त्रिपुरा के 161 करोड़ रुपये दबाए बैठा बांग्लादेश, मंत्री ने कर दी मांग; यूनुस सरकार होगी शर्मसार
- खराब रिश्तों के बीच त्रिपुरा राज्य सरकार ने कहा है कि उसके बांग्लादेश पर कई करोड़ रुपये आ रहे हैं। बांग्लादेश में अभी मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार है जो शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से सत्ता संभाल रहे हैं।
हिंदुओं पर हो रहे हमलों के चलते भारत और बांग्लादेश के रिश्तें अपने खराब दौर से गुजर रहे हैं। शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार को पांच अगस्त को अपदस्थ किए जाने के बाद से बांग्लादेश के 50 से अधिक जिलों में हिंदुओं पर 200 से अधिक हमले होने के आरोप हैं। बांग्लादेश की 17 करोड़ की जनसंख्या में हिंदू करीब आठ प्रतिशत हैं। खराब रिश्तों के बीच त्रिपुरा राज्य सरकार ने कहा है कि उसके बांग्लादेश पर कई करोड़ रुपये आ रहे हैं। बांग्लादेश में अभी मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार है जो शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से सत्ता संभाल रहे हैं।
त्रिपुरा के पावर मंत्री रतन लाल नाथ ने सोमवार को जानकारी दी कि बांग्लादेश पर 161 करोड़ रुपये की बिजली बकाया है। त्रिपुरा, दिल्ली स्थित एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड (एनटीपीसी-वीवीएनएल) के माध्यम से एक समझौते के तहत पड़ोसी देश को 60-70 मेगावाट बिजली की सप्लाई करता है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा सरकार के मंत्री नाथ ने कहा, “हम बांग्लादेश को उनकी आवश्यकता के अनुसार 60-70 मेगावाट बिजली देते हैं और हमने कभी 60 मेगावाट से कम बिजली की आपूर्ति नहीं की है। पहले बांग्लादेश पर 135 करोड़ रुपये का बकाया था, जो अब बढ़कर 161 करोड़ रुपये हो गया है।” मंत्री ने बताया कि राज्य केवल एनटीपीसी-वीवीएनएल के माध्यम से ही बांग्लादेश से बात कर सकता है। उन्होंने कहा, “हमने विद्युत व्यापार निगम से भुगतान के लिए बात की है। हमें नहीं पता कि उन्होंने (बांग्लादेश) से इसकी मांग की है या नहीं।” त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के खिलाफ हाल ही में विरोध प्रदर्शन हुए थे। इन प्रदर्शनों के दौरान अगरतला स्थित बांग्लादेश सहायक उच्चायोग के बाहर सुरक्षा व्यवस्था भंग हो गई थी। इसके बाद, भारत के विदेश मंत्रालय ने इस तोड़फोड़ पर खेद व्यक्त किया और त्रिपुरा में बांग्लादेश वीज़ा कार्यालय की गतिविधियां बंद कर दी गईं। सीमा के दोनों ओर से बयानबाजी का सिलसिला जारी है, और इस घटनाक्रम ने भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव को बढ़ा दिया है।