खुशहाल जिंदगी के लिए शौक जिंदा रखना है जरूरी, तनाव से लेकर आत्मविश्वास की कमी तक होगी दूर
महिलाएं जरूरत से ज्यादा व्यस्त हैं। उनके हिस्से आता है, घर-बाहर और परिवार की जिम्मेदारी के साथ तनाव और अवसाद भी। तमाम उतार-चढ़ाव के बीच उनके सुखद पल और शौक कब छूट जाते हैं, पता भी नहीं चलता। पर, क्या आप जानती हैं कि जिंदगी की खुशहाली के लिए आपके शौक भी जरूरी हैं, बता रही हैं दिव्यानी त्रिपाठी।
अवसाद, तनाव...ये शब्द आज की दौड़ती- भागती जिंदगी में बेहद आम हो चुके हैं। अब सवाल उठता है कि भला इससे निपटा कैसे जाए? जवाब एकदम सीधा है, आपका शौक आपको इस समस्या से निजात दिला सकता है। अब आप सोच रही होंगी भला वो कैसे? इस बाबत मनोचिकित्सक डॉ. स्मिता श्रीवास्तव कहती हैं कि तनाव, अवसाद, आत्मविश्वास में कमी सरीखी तमाम समस्याओं को कम करने या उनके होने की आशंकाओं को खत्म करने के लिए जरूरी है, आपका खुश रहना। और आपका शौक आपकी इस जरूरत को पूरा कर देता है। जब हम अपने मन का काम करते हैं, तो शरीर में गुड हार्मोन्स का स्राव होता है, जिसे हम एंडोर्फिन कहते हैं। यह वह हार्मोन है, जो हमारे व्यायाम करने या टहलने पर स्त्रावित होते हैं। यकीनन इनके फायदे के बारे में बताने की आवश्यकता नहीं है। अब अगर हम यह कहें कि इसकी जरूरत महिलाओं को ज्यादा पड़ती है, तो गलत नहीं होगा। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि महिलाओं के हिस्से पुरुषों की तुलना में ज्यादा अवसाद आता है। आंकड़े भी इस बात की तसदीक करते हैं। भारत में दस महिलाओं में से छह अपने जीवन काल में कभी न कभी गंभीर अवसाद के दौर से गुजरती हैं। लिहाजा, खुश रहने की जरूरत भी महिलाओं के हिस्से ज्यादा आती है, जिसमें उनकी मदद उनका शौक कर सकता है। जिसके लिए उन्हें अपनी व्यस्त दिनचर्या में से वक्त निकालना होगा। अपनी और अपनों की सोच में बदलाव लाना होगा ताकि वह कुछ नया सीख सकें, कुछ बेहतर कर सकें और कुछ बेहतर बन सकें।
क्या है शौक?
अब आप सोच रही होगीं कि भला ये कैसा सवाल है? शौक वही काम है जो आपको करना अच्छा लगता है। यह पढ़ने में ठीक लग सकता है। पर, क्या वास्तव में शौक सिर्फ इतना ही है? डॉ. स्मिता कहती हैं यकीनन शौक हम उसी काम को मानते हैं जो हमारे दिल को भाता है। पर, यहां एक और बात का होना भी जरूरी है कि वह काम ऐसा होना चाहिए, जो हमारी उत्पादकता, सकारात्मकता को बढ़ाने का काम करे। अगर आपकी दिनचर्या में इससे इतर कोई काम शामिल है, जो सिर्फ और सिर्फ आपके खाली वक्त को बिताने के लिए किया जा रहा है, तो वह शौक की श्रेणी में नहीं आएगा बल्कि वह आपको नकारात्मकता की ओर भी ले जा सकता है। जैसे खाली वक्त में आप मोबाइल चलाती हैं और उस पर रील्स देखती रहती है या यूं ही कुछ भी देखती रहती हैं, इससे बेहतर होगा कि आप उस दौरान कुछ ऐसा देखें जो आपकी उत्पादकता में इजाफा करें। आपको कुछ नया सीखने में मदद करे।
कैसे करें तय
अकसर खयाल आता है कि मुझे कुछ करना चाहिए, पर क्या? शौक को आगे बढ़ाने के पहले भी अकसर यह सवाल उठता है। ऐसे में आपको कुछ बातों को जेहन में रखना चाहिए ताकि आगे चलकर आपको अफसोस न होने पाए। इसके लिए आप उन दरवाजों के भीतर झांक सकती हैं, जो आप बढ़ती उम्र के साथ पीछे छोड़ आई थीं। जैसे आपको र्पेंंटग करना पसंद था, आप उस ओर सोच सकती हैं। मिट्टी के खिलौना बनाना भाता था, तो वह काम फिर से शुरू कर सकती हैं। यहां सिर्फ इतना ध्यान रखना है कि आप उस काम को करें जो आपको खुशी दे। उसे इसलिए न किया जाए कि अगर आप नहीं करेंगी तो वह काम बिगड़ जाएगा या वह आपकी जिम्मेदारी है। जैसे आप बागवानी करना सिर्फ इसलिए शुरू कर दें कि आप पेड़ों में पानी नहीं देंगी तो वह सूख जाएंगे। ऐसा चुनाव आपका बोझ बढ़ाएगा, कभी भी खुशी नहीं देगा। शौक खुशी देने के साथ ही मनोभावों को व्यक्त करने का भी काम करता है। लिहाजा, किसी काम को शौक के तौर पर चुनने के पहले अपने व्यक्तित्व का भी मूल्यांकन जरूर करें। जैसे आप अंतर्मुखी हैं और आपको र्पेंटग करना पसंद है, तो आप र्पेंंटग करना शुरू कर सकती हैं। आपको लोगों से बोलना, मिलना-जुलना, लोगों की मदद करना अच्छा लगता है, तो आप समाज सेवा में अपना सहयोग दे सकती हैं। आप कुछ नया भी खोज सकती हैं। मान लीजिए, आपको घूमना बहुत पसंद था, पर अब आप ऐसा नहीं कर पा रही हैं, तो बेहतर होगा कि परिस्थिति पर दोष देने के बजाय आप जो कर पा रही हैंं, उसमें खुशी खोजें और कुछ नया तरीका निकाल लें। आप अलग-अलग जगह घूमने नहीं जा सकतीं तो क्या? अगर आपको र्कुंकग पसंद है तो आप अलग-अलग व्यंजन को पकाना और खिलाना ट्राई कर सकती हैं। घर के बाहर जाकर काम नहीं कर सकतीं तो ऑनलाइन उस काम को किया जा सकता है। यहां जरूरत है, तो सिर्फ तरीका निकालने की।
शौक हक है तुम्हारा
शौक के लिए वक्त किसके पास है? हम तो अपने खाली वक्त में सो लेते हैं और हमें उतने से खुशी मिल जाती है। इस उम्र में क्या शौक? आपकी छुट्टी, आपकी खुशी, आपका शौक यह आपकी सामाजिक स्थिति, वर्ग, जाति और लिंग पर निर्भर करता है। अकसर महिलाओं के हिस्से शौक नहीं बल्कि यह सोच आती है। जिम्मेदारियां, फर्ज, बोझ, जवाबदेही सरीखी तमाम चीजों के साथ ही अपने वक्त का अधिकार भी हम महिलाओं को है। हमेें समझना होगा कि जब हम अपने शौक के बाद किसी काम को शुरू करते हैंं तो उसे नए उत्साह के साथ खत्म कर पाते हैं। अपने शौक के कारण हम खुद को ज्यादा उत्साही, आत्मविश्वासी और फोकस्ड पाती हैं। लिहाजा, आधी आबादी को यह समझना और मानना होगा कि यह उनके लिए बेहतर है और खुश रहने के इस तरीके को आजामाना होगा। साथ ही हमें लोगों को भी इस बात का अहसास भी कराना होगा कि हमारा वक्त और हमारा शौक न सिर्फ जरूरी है बल्कि उस पर हमारा पूरा हक भी है। हमेंं ग्लानि के बोझ को कम करके अपने और अपनों की तरक्की की ओर कदम बढ़ाना होगा ताकि हम भीतर से खुश रह सकें और दूसरों को खुश रख सकें।
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