अंधेरे में रखा, बचाई जा सकती थी जान... कूनो में चीतों की बैक टू बैक मौत पर एक्सपर्ट को किस बात का मलाल?
इस समिति में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ शामिल हैं। ये एक्सपर्ट राष्ट्रीय चीता परियोजना संचालन समिति के सदस्य हैं। चीतों को विदेश से भारत लाने के क्रम में इस समिति का मुख्य योगदान था।
Kuno Cheetah Death: मध्य प्रदेश का कूनो नेशनल पार्क एक बार फिर सुर्खियों में है। बुधवार सुबह कूनो से एक बुरी खबर आई। तिब्लिसी नाम की एक मादा चीते की मौत हो गई। साल 2023 के मार्च से लेकर अब तक कुल छह वयस्क चीतों की जान जा चुकी है। वहीं भारत में जन्मे चार शावकों में से तीन शावकों की भी मौत हो चुकी है। यानी कूनो में अब तक 9 चीतों की जान जा चुकी है। यह आंकड़े मन को उदास करने वाले हैं। दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से आए चीतों की इस तरह बैक टू बैक मौत के बाद कई तरह के सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। वहीं एक्सपर्ट की समिति ने सुप्रीम कोर्ट को एक पत्र लिख कर भारी नाराजगी जताई है।
एक्सपर्ट की इस समिति में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञ शामिल हैं। ये एक्सपर्ट राष्ट्रीय चीता परियोजना संचालन समिति के सदस्य हैं। चीतों को विदेश से भारत लाने के क्रम में इस समिति का मुख्य योगदान था। समिति ने सुप्रीम कोर्ट को लिखे पत्र में कहा कि हमें अंधेरे में रखा गया। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट ने लेटर में यह भी बताया कि चीतों की मौत को रोका जा सकता था।
लेटर में एक्सपर्ट ने कहा कि चीतों की अगर बेहतर निगरानी की जाती तो इतनी मौतें नहीं होतीं। साथ ही चीतों को अगर समय पर सही चिकित्सा (मेडिकल सुविधा) मिला होता तो ऐसा नहीं होता। लेटर में गुस्सा जाहिर करते हुए कहा गया कि क्या एक्सपर्ट को केवल दिखावे के लिए रखा गया है? यानी एक्सपर्ट की समिति ने यह बताया कि अगर और बेहतर निगरानी की गई होती और अच्छी मेडिकल सुविधा दी गई होती तो चीतों की जान बचाई जा सकती थी।
बता दें कि बीते दो दिनों से तिब्लिसी मादा चीते की लोकेशन नहीं मिल रही थी। बुधवार सुबह उसकी लाश बरामद की गई। 9 चीतों की मौत के बाद कूनो में अब केवल 14 चीते ही बचे हैं। गौरतलब है कि पिछले साल नामीबिया से आठ चीते लाए गए थे। प्रोजेक्ट चीता के ही तहत मार्च 2023 में भी 12 चीते और लाए गए। विदेश से आए इन चीतों में से एक ने चार शावकों को जन्म भी दिया था। हालांकि इनमें से तीन की मौत हो गई। कूनो में जिंदा बचे 14 चीतों में से एक शावक भी है।
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