 प्रतिशत आईक्यू के साथ सीमांत बौद्धिक विकार का सामना करना पड़ा है।

पीठ ने कहा कि महिला के अभिभावक ने उसे किसी भी प्रकार का मनोवैज्ञानिक परामर्श या उपचार मुहैया नहीं कराया, बल्कि 2011 से उसे केवल दवा पर रखा। मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि भ्रूण में कोई विसंगति नहीं है और महिला गर्भावस्था जारी रखने के लिए चिकित्सकीय रूप से फिट है।

हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भ्रूण को गिराया जा सकता है। अतिरिक्त सरकारी वकील प्राची टाटके ने अदालत को बताया कि ऐसे मामलों में गर्भवती महिला की सहमति सबसे महत्वपूर्ण होती है।

पीठ ने इस तथ्य पर गौर किया कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि महिला मानसिक रूप से बीमार या अस्वस्थ नहीं है। अदालत ने कहा, 'रिपोर्ट में यह कहा गया है कि उसकी बुद्धि औसत से कम है। कोई भी व्यक्ति अति बुद्धिमान नहीं हो सकता। हम सभी मनुष्य हैं और सभी की बुद्धि का स्तर अलग-अलग होता है।'

उच्च न्यायालय ने कहा, 'सिर्फ इसलिए कि उसकी बुद्धि औसत से कम है, क्या उसे मां बनने का कोई अधिकार नहीं है? अगर हम कहें कि औसत से कम बुद्धि वाले व्यक्ति को माता-पिता बनने का अधिकार नहीं है, तो यह कानून के खिलाफ होगा।'

पीठ ने कहा, 'मामले को मानसिक विकार नहीं कहा जा सकता। उसे (वर्तमान मामले में गर्भवती महिला को) मानसिक रूप से बीमार घोषित नहीं किया गया है। यह केवल बौद्धिक कार्यप्रणाली का मामला है।'

याचिकाकर्ता के वकील ने उच्च न्यायालय को बताया कि महिला ने अब अपने अभिभावक को उस व्यक्ति की पहचान बता दी है जिसके साथ वह रिश्ते में है और जो उसके गर्भवती होने के लिए जिम्मेदार है।

इसके बाद अदालत ने महिला के अभिभावक से कहा कि वह उस व्यक्ति से मिलें और उससे बातचीत करें ताकि पता चल सके कि क्या वह उससे शादी करने के लिए तैयार है। अदालत ने कहा, 'अभिभावक के तौर पर पहल करें और उस व्यक्ति से बात करें। वे दोनों वयस्क हैं। यह कोई अपराध नहीं है।'

अदालत ने कहा, इस तथ्य को देखते हुए कि अभिभावक ने महिला को तब गोद लिया था जब वह पांच महीने की बच्ची थी, तो अब उन्हें अभिभावक के रूप में अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी को तय की है।

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