Hindi Newsमहाराष्ट्र न्यूज़Cabinet minister Dhananjay Munde falls seriously ill it hurts to even speak properly treatment is not available

कैबिनेट मंत्री को हो गई गंभीर बीमारी, बोलने में भी परेशानी; इलाज नहीं है उपलब्ध

  • मंत्री ने करीब 15 दिन पहले आंखों की सर्जरी करवाई थी और उन्हें तेज रोशनी, धूल और धूप से बचने की सलाह दी गई थी।

Nisarg Dixit लाइव हिन्दुस्तानFri, 21 Feb 2025 08:48 AM
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कैबिनेट मंत्री को हो गई गंभीर बीमारी, बोलने में भी परेशानी; इलाज नहीं है उपलब्ध

महाराष्ट्र के मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता धनंजय मुंडे ने गुरुवार को जानकारी दी है कि उन्हें ‘बेल्स पाल्सी’ नामक बीमारी है, जिससे उनकी बोलने की क्षमता प्रभावित हुई है। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए बीमारी के बारे में बताया। ‘बेल्स पाल्सी’ एक बीमारी है, जो चेहरे की मांसपेशियों में कमजोरी का कारण बनती है।

मुंडे ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘फिलहाल मैं दो मिनट भी ठीक से बोल नहीं पा रहा हूं, जिसकी वजह से मैं मंत्रिमंडल की बैठक और सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो पा रहा हूं।’’ मुंडे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार को भरोसा दिलाया कि वह अपनी बीमारी से उबरने और जल्द से जल्द सार्वजनिक सेवा में लौटने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मंत्री ने करीब 15 दिन पहले आंखों की सर्जरी करवाई थी और उन्हें तेज रोशनी, धूल और धूप से बचने की सलाह दी गई थी।

पिछले साल नौ दिसंबर को बीड के मसाजोग में सरपंच संतोष देशमुख के अपहरण और हत्या से जुड़े जबरन वसूली के मामले में मुंडे के करीबी सहयोगी वाल्मिक कराड की गिरफ्तारी के बाद से वह विपक्ष और सत्तारूढ़ ‘महायुति’ के कुछ सहयोगियों के निशाने पर हैं। मुंडे ने कहा है कि उनका सरपंच मामले से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कृषि मंत्री रहते हुए अनियमितताओं के आरोपों का भी खंडन किया है।

क्या है बेल पाल्सी

जॉन्स हॉप्किन्स मेडिसिन के अनुसार, बेल पाल्सी चेहरे मांसपेशियों के कमजोर होने या लकवा मारने से जुड़ा है। यह अचानक शुरू हो सकता है और मरीज की स्थिति 48 घंटों के भीतर बिगड़ सकती है। इसमें आमतौर पर चेहरे या सिर में दर्द और असहजता हो सकती है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन अधिकांश इसका असर गर्भवती महिलाओं और डायबिटीज, इन्फ्लुएंजा, सर्दी या सांस की परेशानी से जुड़े लोगों में हो सकता है।

खास बात है कि यह बीमारी स्थाई नहीं है, लेकिन दुर्लभ मामलों में यह आसानी से नहीं जाती है। फिलहाल, इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन मरीज आमतौर पर 2 सप्ताह से लेकर 6 महीने के बीच रिकवरी होना शुरू हो जाती है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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