महाराष्ट्र सरकार ने मदरसा टीचरों की सैलरी क्यों की तीन गुना? बीजेपी ने बताई वजह
- बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने मदरसों में डीएड और बीएड शिक्षकों के वेतन में वृद्धि के महाराष्ट्र मंत्रिमंडल के फैसले का स्वागत किया और जोर दिया कि बीजेपी शिक्षा और स्वास्थ्य को धार्मिक सीमाओं से परे धर्मनिरपेक्ष सरोकार मानती है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शिंदे सरकार ने राज्य के मदरसा टीचरों का वेतन बढ़ाने का फैसला लिया है। कैबिनेट बैठक में इसकी मंजूरी भी दे दी गई। अभी तक मदरसा टीचरों को छह हजार रुपये प्रति माह सैलरी मिलती थी, जिसे अब लगभग तीन गुना बढ़ाकर 16 हजार रुपये कर दिया जाएगा। महायुति सरकार के फैसले का बीजेपी ने स्वागत करते हुए इसके पीछे की वजह बताई है। बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने मदरसों में डीएड और बीएड शिक्षकों के वेतन में वृद्धि के फैसले पर जोर दिया कि बीजेपी शिक्षा और स्वास्थ्य को धार्मिक सीमाओं से परे धर्मनिरपेक्ष सरोकार मानती है।
बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने कहा, "हमारी आने वाली पीढ़ियों को शिक्षित करने वाले शिक्षकों के वेतन में वृद्धि की गई है। शिक्षा और स्वास्थ्य सरकार की जिम्मेदारी है। इस क्षेत्र में काम करते समय बीजेपी यह नहीं देखती कि शिक्षक किस धर्म से ताल्लुक रखते हैं।" महाराष्ट्र कैबिनेट ने मदरसों में डीएड, बीएड शिक्षकों के वेतन में वृद्धि के निर्णय को मंजूरी दी।
मौलाना आजाद अल्पसंख्यक आर्थिक विकास निगम की शेयर पूंजी को 700 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये करने को भी मंजूरी दी। गुरुवार को हुई बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने की। वर्तमान में डीएड शिक्षकों को 6000 रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाता है, इसे बढ़ाकर 16,000 रुपये प्रतिमाह किया जाएगा। इससे पहले, मुख्यमंत्री शिंदे की अगुवाई वाली राज्य मंत्रिमंडल ने एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा को देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न देने का आग्रह किया था। रतन टाटा का बुधवार को मुंबई में निधन हो गया था।
नॉन क्रीमी लेयर के लिए आय सीमा बढ़ाने की भी मांग
इसके अलावा, महाराष्ट्र मंत्रिमंडल न फैसला किया कि वह केंद्र सरकार से गैर-क्रीमी लेयर के लिए आय सीमा मौजूदा आठ लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये प्रति वर्ष करने का अनुरोध करेगा। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आरक्षण का लाभ हासिल करने के लिए गैर-क्रीमी लेयर प्रमाणपत्र की जरूरत होती है। यह प्रमाणपत्र प्रमाणित करता है कि उक्त व्यक्ति की पारिवारिक आय निर्धारित सीमा से कम है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, कैबिनेट बैठक में महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए एक मसौदा अध्यादेश को भी मंजूरी दी गई। बयान के अनुसार, यह अध्यादेश विधानमंडल के अगले सत्र में पेश किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग के लिए 27 पद स्वीकृत किए गए हैं।