Hindi Newsमध्य प्रदेश न्यूज़Personal act is not binding for Special Marriage Act Madhya Pradesh High Court allows inter faith couple marriage

‘स्पेशल मैरिज एक्ट के लिए पर्सनल…’; MP हाईकोर्ट ने प्रेमी जोड़े के अंतरधार्मिक विवाह की दी अनुमति

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक प्रेमी जोड़े को अंतरधार्मिक विवाह करने की इजाजत दे दी है। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत जोड़े को विवाह करने की अनुमति दी है।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, भोपाल/जबलपुर। मोनिका पांडेFri, 20 Dec 2024 10:12 AM
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक प्रेमी जोड़े को अंतरधार्मिक विवाह करने की इजाजत दे दी है। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत जोड़े को विवाह करने की अनुमति दी है। बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि दोनों की शादी बिना किसी विवाद के संपन्न कराई जाए। शादी के बाद उन्हें एक महीने तक सुरक्षा मुहैया कराई जाए। इसके बाद पुलिस अधीक्षक उनकी सुरक्षा के संबंध में विचार कर निर्णय लें।

इंदौर की एक युवती और जबलपुर के एक पुरुष ने पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि उन्होंने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह के लिए कलेक्टर जबलपुर कार्यालय में आवेदन किया था।

हालांकि, युवती के पिता ने हाईकोर्ट में सिंगल जज बेंच के आदेश को रोकने के लिए अपील दायर की थी, जिसमें 12 नवंबर को उन्हें शादी करने की अनुमति दी गई थी और युवती को अपने फैसले पर विचार करने के लिए शेल्टर होम में रहने के लिए भी कहा गया था।

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अपील में कहा गया था कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत की गई शादी मुस्लिम एक्ट के तहत मान्य नहीं होगी। मुस्लिम समाज में अग्नि और मूर्ति की पूजा करने वालों से शादी मान्य नहीं है। मुस्लिम एक्ट में चार शादियों को मान्यता दी गई है, जबकि हिंदू मैरिज एक्ट में सिर्फ एक शादी को मान्यता दी गई है। अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने शादी पर रोक लगा दी थी।

डिवीजन बेंच ने गुरुवार को अपील पर सुनवाई के बाद इसे खारिज कर दिया और अपने आदेश में कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 4 के तहत हर जोड़े को धर्म, जाति या समुदाय से अलग विवाह करने का संवैधानिक अधिकार है।

हाईकोर्ट ने कहा, "पर्सनल लॉ एक्ट विशेष विवाह अधिनियम पर बाध्यकारी नहीं है। विवाह में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए। विवाह का विरोध करने वालों के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। पुलिस को शादी के एक महीने बाद तक सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया गया है। इसके बाद पुलिस अधीक्षक को उनकी सुरक्षा के संबंध में निर्णय लेने का आदेश दिया गया है।"

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने मैरिज रजिस्ट्रार को बिना किसी देरी या बाधा के विवाह की कार्यवाही आगे बढ़ाने का भी निर्देश दिया।

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