महाराष्ट्र में भाजपा दोस्तों को नहीं संभाल पा रही, अब कई सीटों पर जंग की नौबत; भरे जा रहे पर्चे
- कई जगहों पर भाजपा और महायुति में उसकी सहयोगी अजित पवार की एनसीपी से सीधी तकरार हो रही है। वहीं भाजपा के भीतर असंतोष की खबरें सामने आ रही हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा ने महायुति के बैनर तले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। मगर ऐसा लग रहा है पार्टी अपने सहयोगियों के साथ बेहतर तालमेल नहीं बैठा पा रही है। कई जगहों पर भाजपा और महायुति में उसकी सहयोगी अजित पवार की एनसीपी से सीधी तकरार हो रही है। वहीं भाजपा के भीतर भी असंतोष की खबरें सामने आ रही हैं।
वडगांव शेरी में आमने सामने भाजपा और एनसीपी
पुणे के वडगांव शेरी विधानसभा क्षेत्र इसका सबसे ताजा उदाहरण हैं। वडगांव शेरी में उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मौजूदा विधायक सुनील टिंगरे को एनसीपी से टिकट दिया, तो भाजपा ने जगदीश मुलिक को टिकट देकर मुकाबला और भी दिलचस्प बना दिया। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले पहले ही संकेत दे चुके थे कि कुछ सीटों पर मैत्रीपूर्ण मुकाबला होगा, लेकिन इसे लेकर मतदाताओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
अपनी दावेदारी के सिलसिले में मुलिक ने मुंबई में देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर अपनी उम्मीदवारी पुख्ता करने के साथ सोशल मीडिया पर चुनाव जीतने का दावा भी किया, जिससे यह सीट एनसीपी और भाजपा की दोस्ती दांव पर लगी है।
भाजपा के भीतर भी असंतोष
पुणे में टिकट बंटवारे के बाद भाजपा के भीतर भी असंतोष की खबरे सामने आईं हैं। कसबा पेठ से टिकट न मिलने के कारण भाजपा शहर अध्यक्ष धीरज घाटे और पर्वती से निराश सभागृह नेता श्रीनाथ भिमाले ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी। हालांकि, उन्हें केंद्रीय राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल ने शांत करने का प्रयास किया। उनके हस्तक्षेप के बाद घाटे और भिमाले ने हेमंत रासने की नामांकन रैली में शिरकत कर स्थिति को संभाला। हालांकि, शिवाजीनगर और पर्वती सीट पर इनकी अनुपस्थिति से अंदरूनी असंतोष का संकेत भी मिल रहा है।