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राज ठाकरे की MNS नहीं जीती एक भी सीट, कैसे एकनाथ शिंदे की शिवसेना का कर गई बड़ा नुकसान

  • उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) ने 20 सीटें जीती हैं, जिनमें से 10 पर जीत का अंतर एमएनएस उम्मीदवार को मिले वोटों से कम है। शिवसेना के कार्यकर्ता ने बताया कि इनमें वर्ली, बांद्रा पूर्व और माहिम जैसी चर्चित सीटें शामिल हैं।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानMon, 25 Nov 2024 10:58 AM
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महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) राज्य के विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी। इसके बावजूद, एमएनएस ने एकनाथ शिंदे की शिवसेना को काफी नुकसान पहुंचाया। माना जा रहा है कि राज ठाकरे की पार्टी ने प्रो-हिन्दुत्व मराठी वोटों को अपनी ओर खींच लिया। मुंबई के भीतर MNS को 14% मत पड़े हैं। शिवसेना से जुड़े कार्यकर्ता ने बताया कि एमएनएस ने उनकी पार्टी को 10 सीटों पर नुकसान पहुंचाया है, जहां उसके उम्मीदवार हार गए। साथ ही, शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवारों से जीत का अंतर काफी कम रहा।

उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) ने 20 सीटें जीती हैं, जिनमें से 10 पर जीत का अंतर एमएनएस उम्मीदवार को मिले वोटों से कम है। शिवसेना के कार्यकर्ता ने बताया कि इसमें वर्ली, बांद्रा पूर्व और माहिम जैसी चर्चित सीटें शामिल हैं। इनके अलावा वाणी, विक्रोली, जोगेश्वरी पूर्व, डिंडोशी, वर्सोवा, कलिना और गुहागर विधानभा क्षेत्र में ऐसा देख गया। माहिम में राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे उम्मीदवार थे। उन्हें 33,062 वोट मिले। यहां से उद्धव सेना के कैंडिडेट महेश सावंत ने शिवसेना के सदा सरवणकर को 1,316 वोटों से हरा दिया। अगर शिवसेना (यूबीटी) का उम्मीदवार नहीं होता तो अमित ठाकरे भी अपना पहला चुनाव जीत सकते थे।

महायुति की MNS से नहीं बन पाई बात

टीओआई से बीतचीत में शिवसेना के वर्ली में उम्मीदवार मिलिंद देवड़ा ने कहा, 'हमने MNS के साथ बातचीत करने का पूरा प्रयास किया। हम उनकी बहुत सी मांगों को पूरा करने के लिए तैयार थे। मगर, गैरजरूरी मांग रखे जाने पर उसे पूरा करना संभव नहीं होता है। आखिरकार वह शिवसेना यूबीटी की मदद करते नजर आए और उसकी बी-टीम के तौर पर काम किया। हालांकि, हमें यह पता है कि उनका ऐसा इरादा नहीं था। अगर माहिम और वर्ली में एमएनएस नहीं रही होती तो इसमें कोई दोराय नहीं कि हम बड़े अंतर से जीते होते।'

आदित्य और अमित ठाकरे दोनों को मिला सबक

मुंबई में एमएनएस ने 25 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। इनमें से उसके 12 कैंडिडेट्स ने शिवसेना और 10 ने बीजेपी के खिलाफ ताल ठोंकी। मुंबई से बाहर वाणी और गुहागर सीट पर मनसे उम्मीदवारों से शिवसेना (यूबीटी) को फायदा मिला। यह जरूर है कि MNS को शिवसेना की वजह से कोई फायदा नहीं मिल पाया। राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे के साथ ऐसा ही हुआ। उन्हें मुंबई की माहिम सीट पर हार का सामना करना पड़ा। वह तीसरे स्थान पर रहे। उद्धव की शिवसेना के उम्मीदवार ने यहां से जीत दर्ज की। ऐसे में, इस चुनाव ने आदित्य और अमित ठाकरे दोनों चचेरे भाइयों के लिए सबक सिखाया है जिसे उन्हें हमेशा याद रहना चाहिए।

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