अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली को बॉम्बे HC से राहत, 28 दिनों की मिली छुट्टी
- गवली की तरफ से पेश हुए वकीलों की टीम का नेतृत्व मीर नगमन अली कर रहे थे। उन्होंने तर्क किया कि गवली की पिछली फर्लो के दौरान कोई भी कानून-व्यवस्था का उल्लंघन नहीं हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि नियमों में बदलाव गवली के आवेदन को अस्वीकृत किए जाने के बाद हुआ था।
बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गुलाब गवली को फर्लो देने का आदेश दिया। यह फैसला गवली द्वारा फर्लो के लिए की गई अपनी पूर्व याचिका को खारिज किए जाने के खिलाफ की गई अपील पर आया है। गवली ने यह याचिका उप-महानिरीक्षक (पश्चिम) की ओर से उनके फर्लो आवेदन को नकारे जाने के बाद दाखिल की थी।
गवली को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) के तहत दोषी ठहराया गया था। उसकी रिहाई को लेकर बहुत विरोध था। सरकारी वकील ने तर्क दिया कि गवली की रिहाई से सार्वजनिक व्यवस्था पर खतरा हो सकता है और उन्होंने इस बात का हवाला दिया कि गवली की बेटी के राजनीतिक आकांक्षाएं भी एक चिंता का कारण बन सकती हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने उन नए नियमों का हवाला दिया जिनके तहत MCOCA के तहत दोषी व्यक्तियों को फर्लो देने पर प्रतिबंध लगाया गया था।
गवली की तरफ से पेश हुए वकीलों की टीम का नेतृत्व मीर नगमन अली कर रहे थे। उन्होंने तर्क किया कि गवली की पिछली फर्लो के दौरान कोई भी कानून-व्यवस्था का उल्लंघन नहीं हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि नियमों में बदलाव गवली के आवेदन को अस्वीकृत किए जाने के बाद हुआ था। वकील ने फर्लो के अस्वीकृति को मनमाना और गैरकानूनी बताया। अली ने यह भी बताया कि फर्लो एक कानूनी प्रावधान है, जो कैदियों को अस्थायी विश्राम और समाज में पुनः घुलने-मिलने का अवसर देता है।
कोर्ट ने मामले की समीक्षा करने के बाद उप-महानिरीक्षक के अस्वीकृति आदेश को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति नितिन संपे और न्यायमूर्ति वृशाली जोशी की बेंच ने गवली को 28 दिन के फर्लो पर रिहा करने का आदेश दिया।
मुंबई का पूर्व अंडरवर्ल्ड डॉन गवली 3 अगस्त 2012 से नागपुर स्थित केंद्रीय जेल में बंद है। उसे शिवसेना के निगम सदस्य कमलकार जामसांडेकर की हत्या के मामले में 11 अन्य आरोपियों के साथ दोषी ठहराया गया था। MCOCA कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 17 लाख का जुर्माना भी लगाया।