Hindi Newsमहाराष्ट्र न्यूज़Why was she allowed to go out late at night HC rebuked father come to permission daughter abortion

कैसी परवरिश की, देर रात क्यों बाहर रहती थी; गर्भपात की इजाजत पर पिता को फटकार

  • पिता ने अदालत को बताया कि उनकी बेटी 13-14 साल की उम्र से ही सेक्सुअली एक्टिव रही है और अक्सर रात में घर से बाहर रहती है। वह 26 नवंबर को ही बेटी की गर्भावस्था के बारे में जान पाए।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईTue, 7 Jan 2025 03:43 PM
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एक 66 वर्षीय पिता ने अपनी 27 वर्षीय गोद ली हुई बेटी का गर्भपात कराने की इजाजत मांगी है। इसके लिए पिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पिता ने कोर्ट ने गुहार लगाते हुए बेटी के गर्भ का चिकित्सकीय समापन (गर्भपात) कराने की अनुमति मांगी है। बेटी 20 सप्ताह से अधिक समय की गर्भवती है। महिला ने गर्भपात के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया है और बच्चे के पिता की पहचान बताने से भी मना कर दिया है। इस स्थिति में पिता ने अदालत से हस्तक्षेप की मांग की है।

कोर्ट की फटकार

न्यायमूर्ति रविंद्र वी. घुगे और न्यायमूर्ति राजेश एस. पाटिल की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पिता की परवरिश पर सवाल उठाए। अदालत ने कहा, "यह कैसी परवरिश है? आपने अपनी बेटी को देर रात बाहर क्यों जाने दिया?" कोर्ट ने मामले को मुंबई के जे.जे. अस्पताल के मेडिकल बोर्ड को भेज दिया, ताकि गर्भ की स्थिति का आकलन किया जा सके। हालांकि, मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट के लिए अधिक समय मांगा, जिसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी तक स्थगित कर दी।

पिता का दावा

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, पिता ने 1998 में छह महीने की उम्र में लड़की को गोद लिया था। अब उस पिता ने दावा किया है कि उनकी बेटी का बौद्धिक स्तर औसत से कम है। उन्होंने यह भी बताया कि महिला को मानसिक विकार, बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (BPD) और अवसाद जैसी समस्याएं हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि महिला बचपन से ही हिंसक रही है और उसे नियमित दवाइयों की जरूरत होती है। पिता ने अदालत को बताया कि उनकी बेटी 13-14 साल की उम्र से ही यौन रूप से सक्रिय यानी सेक्सुअली एक्टिव रही है और अक्सर रात में घर से बाहर रहती है। वह 26 नवंबर को एक नियमित जांच के दौरान ही बेटी की गर्भावस्था के बारे में जान पाए। पिता ने आर्थिक तंगी और वृद्धावस्था का हवाला देते हुए कहा कि वह बच्चे का पालन-पोषण करने में असमर्थ हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी बेटी बेरोजगार है और नवजात शिशु की देखभाल करने में सक्षम नहीं है।

पुलिस जांच की मांग

पिता ने अदालत से गर्भपात की अनुमति के साथ-साथ गर्भावस्था की परिस्थितियों की पुलिस जांच कराने की मांग भी की। अदालत ने पिता को फटकार लगाते हुए कहा, "आपने इस महिला को गोद लिया, इसलिए आप अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हट सकते।" इसके अलावा, अदालत ने पूछा कि पिता ने पुलिस में FIR क्यों नहीं दर्ज कराई। जब पिता ने बेटी की सहमति न मिलने का हवाला दिया, तो कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एफआईआर दर्ज कराने के लिए महिला की सहमति जरूरी नहीं है। अदालत ने यह भी कहा, "पैसे की कमी गर्भपात का आधार नहीं हो सकती।" वृद्धावस्था का हवाला देते हुए गर्भपात की मांग पर अदालत ने टिप्पणी की, "अगर हम सभी वृद्धावस्था का बहाना बनाएं, तो कोई भी बच्चा पैदा नहीं करेगा।"

सरकारी वकील का पक्ष

राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त लोक अभियोजक ने तर्क दिया कि महिला बौद्धिक रूप से अक्षम नहीं है। उन्होंने बताया कि महिला ने नियमित स्कूल से 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की है और उसने गर्भपात के लिए सहमति नहीं दी है। सरकारी वकील ने पूर्व मेडिकल रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि महिला की मानसिक स्थिति गोद लिए जाने के बाद घर में प्रेम और देखभाल की कमी के कारण बिगड़ी है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मामले को जे.जे. अस्पताल के मेडिकल बोर्ड को भेज दिया और अगली सुनवाई के लिए 8 जनवरी की तारीख तय की।

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