मजदूर को झूठे केस में फंसाना पड़ा भारी, 4 लाख रुपये देना होगा मुआवजा; क्या है पूरा मामला
- शिकायतकर्ता के बयान में कुछ विसंगतियां भी मिलीं। जैसे कि सीसीटीवी फुटेज में पहचाने गए व्यक्ति के पास बंदूक नहीं, बल्कि कुल्हाड़ी थी। हालांकि, मजदूर एक अन्य मामले में शामिल था जहां उसके पास से बंदूक बरामद हुई थी।
बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने उस बिजनेसमैन पर जुर्माना लगाया है, जिसकी झूठी शिकायत के चलते एक मजदूर को 6 महीने जेल में काटने पड़े। अदालत ने कहा कि गलत पहचान के कारण व्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ। ऐसे में शिकायतकर्ता को उसकी स्वतंत्रता में कटौती और आय के नुकसान के लिए 4 लाख 20 हजार रुपये का भुगतान करना होगा। फैसला सुनाते वक्त जज एसजी महरे की अगुवाई वाली पीठ ने भारत में जेलों की भीड़भाड़ और दयनीय स्थिति का भी जिक्र किया। इसे लेकर कहा गया, 'देश में भीड़भाड़ वाली जेलों में रहना बहुत दर्दनाक है। जेल और कैदियों की स्थिति दयनीय हो गई है। अत्यधिक भीड़ के चलते विचाराधीन कैदियों को अक्सर सोने की जगह नहीं मिलती और वे कई संक्रामक बीमारियों की चपेट में जाते हैं।'
मजदूर की गिरफ्तारी साल 2023 में दर्ज एक मामले को लेकर हुई, जिसमें आरोप लगा कि उसने और 9 दूसरे लोगों ने गैरकानूनी सभा बनाई। इन्होंने शिकायतकर्ता पर तलवार, कुल्हाड़ी और अन्य हथियारों से हमला किया। आरोप यह भी था कि मजदूर ने उस पर देशी पिस्तौल से गोली चलाई थी। हालांकि, आरोपी लगातार इससे इनकार करता रहा। उसका कहना था कि घटना के समय वह महाराष्ट्र के अहमदनगर में था। उसके कॉल डेटा रिकॉर्ड से यह साबित हो सकता है।
आरोपी के पास से मिली बंदूक, मगर…
शिकायतकर्ता के बयान में कुछ विसंगतियां भी मिलीं। जैसे कि सीसीटीवी फुटेज में पहचाने गए व्यक्ति के पास बंदूक नहीं, बल्कि कुल्हाड़ी थी। हालांकि, मजदूर एक अन्य मामले में शामिल था जहां उसके पास से बंदूक बरामद हुई थी। मगर, इस केस से उसका कोई लेना-देना नहीं था। पहले तो नेवासा सत्र न्यायाधीश ने सीसीटीवी फुटेज की पहचान के आधार पर उसे जमानत देने से इनकार कर दिया। बाद में मजदूर ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। तभी शिकायतकर्ता ने अपने आरोपों को वापस लेते हुए हलफनामा दायर कर दिया, जिसमें यह स्वीकार किया गया कि सीसीटीवी फुटेज में देखा गया व्यक्ति मजदूर नहीं था। इस पर फैसला सुनाते हुए पीठ ने कहा, ‘यह साफ है कि बिना किसी तथ्य के शिकायत और मजदूर की पहचान के आधार पर उसे जेल भेज दिया गया। पीड़ित को मुआवजा मिलना चाहिए।’