छगन भुजबल लेने वाले हैं बड़ा फैसला? महायुति सरकार में मंत्री पद न मिलने से चल रहे नाराज
- सीनियर नेता छगन भुजबल ने कहा, 'ओबीसी प्रतिनिधि मुझे मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने पर हैरान थे। उन्होंने कहा कि मैं जो भी रुख अपनाऊंगा, वे उसका समर्थन करेंगे।'
महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) संगठनों के प्रतिनिधियों ने रविवार को एनसीपी नेता छगन भुजबल से मुलाकात की। भुजबल महाराष्ट्र में नई महायुति सरकार में शामिल नहीं किए जाने से नाराज हैं। नासिक जिले के येवला विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व मंत्री शनिवार को नागपुर में संपन्न हुए राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में शामिल नहीं हुए। महायुति के 39 विधायकों के मंत्री पद की शपथ लेने के एक दिन बाद, सत्र के पहले दिन वह नासिक के लिए रवाना हुए। भुजबल ने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों से ओबीसी नेताओं ने मुंबई में एक बैठक की और फिर शहर में उनसे मुलाकात की।
सीनियर नेता ने कहा, 'ओबीसी प्रतिनिधि मुझे मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने पर हैरान थे। उन्होंने कहा कि मैं जो भी रुख अपनाऊंगा, वे उसका समर्थन करेंगे।' भुजबल ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधियों को लगता है कि ओबीसी आरक्षण खतरे में आ गया है। उन्होंने इसे बचाने के लिए एकजुट होकर लड़ने की जरूरत पर जोर दिया। ओबीसी नेता भुजबल, कार्यकर्ता मनोज जरांगे की अन्य पिछड़ा वर्ग (कुनबी) श्रेणी में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग का विरोध कर रहे हैं।
आखिर क्यों नाराज हैं छगन भुजबल?
भविष्य की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर छगन भुजबल ने कहा, 'महाराष्ट्र की आबादी में 7 करोड़ की आबादी ओबीसी की है, जो करीब 54 प्रतिशत है। क्या कुछ बैठकों में फैसला लेना आसान है?' भुजबल ने इससे पहले कहा था कि वह जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेंगे। पूर्व खाद्य आपूर्ति राज्य मंत्री ने कहा, 'प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे ने यह सुनिश्चित करने की बहुत कोशिश की कि मुझे मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए। यहां तक कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी आखिरी समय तक मुझे शामिल करने पर जोर दिया। लेकिन मुझे शामिल नहीं किया गया।' भुजबल ने अपनी पार्टी के प्रमुख अजित पवार का नाम लिए बगैर कहा कि अन्य दलों के नेताओं पर आरोप लगाना व्यर्थ है, क्योंकि हर नेता अपनी पार्टी के लिए जिम्मेदार है।