गौरी लंकेश की हत्या का आरोपी पहले शिवसेना में हुआ शामिल, अब पार्टी में कोई पद देने से इनकार
- अर्जुन खोतकर ने इससे पहले कहा था, ‘पांगारकर पूर्व शिवसैनिक हैं और पार्टी में वापस आ गए हैं। उन्हें जालना विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान का प्रमुख नामित किया गया है।’
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपी श्रीकांत पांगारकर को पार्टी में कोई पद देने से इनकार कर दिया है। विधानसभा चुनाव से पहले पांगारकर शुक्रवार को पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर की उपस्थिति में शिंदे नीत शिवसेना में शामिल हुए थे। खोतकर ने इससे पहले संवाददाताओं से कहा था, ‘पांगारकर पूर्व शिवसैनिक हैं और पार्टी में वापस आ गए हैं। उन्हें जालना विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान का प्रमुख नामित किया गया है।’ यह खबर सामने आते ही हंगामा मच गया और लोग शिवसेना के इस फैसले पर सवाल उठाने लगे।
शिवसेना ने इसे देखते हुए रविवार को ताजा बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि पांगारकर को जालना जिले में पार्टी का कोई पद देने पर अब तक फैसला नहीं किया गया है। मालूम हो कि गौरी लंकेश की 5 सितंबर 2017 को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु स्थित उनके आवास के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। महाराष्ट्र की एजेंसियों की सहायता से कर्नाटक पुलिस ने पूरे प्रकरण की जांच की थी और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
पांगारकर के चुनाव लड़ने की थी चर्चा
श्रीकांत पांगारकर 2001 से 2006 तक जालना नगरपालिका के पार्षद रहे। उन्हें अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था। इस साल 4 सितंबर को कर्नाटक हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी। अविभाजित शिवसेना की ओर से 2011 में टिकट नहीं दिए जाने पर पांगारकर दक्षिणपंथी हिंदू जनजागृति समिति में शामिल हो गए थे। खोतकर ने कहा था कि वह जालना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन महायुति (सत्तारूढ़ गठबंधन जिसमें शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी और अजित पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं) में सीट बंटवारे पर चर्चा चल रही है।
जमानत मिलने पर हुआ जोरदार स्वागत
कुछ दिनों पहले गौरी लंकेश हत्याकांड के मुख्य आरोपियों का उनके गृहनगर पहुंचने पर कुछ हिंदुत्व कार्यकर्ताओं ने जोरदार स्वागत किया था। अदालत ने 9 अक्टूबर को परशुराम वाघमारे, मनोहर यादव और 6 अन्य आरोपियों को जमानत दे दी थी। 11 अक्टूबर को उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। वे सभी छह साल से अधिक समय तक सलाखों के पीछे रहे। जब वे अपने गृहनगर पहुंचे तो हिंदुत्व कार्यकर्ता उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास ले गए। भगवा शॉल और माला पहनाकर उनका स्वागत किया गया। इस दौरान भारत माता की जय और सनातन धर्म की जय के नारे लगाए गए।