Teacher accused judge of demanding bribe, Bombay HC says this is contempt of court शिक्षक ने जज पर लगाए रिश्वत मांगने के आरोप, बॉम्बे HC ने कहा- यह कोर्ट की अवमानना, Maharashtra Hindi News - Hindustan
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शिक्षक ने जज पर लगाए रिश्वत मांगने के आरोप, बॉम्बे HC ने कहा- यह कोर्ट की अवमानना

  • ठाकरे ने इसके बाद जज के खिलाफ एंटी-करप्शन ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक के पास एक शिकायत दर्ज कराई। इसके अतिरिक्त उन्होंने न्यायिक अधिकारी को एक नोटिस जारी किया।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानWed, 26 March 2025 07:49 AM
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शिक्षक ने जज पर लगाए रिश्वत मांगने के आरोप, बॉम्बे HC ने कहा- यह कोर्ट की अवमानना

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक शिक्षक श्रीकृष्ण बी ठाकरे के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की है। उन्होंने जज पर रिश्वत लेने के आरोप लगाए थे। ठाकरे का कहना था कि एक स्कूल ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष जो कि एक सिविल जज हैं ने प्रमोशन संबंधित मामले में रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। नागपुर बेंच ने ठाकरे को अवमानना की कार्यवाही के लिए अगले कुछ दिनों में अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है।

श्रीकृष्ण बी ठाकरे अमरावती के निवासी हैं। उन्होंने स्कूल ट्रिब्यूनल में अपने जूनियर सहकर्मी की प्रधानाध्यापक के रूप में प्रमोशन के खिलाफ याचिका दायर की थी। उन्होंने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ भी एक शिकायत दर्ज की थी। इसके बाद ठाकरे ने आरोप लगाया कि ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष ने उन्हें रिश्वत के रूप में 2 लाख रुपये की मांग की थी। बाद में उन्होंने 5 लाख रुपये की रिश्वत लेने के बाद स्कूल प्रबंधन के पक्ष में फैसला सुनाया।

ठाकरे ने इसके बाद जज के खिलाफ एंटी-करप्शन ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक के पास एक शिकायत दर्ज कराई। इसके अतिरिक्त उन्होंने न्यायिक अधिकारी को एक नोटिस जारी किया, जिसमें उनके फैसलों पर सवाल उठाया। साथ ही इसे उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने की बात भी कही।

जस्टिस नितिन बी सांबरे और न्यायमूर्ति वृशाली वी जोशी की पीठ ने इन आरोपों को बेजा और निराधार पाया। पीठ ने पहले कहा था कि ठाकरे का उद्देश्य न्यायिक अधिकारी के खिलाफ निराधार आरोप लगाकर अदालत को बदनाम करना और ऐसे कृत्य से अदालत के अधिकार को कमजोर करना था। इस प्रकार यह कार्य क्रमिनल अवमानना के तहत आता है।

पीठ ने कहा, "इस तरह की अवमाननापूर्ण गतिविधि का उद्देश्य न्यायिक अधिकारी और अदालत की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना है ताकि उनके अधिकार को कमजोर किया जा सके। इस प्रकार आप पर अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत कार्यवाही की जाएगी।"

पीठ ने यह भी पाया कि ठाकरे द्वारा लगाए गए आरोप न केवल एक-दूसरे से विपरीत हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि उनके द्वारा न्यायिक अधिकारी के खिलाफ झूठे बयान और निराधार आरोप लगाए गए जो न्यायिक अधिकारी/अदालत की प्रतिष्ठा को कमजोर करने के लिए थे।

आरोप तय होने के बावजूद, ठाकरे ने कहा कि वह अब भी अपने आरोपों पर अडिग हैं और उनके द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप सही हैं। कोर्ट ने ठाकरे को आरोपों के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए कुछ समय दिया है और इस मामले की अगली सुनवाई 3 अप्रैल को होगी।

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