अगर पुरुषों को भी पीरियड्स होते तो समझ आता; सुप्रीम कोर्ट की MP हाई कोर्ट को फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने 6 महिला सिविल जजों की सेवाएं समाप्त करने के मामले में कहा, डिसमिस डिसमिस कहकर घर जाना बहुत आसान है। हम भी इस मामले को विस्तार से सुन रहे हैं। क्या वकील हमें भी स्लो कहेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को फटकार लगाई है। मामला 6 महिला सिविल जजों की सेवाएं समाप्त करने और दो महिला जजों की सेवा बहाल ना करने से जुड़ा है। इन महिला जजों की सर्विस जिस तरीके से टरमिनेट की गई और उनमें से कुछ की सेवाएं बहाल करने से भी इनकार कर दिया गया, उसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने एमपी हाई कोर्ट को लताड़ा है। मामले की सुनवाई जस्टिस बीवी नागरत्ना और एन कोटिस्वर सिंह की पीठ कर रही थी। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, काश पुरुषों को भी पीरियड्स होते, तब उन्हें समझ में आता। उन्होंने कहा डिसमिस डिसमिस कहकर घर जाना बहुत आसान है। हम भी इस मामले को विस्तार से सुन रहे हैं। क्या वकील हमें भी स्लो कहेंगे।
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ित हैं, तो यह कहकर उन्हें घर नहीं भेज सकते कि वह स्लो हैं। पुरुष न्यायाधीशों और न्यायिक अधिकारियों के लिए भी एक जैसे मानदंड होने चाहिए, हम तब देखेंगे, और हम जानते हैं कि क्या होता है। आप जिला न्यायपालिका के लिए टारगेट यूनिट कैसे बना सकते हैं? मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।
क्या है मामला?
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर, 2023 को कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला न्यायाधीशों की सेवाएं समाप्त किये जाने के मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 23 जुलाई को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से न्यायिक अधिकारियों की सेवाएं समाप्त करने के उसके फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ ने एक अगस्त को अपने पूर्व प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों- ज्योति वरकड़े, सुश्री सोनाक्षी जोशी, सुश्री प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी, को कुछ शर्तों के अधीन बहाल करने का निर्णय लिया।
पीठ ने कहा था, “जहां तक दो अन्य अधिकारियों, यानी सरिता चौधरी और अदिति कुमार शर्मा का संबंध है, पहले के आदेशों और प्रस्तावों को रद्द नहीं किया गया है और पूर्ण पीठ ने उनके खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियों और अन्य सामग्रियों को एक सीलबंद लिफाफे में इस अदालत के समक्ष रखने का भी संकल्प लिया था।”
भाषा से इनपुट
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