व्यापमं घोटाले के व्हिसलब्लोअर के खिलाफ जांच रोकने से इंकार, जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
पीठ ने कहा कि वह राय से सचिव लक्ष्मण सिंह मरकाम से बिना शर्त माफी मांगने को कह सकती है। पटवालिया ने कहाकि आरोपी को मामले में गिरफ्तार किया गया और जमानत दे दी गयी। मामले में जांच रुकनी नहीं चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने व्यापमं घोटाले में व्हिसलब्लोअर रहे एक डॉक्टर के कथित प्रश्न पत्र लीक को लेकर सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़े मामले में सोमवार को जांच में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के अवर सचिव के खिलाफ कथित मानहानि वाले पोस्ट के मामले में आरोप-पत्र दायर किये जाने की स्थिति में आनंद राय को उच्च न्यायालय में जाने की स्वतंत्रता दी।
जांच नहीं रोकेंगे
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहाकि वह इस स्तर पर मामले में जांच नहीं रोकेगी। पीठ ने संज्ञान लिया कि राय को 9 अप्रैल, 2022 को गिरफ्तार किया गया था और जमानत दी गयी थी। अवर सचिव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने शुरुआत में कहाकि आरोपी ने जानबूझकर अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया और उसे वॉट्सऐप ग्रुप पर डाल दिया। उन्होंने कहा कि राय नादान नहीं हैं और उन्हें भलीभांति पता है कि सचिव का नाम क्या है, लेकिन उन्होंने उनके उपनाम के बजाय एक अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया और उसे सोशल मीडिया पर डाल दिया।
माफी मांगने को कह सकते हैं
पटवालिया ने कहाकि मैं मुख्यमंत्री का अवर सचिव हूं। मेरा समाज में एक स्थान है। वह इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकते और उन्हें सोशल मीडिया पर नहीं डाल सकते। वह पहले एक राजनीतिक दल से जुड़े रहे हैं और उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं थीं और इसलिए उन्होंने जानबूझकर ऐसा किया। पीठ ने कहा कि वह राय से सचिव लक्ष्मण सिंह मरकाम से बिना शर्त माफी मांगने को कह सकती है। पटवालिया ने कहाकि आरोपी को मामले में गिरफ्तार किया गया और जमानत दे दी गयी। मामले में जांच रुकनी नहीं चाहिए। पीठ ने राय की तरफ से पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कहाकि उसने सोचा कि यह गिरफ्तारी से संरक्षण की अर्जी है, लेकिन वह स्तर तो निकल चुका है और उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया है।
चुनौती देने की स्वतंत्रतता
पीठ ने कहाकि अब, हम आपको यह स्वतंत्रता दे सकते हैं कि यदि जांच के बाद मामले में कोई आरोप-पत्र दायर किया जाता है तो आप उसे चुनौती दें। हम इस स्तर पर जांच नहीं रोक रहे। शीर्ष अदालत ने आठ अप्रैल को मामले में राय की अर्जी सुनने पर सहमति जताई थी। वकील सुमीर सोढी के माध्यम से दायर याचिका में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 4 अप्रैल, 2022 के आदेश को चुनौती दी गयी है। जबलपुर स्थित उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी रद्द करने की उनकी अर्जी को खारिज कर दिया था।
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