महाकुंभ में आई एक और सुंदर 'साध्वी' हुईं वायरल, जानिए कौन हैं ये और कहां से आई हैं?
- संस्कृत में एमए की पढ़ाई कर चुकीं वर्षा मछली-बंदर आश्रम से जुड़ी हैं। इनके गुरु यमुनानगर हरियाणा में ऋषि कुलम विद्यापीठ चलाते हैं। वर्षा कहती हैं कि संस्कृत की पढ़ाई के बाद ही उनके अंदर सनातन और अध्यात्म के प्रति रुझान बढ़ा।
प्रयागराज में जारी महाकुंभ से हर रोज नई-नई तस्वीरें सामने आ रही हैं, जिनके जरिए लोगों को श्रद्धा और भक्ति के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं। एक तरफ महाकुंभ में देश भर से आए साधु-संत लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, तो दूसरी तरफ अलग-अलग क्षेत्रों से पहुंचे श्रद्धालु भी यहां चर्चा में बने हुए हैं। पहले मॉडल हर्षा रिछारिया और आईआईटी बाबा अपने अलग अंदाज की वजह से देशभर के मीडिया में छा गए, तो वहीं अब मध्य प्रदेश की रहने वाली एक सुंदर 'साध्वी' भी यहां अपने क्रियाकलापों से लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं। महाकुंभ के दौरान संगम की रेत पर अक्सर साधना करते हुए दिख रहीं इन 'साध्वी' का नाम वर्षा सोनवाले है और ये कल्पवास के लिए यहां आई हैं।
हालांकि वर्षा अपने आपको साध्वी मानने से इनकार करती हैं, और कहती हैं कि मैं आध्यात्मिक जरूर हूं लेकिन इसके बावजूद मैं कंपनी चला रही हूं और साथ ही साथ मॉडलिंग भी कर रही हूं। वर्षा मूल रूप से मध्य प्रदेश की रहने वाली हैं और फिलहाल पुणे में आईलैश क्लिनिक चला रही हैं। समाचार चैनल इंडिया टीवी से बात करते हुए वर्षा ने बताया कि उनका जन्म मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में हुआ है और उन्होंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई इंदौर के देवी अहिल्याबाई विश्व विद्यालय से पूरी की है। उन्होंने इंदौर के IIPS कॉलेज से MBA की डिग्री ली है, साथ ही राष्ट्रीय संस्कृत विद्यालय से संस्कृत में MA की पढ़ाई भी की है। वे पार्ट टाइम मॉडल भी हैं और हफ्ते में एक दिन इस काम को देती हैं।
न्यूज चैनल से बात करते हुए वर्षा ने कहा कि 'कुंभ का मतलब घड़ा होता है, जो कि संस्कृत का शब्द है, जिसे हम मटका, कलश, पॉट या पानी रखने का बर्तन भी कहते हैं। तो ऐसे में यहां आने वाले इंसान का अनुभव इस बात पर निर्भर करेगा कि आप अपना मटका कितना खाली लेकर आते हैं।' वर्षा ने कहा कि 'यहां आप अपना कलश भरकर लाओगे या जितना खाली लेकर आओगे, उतना आप यहां से अनुभव भरकर लेकर जाओगे।'
बिजनेस, मॉडलिंग और अध्यात्म तीनों चीजों को एकसाथ मैनेज करने के सवाल पर वर्षा ने कहा, 'आध्यात्मिक होने का यह मतलब नहीं है कि मैं अपना सबकुछ छोड़कर यहां आ गई हूं। मैं अभी भी मॉडलिंग करती हूं, मैं पहले भी मॉडलिंग करती थी। जब मैं मॉडलिंग करती थी तब भी मैं आध्यात्मिक थी, मैं उससे पहले भी आध्यात्मिक थी। मैं आज भी आध्यात्मिक हूं। वैसे भी आध्यात्मिक होना एक तरह की यात्रा है, वो आपके साथ जीवनभर चलती है।'
वहीं अध्यात्म के साथ सांसारिक जीवन में सामंजस्य बैठाने को लेकर वर्षा ने कहा 'यह तो आप पर निर्भर है कि आप अपनी वर्क लाइफ को कैसे बैलेंस करते हो। आपको लाइफ को कैसे बैलेंस रखना है। मैं क्लिनिक्स चलाती हूं, मैं मैनेजिंग डायरेक्टर हूं, मैं सारा मैनेजमेंट देखती हूं। मैं हफ्ते में एक बार मॉडलिंग के प्रोजेक्ट्स करती हूं। साथ ही मैं संस्कृत की पढ़ाई करने का टाइम भी निकालती हूं।'
वर्षा सानवाले को सनातन धर्म के प्रति विशेष रूचि है, साथ ही उन्हें तीर्थ नगरी में रहकर समय बिताना और स्वयं की खोज करना भी बेहद पसंद है। पिछले साल होली के वक्त पर भी वे करीब 10 दिनों के लिए वाराणसी गई थीं। उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स पर एक तरह जहां उनके मॉडलिंग से जुड़े फोटोज देखने को मिल जाएंगे, वहीं साथ ही धर्म में उनकी रुचि दिखाते फोटोज भी नजर आ जाएंगे।
वर्षा का कहना है कि फिलहाल उनका मॉडलिंग छोड़ने का कोई इरादा नहीं है क्योंकि इसमें उनकी बहुत रुचि है। उन्होंने कहा कि, 'मैं मॉडलिंग को बिल्कुल जारी रखूंगी। मैं हफ्ते में एक बार और महीने में चार बार, अपने क्लिनिक से, संस्कृत से, अपने आप से समय निकालकर मॉडलिंग जरूर करती हूं। क्योंकि मुझे लगता है कि जिन चीजों में आपकी रुचि है, उन्हें आपको नहीं छोड़ना चाहिए। मुझे मॉडलिंग में इंट्रेस्ट है इसलिए मैं उसे कभी नहीं छोड़ूंगी, जितना हो सकेगा मैं उसे करती रहूंगी।'
संस्कृत में एमए की पढ़ाई कर चुकीं वर्षा काशी के मठ मछली-बंदर आश्रम से जुड़ी हैं। इनके गुरु यमुनानगर हरियाणा में ऋषि कुलम विद्यापीठ चलाते हैं। वर्षा का मानना है कि संस्कृत की पढ़ाई के बाद ही उनके अंदर सनातन और अध्यात्म के प्रति रुझान बढ़ा।
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