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त्रियुगीनारायण मंदिर में हुआ था भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह, जानिए यहां कैसे पहुंचे

  • How To Reach Triyuginarayan Temple: माना जाता है कि त्रियुगीनारायण मंदिर में भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। अगर सावन के महीने में आप इस जगह पर जाना चाहते हैं तो देखिए यहां पहुंचने का तरीका।

Avantika Jain लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 23 July 2024 07:09 PM
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सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है। कहा जाता है इस दौरान देवों के देव महादेव की पूजा सच्चे मन से करने पर हर मनोकामना पूरी होती है। माना जाता है कि भगवान शिव और मां पार्वती की शादी त्रियुगीनारायण मंदिर में हुई थी। ये मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में है। ये मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। ये मंदिर केदारनाथ के समान दिखता है। अगर आप भी इस मंदिर में जाना चाहते हैं तो जानिए यहां कैसे पहुंचे-

फ्लाइट से

जॉली ग्रांट हवाई अड्डा त्रियुगी नारायण गांव का सबसे पास हवाई अड्डा है। ये हवाई अड्डा दिल्ली से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। ये हवाई अड्डा सड़कों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से गुप्तकाशी, फिर त्रिजुगीनारायण गांव के लिए टैक्सियां मिलती हैं

ट्रेन से

त्रियुगीनारायण का सबसे पास रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। यहां से त्रियुगीनारायण 219 किमी दूर है। ऋषिकेश से गुप्तकाशी और फिर त्रियुगीनारायण के लिए टैक्सियां और बसें आसानी से मिल जाती हैं।

सड़क द्वारा

त्रियुगीनारायण मंदिर पहुंचने के लिए अपनी यात्रा हरिद्वार से शुरू करें। हरिद्वार से रुद्रप्रयाग 165 किलोमीटर दूर है ऐसे में यहां से टैक्सी या बस ले सकते हैं। सड़क की स्थिति और यातायात के आधार पर आपको लगभग 6-7 घंटे लग सकते हैं। फिर रुद्रप्रयाग से सोनप्रयाग तक पहुंचने के लिए टैक्सी किराए पर लें या स्थानीय बस लें, जो लगभग 70 किलोमीटर दूर है। फिर सोनप्रयाग से त्रियुगीनारायण मंदिर लगभग 5 किलोमीटर की दूर है। आप डायरेक्ट कैब से यहां जा सकते हैं। आप हरिद्वार के अलावा दिल्ली से भी डायरेक्ट इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

जाने का अच्छा समय

रुद्रप्रयाग में त्रियुगीनारायण मंदिर की यात्रा का सबसे अच्छा समय गर्मियों के मौसम की शुरुआत के दौरान होता है। अप्रैल से जून की गर्मियों के महीने जब तापमान 20 डिग्री सेल्सियस और 36 डिग्री सेल्सियस के बीच गिर जाता है। तब यहां तीर्थयात्रा के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है।

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