विवेक तन्खा मानहानि केस: शिवराज, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह को झटका, HC ने खारिज की याचिका
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर से भाजपा नेताओं को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा मानहानि मामले में एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा सांसद विष्णु दत्त शर्मा और विधायक भूपेन्द्र सिंह की याचिका को खारिज कर दिया है।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर से भाजपा नेताओं को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा के मानहानि मामले में एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री तथा प्रदेश पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णु दत्त शर्मा और विधायक तथा पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह की याचिका को खारिज कर दिया है। अब तीनों ही नेताओं को ट्रायल के दौरान जिला कोर्ट में उपस्थित होना पड़ेगा। साथ ही अपना जवाब भी पेश करना होगा।
दरअसल, साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने एमपी में पंचायत चुनाव में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी। इस दौरान विवेक तन्खा ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पंचायत और निकाय चुनाव में रोटेशन और परिसीमन को लेकर पैरवी की थी। बीजेपी नेताओं ने विवेक तन्खा को ओबीसी विरोधी बताते हुए उनके खिलाफ बयानबाजी की थी।
जबलपुर एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री तथा प्रदेश पूर्व सीएम शिवराज, वीडी शर्मा और विधायक भूपेन्द्र सिंह के खिलाफ अपराधिक अवमानना का प्रकरण दर्ज करते हुए उसने खिलाफ समन जारी किये थे। तीनों राजनेताओं ने उक्त आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट की शरण लेते हुए तीन याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों का हवाला देते हुए अपने आदेश में कहा है कि मामले पर संज्ञान लेने से पूर्व न्यायालय को सिर्फ यह देखना आवश्यक है कि उनके समक्ष प्रस्तुत सामग्री पर्याप्त है या नहीं। सामग्री के आधार पर दोषसिद्धि के लिए पर्याप्त सामग्री के संबंध में सुनवाई के बाद फैसला लिया जाता है। एकलपीठ ने उक्त आदेष के साथ दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया।
क्या है मामला
मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे शिवराज के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने विवेक तन्खा को लेकर एक बयान दिया था। जिसमें उन्हें ओबीसी विरोधी बताया था। इस मामले में तन्खा ने तीनों नेताओं पर 10 करोड़ रुपए की मानहानि का दावा करते हुए जबलपुर जिला कोर्ट में केस दायर किया था। उन्होंने बताया था कि भाजपा नेताओं ने उन्हें ओबीसी विरोधी बताया, इससे उनकी छवि धूमिल हुई है। तन्खा के 10 करोड़ के मानहानि दावे को शिवराज, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। याचिका में कोर्ट से मांग की गई थी कि ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाई जाएं। यह केस एक साल से चल रहा था।
एमपी एमएलए विशेष कोर्ट ने 20 जनवरी को तीनों के खिलाफ मानहानि का प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए थे। जिसके खिलाफ तीनों नेताओं ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए शिवराज, वीडी शर्मा और भूपेन्द्र सिंह के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के निर्देश देते हुए उपस्थिति के लिए समन जारी किये थे। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
याचिकाकर्ता की ओर से तर्क
याचिकाकर्ताओं की तरफ से सुनवाई के दौरान तर्क दिया गया था कि प्रकरण दर्ज किये जाने के लिए अपर्याप्त सामग्री है। सिर्फ अखबारों की कतरन के आधार पर मामला दर्ज करने के आदेश जारी किये गए हैं। जिस अखबारों में रिपोर्ट छपी थी उनके पत्रकार को गवाह नहीं बनाया गया। इसके अलावा सोशल मीडिया में जो सामग्री अपलोड की गयी, उसकी प्रमाणिता के लिए फार्म 65 बी प्रस्तुत नहीं किया गया। पूरा मामला सिविल प्रकृति है और मानहानि का दावा किया जा सकता है। आपराधिक प्रकरण का कोई मामला नहीं बनता है। हाईकोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी की कोर्ट ने 21 सितंबर को सुनवाई की। इस दौरान राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा का पक्ष सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने रखा था। कोर्ट ने ऑर्डर को सुरक्षित रख लिया। रिजर्व ऑर्डर पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को हाईकोर्ट ने तीनों भाजपा नेताओं की याचिका खारिज कर दी।
रिपोर्ट विजेन्द्र यादव
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