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महाकुंभ में लगानी है डुबकी तो जान लें कैसे पहुंचे प्रयागराज संगम नगरी

Mahakumbh: महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने का प्लान है तो जान लें प्रयागराज पहुंचने का तरीका और साथ ही त्रिवेणी स्नान के लिए कैसे जाएं?

Aparajita लाइव हिन्दुस्तानWed, 8 Jan 2025 03:05 PM
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महाकुंभ में लगानी है डुबकी तो जान लें कैसे पहुंचे प्रयागराज संगम नगरी

13 जनवरी को पूर्णिमा के साथ ही महाकुंभ शुरू हो जाएगा। पूरे 12 साल बाद लगने वाले इस महाकुंभ मेले का हिंदू धर्म में खास महत्व है। देश और दुनियाभर के लोग महाकुंभ में आते हैं और गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में स्नान करते हैं। अगर इस साल 12 साल बाद लगने वाले महाकुंभ में जाने का प्लान बना रहे हैं तो जान लें कैसे पहुंचे प्रयागराज और साथ ही संगम नगरी में कैसे त्रिवेणी स्नान किया जा सकता है।

प्रयागराज कैसे पहुंचे

इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया है। यूपी के इस जिले तक पहुंचना बहुत आसान है। क्योंकि देश के लगभग सभी मुख्य शहरों से प्रयागराज रेलवे के जरिए जुड़ा हुआ है। प्रयागराज में जंक्शन के अलावा छिवकी, सूबेदारगंज, रामबाग जैसे रेलवे स्टेशन हैं। जहां पर अलग-अलग शहरों से आने वाली ट्रेनें रुकती हैं।

बाई रोड पहुंचना भी है आसान

दिल्ली से प्रयागराज के लिए कई बसें चलती हैं। जो दस से बारह घंटे में आसानी से प्रयागराज पहुंचा देती हैं। सिविल लाइंस बस स्टैंड पर ज्यादातर शहरों के लिए बसें आसानी से मिल जाती हैं। वहीं प्राइवेट ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी यहां है।

सभी खास शहरों से जुड़ा है एयरपोर्ट

प्रयागराज का एयरपोर्ट शहर से साढ़े सात किमी की दूरी पर है। जहां से डोमेस्टिक फ्लाइट आसानी से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, रायपुर, देहरादून, विलासपुर और लखनऊ के लिए मिलती है।

जंक्शन से महाकुंभ मेले की दूरी

प्रयागराज जंक्शन से त्रिवेणी संगम की दूरी लगभग 10 किमी की है। गंगा और यमुना के किनारों पर पूरे टेंट की नगरी बसायी जाती है। जहां तक पहुंचने के लिए शहर में आसानी से प्राइवेट और पब्लिक ट्रांसपोर्ट मिल जाते हैं। जो कुंभ मेले के करीब पहुंचा देते हैं। हालांकि महाकुंभ मेले में एंट्री के साथ ही पैदल ही रास्ता तय करना होता है।

त्रिवेणी स्नान के लिए कैसे जाएं

गंगा और यमुना नदी के घाटों से आसानी से नाव में बैठ कर त्रिवेणी स्नान किया जा सकता है। गंगा, यमुना और सरस्वती की अदृश्य धारा बिल्कुल बीचों बीच होती है। जहां तक जाने के लिए नाव का सहारा लिया जाता है। पूरे मेले में नदी में स्नान के लिए सेफ्टी का खास ध्यान रखा जाता है।

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