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पुणे पोर्श कांड: आरोपी के पिता को मिली जमानत, बेटे का ब्लड सैंपल बदलवाने का लगा है आरोप

पुणे के में 19 मई को हुई दुर्घटना के समय किशोर कथित रूप से नशे में था। इस घटना में मोटरसाइकिल सवार दो आईटी पेशेवरों की जान चली गई थी। नाबालिग लड़के के मां-बाप पर सबूतों को नष्ट करने का आरोप है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, पुणेFri, 21 June 2024 07:42 PM
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पुणे की एक अदालत ने शुक्रवार को पोर्श दुर्घटना के आरोपी नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल को जमानत दे दी। पुणे सत्र न्यायालय ने 10 दिन पहले दलीलें सुनी थीं और शुक्रवार को जमानत दे दी थी। पुणे के कल्याणी नगर में 19 मई को हुई दुर्घटना के समय किशोर कथित रूप से नशे में था। इस घटना में मोटरसाइकिल सवार दो आईटी पेशेवरों की जान चली गई थी। नाबालिग लड़के के मां-बाप पर सबूतों को नष्ट करने का आरोप है।

विशाल अग्रवाल पुणे के रियल एस्टेट डेवलपर हैं। नाबालिग आरोपी के पिता और मां शिवानी अग्रवाल को बेटे के ब्लड सैंपल बदलने में उनकी संदिग्ध भूमिका के मामले में गिरफ्तार किया गया था। शिवानी अग्रवाल को एक जून को गिरफ्तार किया गया था, जब यह खुलासा हुआ कि लड़के के खून के नमूने शिवानी के खून के नमूनों से बदले गए थे। विशाल अग्रवाल को सबूत नष्ट करने में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

पुलिस जांच में पता चला है कि माता-पिता ने बच्चे के नशे में गाड़ी चलाने की बात छिपाने के लिए उसके खून के सैंपल को बदलने के लिए 3 लाख रुपये की रिश्वत दी थी। यह रिश्वत किशोर न्याय बोर्ड (JJB) के परिसर में दी गई थी, जिसने बाद में बच्चे को रिहा करने का आदेश दिया। विशाल अग्रवाल ने कथित तौर पर किशोर न्याय बोर्ड के परिसर में ससून अस्पताल के वार्ड बॉय अतुल घाटकांबले को नाबालिग के ब्लड सैंपल को उसकी मां के ब्लड सैंपल से बदलने के लिए रिश्वत दी थी।

हादसे के बाद 19 मई को नाबालिग के ब्लड सैंपल को कथित तौर पर बदल दिया गया था, ताकि यह दिखाया जा सके कि दुर्घटना के वक्त उसने शराब का सेवन नहीं किया था। ब्लड सैंपलों में हेरफेर का मामला सामने आने के बाद ससून अस्पताल के दो चिकित्सकों और एक कर्मचारी को भी पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था। ऐसा संदेह है कि चिकित्सकों में से एक किशोर के पिता के संपर्क में था।

आरोपी किशोर रियल एस्टेट कारोबारी विशाल अग्रवाल का बेटा है। उसे घटना के तुरंत बाद जेजेबी द्वारा जमानत दे दी गई थी और उसे सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, आम लोगों में आक्रोश के बाद पुलिस ने मामले की पुनः जांच की, जिसके परिणामस्वरूप प्रारंभिक आदेश में संशोधन किया गया और किशोर को पांच जून तक सुधार गृह में रखा गया।

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