शरद पवार के मराठा दांव से सतर्क हुई भाजपा, उद्धव-कांग्रेस की भी कम नहीं चिंता

  • भाजपा के लिए चिंता की बात यह है कि शरद पवार का मराठा दांव और रणनीति से उसकी सामाजिक रणनीति प्रभावित हो सकती है। वहीं, कांग्रेस और शिवसेना की दावेदारी को प्रभावित कर सकते हैं।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानSat, 9 Nov 2024 08:30 AM
share Share

महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections) में सबकी नजरें एनसीपी नेता शरद पवार (Sharad Pawar) पर लगी हैं। पवार विपक्षी गठबंधन की एकता की धुरी तो हैं ही, साथ ही वह भाजपा नेतृत्व वाली महायुति के लिए भी मुसीबत बने हुए हैं। पवार राजनीतिक बाजी पलटने में माहिर हैं। ऐसे में भाजपा को सत्ता विरोधी माहौल से निपटने के साथ शरद पवार के भावी रूख पर भी नजर रखनी पड़ रही है। पवार ने इस चुनाव में बहुत ही सावधानी से भावनात्मक दांव खेलते हुए कहा कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन राजनीति में सक्रिय रहेंगे।

इस फैसले से शरद पवार अब किंग मेकर की भूमिका में आ गए हैं। पवार की विरासत उनकी बेटी सुप्रिया सुले संभाल रही है। हालांकि, उनका परिवार भी राजनीतिक रूप से दो धड़ों में बंट चुका है। शरद पवार के साथ उनके कुछ पुराने साथी अभी भी डटे हुए हैं, लेकिन कई भरोसेमंद लोग उनके भतीजे अजित पवार के साथ चले गए हैं। महाराष्ट्र के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनावी नतीजे जो भी हो, उसके बाद गठबंधनों के स्वरूप भी बदल सकते हैं और नेताओं की निष्ठाएं भी।

कई नेताओं के लिए खोले रास्ते

शरद पवार का दांव भी एनसीपी को मजबूत करने के लिए है। उन्होंने चुनाव में खुद को पीछे कर और अपनी बेटी को आगे न लाकर कई प्रमुख नेताओं के लिए रास्ते खोले हैं। साथ ही अपने कार्यकर्ताओं को भी संदेश दिया कि वह परिवारवादी राजनीति नहीं कर रहे हैं। अजित पवार के बाहर जाने के बाद अब उन पर परिवारवाद का आरोप उतना ज्यादा नहीं लग रहा है। ऐसे में शरद पवार मराठा समुदाय में अपनी छवि को और मजबूत कर रहे हैं। मराठा आरक्षण आंदोलन के भी चुनाव मैदान से हटने के बाद पवार को और मजबूती मिली है।

अपना मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में

शरद पवार इस बार राज्य में अपना मुख्यमंत्री बनाने का मन बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि जयंत पाटिल इस समय मुख्यमंत्री बनने के सबसे ज्यादा योग्य हैं। भाजपा के लिए चिंता की बात यह है कि शरद पवार का मराठा दांव और रणनीति से उसकी सामाजिक रणनीति प्रभावित हो सकती है। जिन क्षेत्रों में भाजपा एनसीपी व शिवसेना के एक-एक धड़े को अपने साथ लेकर बड़ी जीत की तैयारी कर रही है, उसमें सेंध भी लग सकती है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें