लोकसभा चुनाव में झटके के बाद बीजेपी ने कैसे की वापसी, महाराष्ट्र में महायुति की जीत की 5 वजहें
- Maharashtra Results: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की जीत के कई कारण हैं, जिसमें लाडली बहन योजना, हिंदुत्व वोटरों को एक साथ लाना, सीएम योगी और पीएम मोदी के नारे समेत अन्य शामिल हैं।
Maharashtra Election Result: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों का ऐलान हो रहा है। बीजेपी के नेतृत्व वाला महायुति गठबंधन फिर से सरकार बनाने की ओर है। बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी (अजित पवार) ने चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए 220 से ज्यादा सीटों पर बढ़त हासिल कर ली है। महाविकास अघाड़ी (एमवीए) का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा और महज 55 सीटों पर ही आगे चल रही। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले जून में आए लोकसभा चुनाव के नतीजों में महायुति को राज्य में करारा झटका लगा था, जिसके बाद सवाल उठने लगे थे कि क्या महायुति विधानसभा चुनाव में वापसी कर पाएगी? आम चुनाव में महाराष्ट्र में कांग्रेस 13 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) ने 9 और शरद पवार की एनसीपी ने 8 सीटें जीती थीं। अजित पवार की एनसीपी महज एक शिवसेना सात और बीजेपी सिर्फ नौ सीटों पर ही सिमट कर रह गई थी। अब विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए महज छह महीनों में ही हारी हुई बाजी को जीती हुई बाजी में बदल दिया है। विधानसभा चुनाव में महायुति की जीत के कई कारण हैं, जिसमें लाडली बहन योजना, हिंदुत्व वोटरों को एक साथ लाना, सीएम योगी और पीएम मोदी के नारे समेत अन्य शामिल हैं।
लाडली बहना योजना ने कर दिया कमाल
लाडली बहना योजना के जरिए से महायुति सरकार ने राज्य की महिलाओं को साधा। हर महीने दो करोड़ से ज्यादा महाराष्ट्र की महिलाओं के खाते में 1500 रुपये की राशि पहुंची, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से मदद मिली। माना जा रहा है कि इस योजना के चलते महिलाओं का एकतरफा वोट महायुति के पक्ष में गया। शिंदे सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को योजना का लाभ मिले, इस पर काम किया और अब चुनाव में इसका असर भी दिखाई दिया। महाराष्ट्र से पहले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी इसी योजना ने बीजेपी को बंपर जीत दिलवाई थी।
हिंदुत्व वोटरों को एकजुट करने में रही कामयाब
लोकसभा चुनाव में संविधान के मुद्दे पर गच्चा खाई बीजेपी ने इस बार फूंक-फूंक कर कदम रखा। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुई हिंसा के बाद यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने बंटोगे तो कटोगे का नारा दिया तो पीएम मोदी ने एक हैं तो सेफ हैं का नारा देकर साफ कर दिया कि पार्टी हिंदुत्व वोटरों को एकसाथ करने की कवायद कर रही है। जो वोट लोकसभा चुनाव के समय जातियों में बंट गया तो वह विधानसभा चुनाव आते-आते पीएम मोदी और सीएम योगी जैसे नेताओं के नारों से हिंदुत्व वोटों में एकजुट हो गया। बीजेपी की यह एकजुट करने की कोशिश सफल हुई और विधानसभा चुनाव में जमकर वोट पड़े। चुनाव के समय जो महायुति और एमवीए की लड़ाई टक्कर की मानी जा रही थी, वह नतीजों में एकतरफा महायुति के पक्ष में हो गई।
पीएम मोदी का मैजिक बरकरार
पिछले दस सालों में बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही ज्यादातर चुनाव लड़ रही है। लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनावों तक, बीजेपी को पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने से जबरदस्त फायदा हुआ है। हालांकि, अप्रैल-मई और जून के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा और बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई, लेकिन इससे बीजेपी ने सीख लेते हुए रणनीति बनाई और फिर पहले हरियाणा और अब महाराष्ट्र में चुनाव जीतकर साबित कर दिया कि पीएम मोदी का मैजिक अब भी बरकरार है। राज्य में एकनाथ शिंदे सरकार की योजनाओं और केंद्र में पीएम मोदी की योजनाओं का महाराष्ट्र में भी जमकर फायदा हुआ है, जिससे वोटरों ने महायुति सरकार पर दोबारा भरोसा जताया।
सक्रिय मुख्यमंत्री की भूमिका में रहे शिंदे
महाराष्ट्र में जब 2022 में शिवसेना में फूट हुई और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने तो शुरुआत में लगा कि सबसे बड़ा दल होने की वजह से बीजेपी हावी रहेगी। सरकार के अहम फैसलों में शिंदे के बजाए बीजेपी की ही ज्यादा चलेगी, लेकिन पिछले ढाई सालों में जिस तरह एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र में हर वक्त जनता के लिए उपलब्ध रहकर सक्रिय मुख्यमंत्री की भूमिका निभाई, उससे जनता ने उनकी पार्टी पर जमकर भरोसा जताया। इसके साथ ही, चुनावी प्रचार के दौरान भी शिंदे काफी एक्टिव रहे और कई बार तो बिना रुके कई-कई रैलियों को लगातार संबोधित किया। इससे शिंदे ने उद्धव ठाकरे से अलग होने के बाद भी अपनी अलग छवि बनाने में कामयाबी हासिल कर ली।
एमवीए के पक्ष में नहीं गया मराठा आरक्षण मुद्दा
महाराष्ट्र में पिछले कुछ सालों से मराठा आरक्षण का मुद्दा काफी बड़ा बन गया। मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने कई बार विरोध प्रदर्शन किया, जिससे अटकलें लगाई जाने लगीं कि विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा बड़ा रोल निभा सकता है। जरांगे खुद मराठवाड़ा क्षेत्र से आते हैं, जहां पर लोकसभा की आठ सीटें थीं। इसमें से बीजेपी ने सात सीटें गंवा दी थीं, जिसके बाद एमवीए को उम्मीद थी कि इस रीजन में विधानसभा चुनाव में भी एमवीए को फायदा मिलेगा। विधानसभा चुनाव में जरांगे ने भी चुनावी मैदान में उतरने का मन बना लिया था, लेकिन बाद में उन्होंने यूटर्न लेते हुए चुनाव नहीं का फैसला किया। इस फैसले के बाद पूरे एमवीए खेमे में खुशी जताई जा रही थी, क्योंकि इससे उनके वोट कम हो सकते थे। हालांकि, अब चुनावी नतीजों में मराठा आरक्षण जैसे बड़े मुद्दे का भी एमवीए को ज्यादा फायदा मिलता नहीं दिख रहा है।