थेरेपी के नाम पर रेप, 9 लाख रुपये भी लेता था; 10 साल तक चला मनोवैज्ञानिक की हैवानियत का खेल
- यह मनोवैज्ञानिक अपने थेरेपी सत्र के लिए प्रति वर्ष लगभग 9 लाख रुपये तक वसूल करता था। वह लड़कियों को ‘एक्यूप्रेशर’ के नाम पर अनुचित ढंग से छूता था और कहता था कि इससे उनका तनाव कम होगा।
पूर्वी नागपुर में स्थित एक मनोवैज्ञानिक-काउंसलर के आवासीय क्लीनिक में पिछले एक दशक से जारी भयावह घटनाओं का खुलासा होने के बाद और पीड़िताएं सामने आ रही हैं। इस मनोवैज्ञानिक पर रात के समय अपने चैंबर में छात्राओं को ले जाकर "थेरेपी" के नाम पर यौन शोषण करने का आरोप है। दो महीने पहले एक व्हिसलब्लोअर ने इस काले अध्याय को उजागर किया था, जिसके बाद हुदकेश्वर पुलिस थाने में तीन मामले दर्ज किए गए हैं। महाराष्ट्र के नागपुर में पिछले 15 वर्षों में कम से कम 50 विद्यार्थियों को कथित रूप से ब्लैकमेल कर उनका यौन शोषण करने को लेकर 45 वर्षीय एक मनोवैज्ञानिक को गिरफ्तार कर लिया गया है।
मनोवैज्ञानिक और उसकी पत्नी पर गंभीर आरोप
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी की पत्नी और एक अन्य सहयोगी अभी भी फरार हैं। इन दोनों के खिलाफ भी मामला दर्ज है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि आरोपी के मोबाइल फोन में 18 से अधिक छात्राओं की आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो मिले हैं। बताया जा रहा है कि इस मनोवैज्ञानिक ने ज्यादातर नाबालिग लड़कियों को अपना शिकार बनाया। वह खुद को विषय में स्वर्ण पदक विजेता बताकर माता-पिता को फंसाता था। ताकि वे अपने बच्चों को "बेहतर पर्सनालिटी और शैक्षणिक प्रदर्शन के वास्ते उसके पास थेरेपी सेशन" में भेजें।
अधिकारी ने बताया, “मनोवैज्ञानिक ने विद्यार्थियों, खासकर लड़कियों को व्यक्तिगत और व्यावसायिक मदद का वादा कर कथित तौर पर लुभाया। उसने यात्राएं और शिविर आयोजित किए, जहां वह उनका यौन शोषण करता था, अश्लील तस्वीरें खींचता था और बाद में उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए इनका इस्तेमाल करता था। यह घटना उस समय सामने आई जब एक पूर्व विद्यार्थी ने आरोपी द्वारा ब्लैकमेल किए जाने से परेशान होकर पुलिस से संपर्क किया।”
मनोवैज्ञानिक ने ‘थेरेपी’ के नाम पर किया यौन शोषण
यह मनोवैज्ञानिक अपने थेरेपी सत्र के लिए प्रति वर्ष लगभग 9 लाख रुपये तक वसूल करता था। वह लड़कियों को ‘एक्यूप्रेशर’ के नाम पर अनुचित ढंग से छूता था और कहता था कि इससे उनका तनाव कम होगा। पहले वह लड़कियों के परिवारों की पृष्ठभूमि और निजी जानकारी इकट्ठा करता था, फिर धीरे-धीरे उनका विश्वास जीतकर अनुचित स्पर्श करना शुरू करता। इसके बाद शराब पिलाना और शारीरिक संबंध बनाने जैसे काम करता था। उसने लड़कियों को यह यकीन दिलाया कि यह सब अकादमिक ध्यान केंद्रित करने और तनाव दूर करने के लिए आवश्यक है। आरोपी इन संबंधों के वीडियो और तस्वीरें बनाकर ब्लैकमेल करता था।
सामाजिक भय के कारण महिलाएं शिकायत दर्ज कराने से कतरा रहीं
कई पीड़िताएं अब शादीशुदा हैं और सामाजिक कलंक के डर से पुलिस में शिकायत दर्ज कराने में झिझक रही हैं। सूत्रों का कहना है कि यह काउंसलर पहले शंकर नगर के पास एक अन्य विशेषज्ञ के साथ जुड़ा था। बाद में उसने अपना खुद का आवासीय क्लीनिक शुरू किया, जो तेजी से लोकप्रिय हुआ। यहां तक कि चंद्रपुर जैसे पड़ोसी जिलों से भी छात्राएं यहां आती थीं। थेरेपी शुरू करने से पहले वह लड़कियों को एक रंगहीन लिक्विड पीने के लिए देता था, जिसे वह आवश्यक बताता था।
परिवारों को बच्चों से बात करने से रोकता था
मनोवैज्ञानिक ने अक्सर परिवारों को अपने बच्चों से बात करने से रोका, यह कहते हुए कि ऐसा करने से उपचार का प्रभाव कम हो जाएगा। ऐसा संभवतः इसलिए किया गया ताकि परिवार बच्चों के शोषण के बारे में कुछ भी न जान सकें। पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। हालांकि, आरोपी का प्रभावशाली व्यक्तित्व और पीड़िताओं का सामाजिक भय, मामले को और जटिल बना रहे हैं।