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बदलापुर रेप केस आरोपी की मां ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा, सीएम शिंदे पर मानहानि का आरोप

  • अलका शिंदे मैला ढोने का काम करती हैं। उन्होंने दावा किया कि बदलापुर में यौन उत्पीड़न मामले में अगस्त में उसके बेटे की गिरफ्तारी हुई। इसके बाद से वह और उसका पति बेघर हो गए हैं।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानTue, 19 Nov 2024 08:26 AM
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बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी अक्षय शिंदे की 23 सितंबर को पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई थी। अब उसकी मां ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, कई अन्य नेताओं और मीडिया हाउस के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज की है। अलका अन्ना शिंदे ने मजिस्ट्रेट अदालत और बॉम्बे हाई कोर्ट दोनों में अर्जी लगाई है। उन्होंने बिना शर्त माफी मांगने और सैकड़ों करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की है। याचिका में कहा गया कि परिवार की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए आपराधिक मानहानि की कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, एक मीडिया हाउस से 300 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति मांगी गई है।

अलका शिंदे मैला ढोने का काम करती हैं। उन्होंने दावा किया कि बदलापुर में यौन उत्पीड़न मामले में अगस्त में उसके बेटे की गिरफ्तारी हुई। इसके बाद से वह और उसका पति बेघर हो गए हैं। उन्हें बहिष्कृत कर दिया गया है। विरोध प्रदर्शन शुरू हुए और मीडिया आउटलेट्स की ओर से उनके बेटे की तस्वीरें दिखाई गईं। उन्होंने कहा कि हमारे ऊपर हमला किया गया और घर से बाहर निकाल दिया गया। अब दोनों कल्याण रेलवे स्टेशन के पास एक बस स्टॉप पर रहते हैं। शिंदे का आरोप है कि चुनाव में राजनीतिक लाभ के लिए उनके बेटे को 23 सितंबर को पुलिस मुठभेड़ में मार दिया गया।

बदलापुर मुठभेड़ की जांच पर अदालत की CID ​​को फटकार

दूसरी ओर, बंबई हाई कोर्ट ने बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी की पुलिस मुठभेड़ की जांच में लापरवाही बरतने के लिए महाराष्ट्र सीआईडी ​​को कड़ी फटकार लगाई। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि मामले की जांच को हल्के में लिया गया है और इसमें कई खामियां हैं। अदालत ने मृतक अक्षय शिंदे के हाथों पर गोली के निशान न होने और उसे दी गई पानी की बोतल पर उंगलियों के निशान न होने पर भी सवाल उठाया। अदालत ने मामले की जांच कर रहे मजिस्ट्रेट को सौंपी जाने वाली सामग्री एकत्र करने में देरी के लिए CID ​​की आलोचना की। कानून के तहत हिरासत में हुई मौतों के मामलों में मजिस्ट्रेट जांच अनिवार्य है।

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