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हरियाणा की हार से डरी कांग्रेस, अब महाराष्ट्र में विद्रोही संकट से निपटने का खास प्लान

  • हरियाणा की अप्रत्याशित हार से डरी कांग्रेस अब महाराष्ट्र में फूंक-फूंककर कदम रख रही है। कांग्रेस नहीं चाहती है कि उसे महाराष्ट्र में विद्रोही संकट का सामना करना पड़े।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानMon, 21 Oct 2024 09:08 AM
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हरियाणा की अप्रत्याशित हार से डरी कांग्रेस अब महाराष्ट्र में फूंक-फूंककर कदम रखना चाहती है। विद्रोही फैक्टर की वजह से हरियाणा में बड़ा नुकसान उठाने वाली कांग्रेस नहीं चाहती कि महाराष्ट्र में भी उसके नेताओं में असंतोष हो। टिकट बंटवारे के वक्त सबसे ज्यादा विद्रोही निकलकर बाहर आते हैं। जब नेताओं की टिकट की इच्छा पूरी नहीं हो पाती तो वह खुद अपनी पार्टी के खिलाफ चुनौती खड़ी कर देते हैं। वे या तो दूसरे दल का रुख करते हैं या फिर कहीं जगह ना मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ जाते हैं। हरियाणा में ऐसे ही हालात देखने को मिले थे।

कांग्रेस का खास प्लान तैयार

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि कांग्रेस सबसे पहले सभी क्षेत्रों में पर्यवेक्षको की नियुक्ति करेगी ताकि नेताओं में असंतोष को कम किया जा सके। इसके अलावा उन्हें भविष्य में संतुष्ट करने का आश्वासन देकर पार्टी में रोके रखने का काम भी सौंपा जाएगा।

ऑब्जर्वर के तौर पर नियुक्त होने वाले नेताओं को यह भी जिम्मेदारी दी जाएगी कि पार्टी का कोई नेता अपने ही उम्मीदवार के खिलाफ काम ना करे। ऑब्जर्वर्स की नियुक्ति में सामाजिक प्रोफाइल को ध्यान में रखा जाएगा। सभी पांच रीजन के लिए दो या तीन ऑब्जर्वर की नियुक्ति की जा रही है। जैसे कि मुंबई/कोंकण रीजन के लिे अशोक गहलोत और पूर्व सीएम भूपेश बघेल और चरणजीत सिंह चन्नू, विदर्भ क ेलिए सांसद उमंग सिंघार, मराठवाड़ा के लिए सचिन पायलट और उत्तम रेड्डी। पार्टी ने ऐसे लोगों को एआईसीसी पदाधिकारी बनाने का फैसला किया है जिनकी जमीनी पकड़ भी मजबूत हो। इसमें मुकुल वासनिक और अविनाश पांडेय का नाम शामिल है।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि टिकट की इच्छा रखने वाले जिन लोगों को टिकट नहीं मिलता है वे विरोधियों के आसान टारगेट होते हैं। उनको लालच देकर पार्टी का नुकसान करवाया जाता है। हरियाणा में भी देखा गया कि विद्रोहियों ने अपनी ही पार्टी के उम्मीदवारों को नुकसान पहुंचाया। ऐसे में पार्टी मैक्रो मैनेजमेंट परध्यान दे रही है ताकि महाराष्ट्र में ऐसी स्थिति का सामना ना करना पड़े। ऑब्जर्वर्स की प्रोफाइल भी ऐसी होनी चाहिए जो कि नेताओं को वादा कर सकें और उसे पूरा भी किया जा सके।

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