नवरात्रि में घर में कर रहीं देवी मां की आराधना तो इन छोटी बातों का रखें ध्यान
Navratri Puja Vidhi: 15 अक्तूबर से नवरात्र शुरू हो रहे हैं। अगर आप भी घर पर मां की पूजा-अर्चना करती हैं, तो इसका सही विधि-विधान जानना जरूरी है, कैसे करें पूजा बता रही हैं अंकिता त्रिवेदी
नवरात्र का त्योहार नौ दिनों तक चलता है। इन नौ दिनों में तीनों देवियों पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। पहले तीन दिन पार्वती के तीन स्वरूपों (कुमारी, पार्वती और काली), अगले तीन दिन लक्ष्मी माता के स्वरूपों और आखिरी के तीन दिन सरस्वती माता के स्वरूपों की पूजा की जाती है।
ऐसे करें पूजा
• पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें • तीन बार आचमन करें • संकल्प करें • कलश पूजन करने के बाद मां दुर्गा की पूजा करें • कुमकुम, अक्षत और पुष्प अर्पित करें • धूप-दीप प्रज्ज्वलित करें। • पंचामृत अर्पित करें • नारियल और पान के पांच पत्ते अर्पित करें • 5 इलायची और 5 लौंग अर्पण करें • 5 मौसमी फल चढ़ाएं • पंचमेवा समर्पित करें • पुष्पांजलि चढ़ाएं • कन्या, बटुक कर पूजा करें • कन्याओं को चुनरी दें • कुमकुम का तिलक, अक्षत लगाएं • फल, प्रसाद और दक्षिणा दें • कलावा बांधें, उपहार दें • मां की आरती करें • प्रसाद वितरण कर ग्रहण करें।
दुर्गा आराधना मंत्र का करें जाप
ऊं महादुर्गायै च विद्महे
शिवपत्न्यै च धीमहि
तन्नो दुर्गा: प्रचोदयात्
मां दुर्गा की आराधना के लिए इस मंत्र का 11, 28 या 108 बार तुलसी या चंदन की माला से जाप करें। अगर वक्त कम है, तो प्रसन्न और शांत मन से ग्यारह बार जपें।
क्या करें
• रंगोली-अल्पना बनाएं • आम्रपत्रों का वंदनवार बनाएं • मुख्यद्वार पर घी के दीपक जलाएं • सपरिवार आरती करें • प्रसाद वितरण करें • भोग लगाएं • भजन गाएं, स्तुति करें और कथा सुनें • पवित्रता बनाए रखें • स्वच्छता का ध्यान रखें • प्रसन्न रहें • मर्यादा में रहें • कुछ समय मौन रखें • आहार-विहार में संयम रखें।
क्या न करें
• दिन में न सोएं ’किसी के काम की निंदा न करें • किसी का अपमान न करें • किसी को भोजन कराए बिना भोजन न करें • सीमा का उल्लंघन न करें • किसी का दिल न दुखाएं ’चिंता न करें।
पूजन सामग्री
कुमकुम, पुष्प, दीप, अक्षत, धूप, केले के पत्ते, आम के पत्ते, अशोक के पत्ते, नारियल, पान, सुपारी, इलायची, लौंग, जायफल, जावित्री, केसर, सिंदूर, सुहाग की सामग्री, गोटे वाली लाल चुनरी, कलावा, मौली, पांच मौसमी फल, पंचमेवा, हलवा, खीर, पूरी, सब्जी, चना।
मां को प्रिय है लाल रंग
अब प्रश्न यह आता है कि लाल रंग ही दुर्गा के विभिन्न अवतारों को क्यों प्रिय है? वास्तव में नवग्रहों में लाल रंग सबसे प्रखर और ऊर्जा से भरपूर रंग है। लाल रंग का प्रतीक ग्रह मंगल होता है। जब देव-दानव युद्ध हुआ, तब मंगल ग्रह ने शक्ति रूपी दुर्गा को भ्रातृ सहयोग से जो संहारक शक्ति प्रदान की थी, उसमें लाल रंग का ही समावेश होता है। यानी प्रचंड दुर्गा की लाल आंखें, मांग में लाल सिंदूर, शरीर में लाल रंग के कपड़े और खड्ग, त्रिशूल तथा अन्य हथियार जो कि दानवों का निरंतर संहार कर रहे थे, वे भी रक्त रंजित यानी लाल रंग के ही हो गए थे।
आज के समय में नव दुर्गा यानी उपरोक्त नौ देवियां हमारे संस्कार एवं आध्यात्मिक संस्कृति के साथ जुड़ी हुई हैं। इन सभी देवियों को लाल रंग के वस्त्र, रोली, लाल चंदनर्, सिंदूर, लाल वस्त्र साड़ी, लाल चुनरी, आभूषण तथा खाने-पीने के सभी पदार्थ जो लाल रंग लिए हुए होते हैं, वही अर्पित किए जाते हैं। जब कलश की स्थापना की जाती है, तो उसके ऊपर भी लाल कपड़े में लिपटा हुआ नारियल रखा जाता है। लाल मौली से ही रक्षा बांधी जाती है। पूजा-अर्चना की सभी सामग्री जो कि देवी को समर्पित होती है, उसमें कहीं न कहीं लाल रंग का अवशेष इसलिए रखा जाता है कि पूजा अनुष्ठान में मंगल ग्रह की अनुकंपा बनी रहे। नवदुर्गाओं को उद्भव सूर्य भगवान की अपार शक्ति से हुआ था। सूर्य को रूद्र यानी अग्नि भी कहते है। अग्नि और रूद्र का स्पष्ट स्वरूप लाल ही होता है।
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