केजरीवाल का झाड़ू, औवैसी भी बन सकते हैं काम 'बिगाड़ू', MP में यूं बदल रहा खेल
आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में मजबूत दस्तक दी है। पार्टी ने जहां सिंगरौली में मेयर का चुनाव जीता है तो 40 वार्ड में पार्षद का पद हासिल करते हुए राज्य में तीसरी ताकत के उभरने का संकेत दिया है।
मध्य प्रदेश में शहरी निकाय चुनाव के बाद जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस अपनी-अपनी जीत के दावे करते हुए जश्न में जुटे हैं तो आम आदमी पार्टी (आप) के लिए भी प्रदेश में खुशी की वजहें कम नहीं हैं। अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने इस चुनाव में मजबूत दस्तक दी है। पार्टी ने जहां सिंगरौली में मेयर का चुनाव जीता है तो 40 वार्ड में पार्षद का पद हासिल करते हुए राज्य में तीसरी ताकत के उभरने का संकेत दे दिया है। पार्टी ने करीब 4 दर्जन सीटों पर दूसरा स्थान हासिल किया है। वहीं, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी दस्तक दे दी है।
17 जुलाई को पहले चरण की गिनती में 'आप' ने सबको चौंकाते हुए सिंगरौली नगर निगम में मेयर के पद पर कब्जा कर लिया। यहां पार्टी प्रत्याशी रानी अग्रवाल ने जीत हासिल की। 2 जुलाई को खुद पार्टी संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनके लिए प्रचार किया था। सिंगरौली में मेयर पद के अलावा पार्टी ने 17 जिलों में जीत हासिल की। दूसरे चरण की काउंटिंग में भी 'आप' को 23 वार्ड में जीत हासिल हुई है। इस तरह पार्टी ने एक मेयर पद के अलावा 40 वार्ड में 'झाड़ू' चलाया है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो बीजेपी और कांग्रेस के लिए मध्य प्रदेश में अब 'आप' को नजरअंदाज करना मुश्किल होगा। ग्वालियर का उदाहरण देकर कहा जा रहा है कि पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में भले ही सत्ता या विपक्ष का स्थान छीनने की स्थिति में ना आए, लेकिन वह कई सीटों पर खेल बिगाड़ सकती है।
AIMIM की एंट्री, 7 सीटों पर जीत
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी निकाय चुनाव के जरिए प्रदेश में अपने सियासी सफर की शुरुआत कर दी है। पार्टी के 7 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। पहले चरण की काउंटिंग में पार्टी के 4 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी तो दूसरे चरण में ओवैसी को खरगोन से सफलता मिली। रामनवमी पर सांप्रदायिक तनाव झेल चुके खरगोन में पार्टी को 3 वार्ड में जीत मिली है। दिलचस्प यह है कि पार्टी की एक हिंदू प्रत्याशी अरुणा उपाध्याय को भी जीत मिली है।
ओवैसी बढ़ाएंगे कांग्रेस की चिंता?
ओवैसी की एंट्री ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। अब तक राज्य में मुसलमानों के वोट पर अपना दावा जताती रही पार्टी को अब एआईएमआईएम से भी मुकाबला करना होगा। बुरहानपुर में भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार में ओवैसी की पार्टी अहम फैक्टर है। यहां ओवैसी की पार्टी को अच्छा खासा समर्थन मिला है और बीजेपी ने बेहद कम अंतर से जीत हासिल की। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में ओवैसी कांग्रेस की चिंता बढ़ा सकते हैं। यही वजह है कि पार्टी ने एआईएमआईएम को भाजपा की बी टीम के रूप में पेश करने में जुट गई है।
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