Hindi Newsमहाराष्ट्र न्यूज़After Lok Sabha defeat on Route BJP Sena govt stalls Nagpur-Goa highway project

लोकसभा चुनाव में मिली हार, महायुति सरकार ने रोक दिया शक्तिपीठ प्रोजेक्ट; नागपुर को गोवा से जोड़ने का था प्लान

महायुति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा शामिल हैं। महायुति ने लोकसभा चुनावों में 17 सीटें जीतीं।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नागपुरWed, 19 June 2024 03:39 PM
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महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने नागपुर को गोवा से जोड़ने वाली 802 किलोमीटर की ग्रीनफील्ड हाईवे प्रोजेक्ट पर काम रोक दिया है। इस प्रस्तावित रूट के किनारे की सीटों पर लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन महायुति को हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा, किसान भी इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव में मिली हार के कुछ दिनों बाद सरकार ने इसे इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों तक रोक दिया है। राज्य की सत्ता में काबिज महायुति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा शामिल हैं। महायुति ने लोकसभा चुनावों में 17 सीटें जीतीं।

इस परियोजना पर राज्य के खजाने पर 80,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ने का अनुमान है। इंडियन एक्सप्रेस ने परियोजना से जुड़े एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के हवाले से लिखा, "हमें रिपोर्ट मिली है कि परियोजना से प्रभावित किसान और लोग हर जिले में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं... प्रशासन को बता दिया गया है कि कम से कम अगले 3-4 महीनों तक भूमि अधिग्रहण न किया जाए। विधानसभा चुनाव (अक्टूबर में) के बाद नई सरकार इस परियोजना के भाग्य पर फैसला करेगी।"

इस परियोजना की घोषणा पहली बार सितंबर 2022 में की गई थी। व्यवहार्यता अध्ययन के वास्ते सलाहकार की नियुक्ति के लिए बोलियां अक्टूबर 2022 में मंगाई गईं। 2023-24 के बजट ने परियोजना के लिए पैसों की मंजूरी दी गई थी। महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) को इस परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए कहा गया था। एक्सप्रेस वे नागपुर संभाग में वर्धा जिले के पवनार को सिंधुदुर्ग जिले के पतरादेवी से जोड़ने का प्रस्ताव करता है। यह सड़क 11 जिलों (वर्धा, यवतमाल, हिंगोली, नांदेड़, परभणी, लातूर, बीड, धाराशिव, सोलापुर, कोल्हापुर और सिंधुदुर्ग) से होकर गुजरेगी।

फरवरी 2024 में राज्य सरकार ने इस परियोजना को हरी झंडी दे दी थी, जिसे इन 11 जिलों के सभी महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक तीर्थस्थलों को जोड़ने के रूप में देखा गया था, और इसलिए इसका नाम शक्तिपीठ ई-वे रखा गया। परियोजना के लिए आवश्यक 8,419 हेक्टेयर में से लगभग 8,100 हेक्टेयर निजी कृषि भूमि है। किसानों की ओर से लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने किसानों का समर्थन किया है।

हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन को 11 जिलों में से 10 में हार का सामना करना पड़ा, जहां से यह सड़क गुजरेगी। इन नतीजों ने सत्तारूढ़ गठबंधन को डिफेंसिव मोड में ला दिया है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में अब सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं। कोल्हापुर में इस परियोजना का विरोध एक प्रमुख मुद्दा था, जहां सिंचित भूमि का सबसे बड़ा क्षेत्र है। अभियान के दौरान, किसान नेता और हातकणंगले से उम्मीदवार राजू शेट्टी ने राज्य सरकार को भूमि अधिग्रहण के मामले में आगे न बढ़ने की चेतावनी दी थी। चुनाव नतीजों के बाद, कोल्हापुर से नव-निर्वाचित सांसद और हारने वाले पक्ष के उम्मीदवार भी परियोजना के खिलाफ आवाज उठाने लगे।

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