नामांकन का वक्त गया, महाराष्ट्र की 15 सीटों पर सस्पेंस; महायुति और MVA क्यों नहीं उतार पाए उम्मीदवार
- महाराष्ट्र की 288 सीटों के लिए नामांकन दाखिल करने की समयसीमा आज समाप्त हो गई। इसके बावजूद प्रदेश में 15 सीटों पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है। इसमें महायुति ने 4 और एमवीए की 11 सीट पर उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है।
महाराष्ट्र की 288 सीटों के लिए नामांकन दाखिल करने की समयसीमा आज समाप्त हो गई। इसके बावजूद प्रदेश में 15 सीटों पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है। इसमें महायुति गठबंधन (भाजपा, एनसीपी और शिवसेना) में 4 सीटों पर अनिश्चितता बनी हुई है। उधर, विरोधी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (कांग्रेस, उद्धव और शरद पवार की पार्टी) के हाल और बुरे हैं। इन दलों ने 11 सीटों पर किसी भी उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है। दलों की तरफ से यह जरूर बताया गया कि बची हुई सीटें छोटे सहयोगियों को दी जाएंगी, लेकिन इस पर भी कोई घोषणा नहीं हुई। अब सवाल यह है कि नामांकन दाखिल की तिथि बीत जाने के बाद इन दलों का 15 सीटों पर कोई उम्मीदवार का ऐलान न करने की मंशा क्या हो सकती है?
महाराष्ट्र विधानसभा के लिए मतदान आगामी 20 नवंबर को एक ही दिन किया जाएगा। प्रदेश की 288 विधानसभा सीटों पर मतों की गिनती 23 नवंबर को होनी है। चुनाव में अब तक भाजपा ने सबसे ज्यादा उम्मीदवारों का ऐलान किया है। भाजपा ने 152 कैंडिडेट को पार्टी की तरफ से टिकट दिया है। दूसरे नंबर पर विरोधी गठबंधन की तरफ से कांग्रेस पार्टी है। कांग्रेस ने अपने 103 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। महायुति के अन्य दलों शिवसेना की तरफ से 80 और अजित पवार की पार्टी एनसीपी की तरफ से 52 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया गया। महायुति गठबंधन ने 288 में से 284 पर उम्मीदवार उतारे हैं।
महा विकास अघाड़ी की बात करें तो कांग्रेस के 103 उम्मीदवारों के अलावा शरद पवार की पार्टी एनसीपी (शरदचंद्र पवार) ने 87 सीटों पर कैंडिडेट उतारे हैं। जबकि, उद्धव ठाकरे की शिवसेना के भी 87 ही उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। कुल मिलाकर महा विकास अघाड़ी की तरफ 277 सीटों पर आधिकारिक उम्मीदवार हैं।
भाजपा ने 8 तो कांग्रेस ने 5 विधायकों के टिकट काटे
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की समयसीमा समाप्त होने के साथ ही यह बात सामने आई है कि भाजपा और कांग्रेस ने सबसे अधिक विधायकों के टिकट काटे।
भाजपा ने जहां आठ विधायकों के टिकट काटे हैं, जबकि कांग्रेस ने पांच विधायकों को टिकट न देने का फैसला किया है। अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और एनसीपी(शरदचंद्र पवार) ने दो-दो मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं देने का विकल्प चुना।
बागी भी बढ़ा रहे सिरदर्द
महाराष्ट्र की 15 सीटों पर कोई आधिकारिक उम्मीदवार न उतारने के इतर टिकट न मिलने पर विधानसभा चुनाव में कूदने वाले बागी भी सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। चुनावी जंग से नाम वापस लेने की अंतिम तिथि चार नवंबर है और इसके बाद मैदान में बचे बागियों की संख्या पर स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी। यदि बागी चुनाव मैदान में डटे रहते हैं, तो वे आधिकारिक उम्मीदवारों के लिए महत्वपूर्ण चुनौती पैदा करेंगे और महायुति तथा एमवीए के चुनावी गणित को बिगाड़ने का काम करेंगे, जिनके बीच कड़ा मुकाबला प्रतीत हो रहा है।
शाइना एनसी ने भाजपा छोड़ी, शिवसेना से दाखिल किया पर्चा
भाजपा प्रवक्ता शाइना एनसी ने पार्टी से इस्तीफा देकर मंगलवार को मुंबई के मुंबादेवी विधानसभा क्षेत्र से एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना की उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया। सोमवार को शिवसेना ने शाइना को पार्टी की तरफ से टिकट दिया था। शाइना एनसी ने नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले मुंबादेवी के मंदिर में पूजा की।
नवाब मलिक पर भाजपा और अजीत गुट में बिगड़ेगी?
मंगलवार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सबसे बड़ा मामला मुंबई की मानखुर्द-शिवाजी नगर विधानसभा सीट पर देखने को मिला। यहां महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक ने दो नामांकन दाखिल किए। पहला निर्दलीय और दूसरा अजीत पवार गुट एनसीपी की तरफ से। यह नामांकन इसलिए भी हैरान करने वाला है, क्योंकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आशीष शेलार मलिक की उम्मीदवारी के खिलाफ बयान दे चुके हैं। उन्होंने कहा था, “हम नवाब मलिक का समर्थन नहीं करेंगे और हमारा रुख अलग होगा।” अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि मलिक की उम्मीदवारी को लेकर भाजपा के रुख पर पुनर्विचार हुआ है या नहीं।