मां के बाद बेटे पर हमलावर भाजपा, राहुल गांधी को भी मिल सकता है विशेषाधिकार हनन का नोटिस
- इससे पहले BJP सांसदों के एक समूह ने राष्ट्रपति मुर्मू के खिलाफ 'अपमानजनक' शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ सोमवार को विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया।
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लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के चीन को लेकर दिए गए बयान पर विवाद गहराता जा रहा है। बीजेपी सांसद उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे हैं। दरअसल, राहुल गांधी ने एक दिन पहले लोकसभा में दावा किया कि चीनी सैनिक भारतीय जमीन पर मौजूद हैं, जिससे सदन में जोरदार हंगामा हुआ। इस बयान पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस नेता पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया।
'मेक इन इंडिया' पर भी हमला
बजट सत्र के दौरान राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा में भाग लेते हुए राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत सरकार विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र को बढ़ावा देने में विफल रही, जिसका सीधा असर चीन की बढ़ती घुसपैठ पर पड़ा। राहुल गांधी ने कहा, "चीन हमारी जमीन पर बैठा है, क्योंकि 'मेक इन इंडिया' पूरी तरह से फेल हो चुका है। भारत उत्पादन से इनकार कर रहा है, जिससे चीन को फायदा मिल रहा है।"
बीजेपी का पलटवार
एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि अगर राहुल गांधी अपने आरोपों का कोई सबूत नहीं देते हैं, तो बीजेपी सांसद उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव ला सकते हैं। राहुल के बयान के तुरंत बाद किरेन रिजिजू ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कांग्रेस नेता झूठा नैरेटिव गढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी को इस तरह के भ्रामक और झूठे बयान देने से बचना चाहिए। यह संसदीय मर्यादाओं के खिलाफ है।" रिजिजू ने इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और राहुल गांधी से उनके दावे का प्रमाण देने की मांग की।
राहुल गांधी ने उठाया बेरोजगारी का मुद्दा
कांग्रेस नेता ने अपने भाषण में बेरोजगारी का मुद्दा भी उठाया और दावा किया कि भारत ने अपनी उत्पादन क्षमता चीन को सौंप दी है। उन्होंने कहा कि "चीन हमारी 4000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर चुका है और सेना ने सरकार के 'कोई जमीन नहीं खोई' वाले दावे का खंडन किया है।" रिजिजू ने राहुल गांधी के इस दावे को भी खारिज करते हुए कहा कि "इस तरह के निराधार बयान भारत और चीन के संबंधों पर गलत असर डाल सकते हैं।"
भाजपा सांसदों ने सोनिया गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया
इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सांसदों के एक समूह ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ 'अपमानजनक और निंदनीय' शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी के खिलाफ सोमवार को विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया। राज्यसभा सदस्य सुमेर सिंह सोलंकी के नेतृत्व में उन्होंने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से मुलाकात की और सोनिया गांधी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की। भाजपा सांसदों ने कहा कि सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने का काम किया है।
लोकसभा में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव क्या होता है?
विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव (Privilege Notice) संसद में एक महत्वपूर्ण संसदीय प्रक्रिया है, जिसका इस्तेमाल तब किया जाता है जब किसी सदस्य, समिति या सदन के विशेषाधिकारों का उल्लंघन होता है। संसद के सदस्यों को कुछ विशेषाधिकार दिए जाते हैं ताकि वे स्वतंत्र रूप से और बिना किसी दबाव के अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें। यदि कोई व्यक्ति या सदस्य इन विशेषाधिकारों का हनन करता है या सदन को गुमराह करता है, तो उसके खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाया जा सकता है।
क्या होता है विशेषाधिकार हनन?
- यदि कोई सांसद झूठे या भ्रामक तथ्य प्रस्तुत करता है।
- यदि कोई बाहरी व्यक्ति या संस्था संसद के कार्यों में बाधा डालती है या उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाती है।
- यदि कोई सदस्य सदन में गलत या अप्रमाणित दावा करता है और उसे साबित नहीं कर पाता।
कैसे लाया जाता है विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव?
- कोई भी सांसद लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) को लिखित रूप में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव के लिए नोटिस दे सकता है।
- अध्यक्ष नोटिस की समीक्षा करने के बाद तय करते हैं कि प्रस्ताव को स्वीकार किया जाए या नहीं।
- यदि प्रस्ताव स्वीकार होता है, तो इसे विशेषाधिकार समिति (Privilege Committee) को भेजा जाता है।
विशेषाधिकार समिति की भूमिका
- समिति मामले की जांच करती है और रिपोर्ट तैयार करती है।
- यदि किसी सदस्य को दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की जा सकती है।
- कार्रवाई में चेतावनी, निंदा, निलंबन या अन्य दंडात्मक उपाय शामिल हो सकते हैं।
अतीत में कई बार संसद में विशेषाधिकार हनन के मामले उठाए गए हैं, खासकर जब किसी नेता पर गलत तथ्य रखने, सदन को गुमराह करने या संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा हो।