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केजरीवाल के हारते ही टेंशन में उद्धव और शरद पवार, जानें महाराष्ट्र में दिल्ली के नतीजों का क्या असर

  • केजरीवाल को शिवसेना और NCP ने एक मजबूत और प्रतिबद्ध नेता के रूप में देखा था। कई मौके पर शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने AAP की मदद की और इसके नेताओं ने भी BJP के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और रैलियों में भाग लिया।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानSun, 9 Feb 2025 10:24 AM
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केजरीवाल के हारते ही टेंशन में उद्धव और शरद पवार, जानें महाराष्ट्र में दिल्ली के नतीजों का क्या असर

दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) की हार ने महाराष्ट्र में शिवसेना (UBT) और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) को भी तगड़ा झटका दिया है। दिल्ली चुनाव में भाजपा की जीत ने न केवल राजधानी में बल्कि महाराष्ट्र में भी उत्सव का माहौल बना दिया। महाराष्ट्र में हालांकि आप का कभी बड़ा चुनावी आधार नहीं रहा, लेकिन शिवसेना (UBT) और NCP (एसपी) ने केजरीवाल में एक मजबूत और प्रतिबद्ध नेता देखा था। जो BJP के केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ आवाज उठाने का साहस रखते थे। उद्धव ठाकरे, शरद पवार और AAP के नेता अक्सर INDIA गठबंधन में एक साथ दिखते थे, ताकि अपने-अपने राज्यों में भाजपा का मुकाबला किया जा सके।

अरविंद केजरीवाल का महाराष्ट्र से जुड़ाव 2011-12 में देशव्यापी भ्रष्टाचार विरोधी अभियान से जुड़ा हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने पुणे जिले के रालेगांव से इसका नेतृत्व किया था। उस समय अरविंद केजरीवाल, शांति भूषण, प्रशांत भूषण, किरण बेदी, मेधा पाटकर, स्वामी अग्निवेश, और अन्य सामाजिक कार्यकर्ता भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे और लोकपाल विधेयक को पारित करने की मांग कर रहे थे।

अब अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल के बीच मतभेद बढ़ चुके हैं। अन्ना ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में AAP के खिलाफ वोट डालने की अपील की थी। उन्होंने कहा था, "एक नेता को हमेशा निस्वार्थ और ईमानदार होना चाहिए। अगर आपको लोगों का समर्थन चाहिए तो ये आवश्यक गुण हैं।"

केजरीवाल को शिवसेना और NCP ने एक मजबूत और प्रतिबद्ध नेता के रूप में देखा था। कई मौके पर शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने AAP की मदद की और इसके नेताओं ने भी BJP के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और रैलियों में भाग लिया।

जब बीजेपी ने 'ऑपरेशन लोटस' के तहत शिवसेना और NCP को तोड़ा, AAP के नेता केंद्र और महाराष्ट्र दोनों जगहों पर BJP के खिलाफ मोर्चा खोलने में आगे थे। केजरीवाल ने जब केंद्र द्वारा एक कानून लाकर ग्रुप A अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को नियंत्रित करने की कोशिश की तब वह उद्धव ठाकरे से समर्थन मांगने के लिए मातोश्री गए थे।

AAP की दिल्ली विधानसभा चुनावों में हार ने शिवसेना (UBT) और NCP (SP) को न केवल चौंका दिया, बल्कि यह उन दोनों दलों के लिए एक बड़ा निराशा का कारण बन गया। शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने कहा, "BJP ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में वही रणनीति अपनाई जो उसने महाराष्ट्र में अपनाई थी, जैसे केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से केजरीवाल को परेशान करना, पार्टी नेताओं को गिरफ्तार करना और फर्जी मतदाता सूची बनाना।"

शिवसेना और NCP का अगला कदम?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में हार के बाद क्षेत्रीय दलों ने उम्मीद जताई थी कि AAP BJP के खिलाफ मजबूत रहेगी, लेकिन दिल्ली में हार के बाद वह उम्मीद टूट गई। अब मुंबई और महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय चुनावों, विशेष रूप से बृहन्मुंबई महानगर पालिका (BMC) चुनावों को लेकर उद्धव ठाकरे के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। यह चुनाव उनके राजनीतिक नेतृत्व और पार्टी की पहचान के लिए एक ‘करो या मरो’ स्थिति होगी।

BJP की विजय पर आत्मविश्वास

बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा, "बीजेपी एक जीत की लकीर पर है। हरियाणा और महाराष्ट्र में सफलता के बाद दिल्ली में भी जीत हासिल हुई है। यह साफ संकेत है कि लोग पार्टी और नरेंद्र मोदी तथा अमित शाह के नेतृत्व में विश्वास करते हैं। हम बिहार विधानसभा चुनाव भी जीतेंगे।"

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