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डिलीवरी के बाद न्यू मॉम को ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी इन दिक्कतों का करना पड़ता है सामना

World breastfeeding week 2024: हर साल अगस्त की पहली तारीख से लेकर 7 तारीख तक वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य महिलाओं को ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी तकलीफों और समाधान के प्रति जागरुक किया जा सके। अक्सर महिलाओं को इन कॉमन समस्याओं के बारे में नहीं पता होता।

Aparajita लाइव हिन्दुस्तानThu, 1 Aug 2024 04:42 PM
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1 अगस्त से लेकर 7 अगस्त तक ब्रेस्टफीडिंग वीक मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य महिलाओं में ब्रेस्टफीडिंग के फायदों को बताना है। साथ ही उनकी तकलीफों को भी समझना है। जिससे हर नई मां को गुजरना पड़ता है। अक्सर प्रेग्नेंसी के पूरे नौ महीने में मां का ध्यान अपने शरीर में बढ़ रहे पेट, वजन और उन तमाम दिक्कतों पर रहता है। जिसके बारे में डॉक्टर से कंसर्ट करती है। लेकिन ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी बातों को आज भी छोटे शहरों में या छोटे अस्पतालों में कोई जानकारी प्रेग्नेंट वुमन को नहीं दी जाती। जिसकी वजह से जैसे ही डिलीवरी होती है और नई मां को बच्चे को दूध पिलाने के लिए बोला जाता है। उसके लिए सबकुछ इतना नया होता है कि वो बहुत जल्दी हार मान लेती है या फिर बहुत सारा दर्द झेलती है। ऐसे में जानना जरूरी है कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और कैसे उनसे निपटा जा सकता है। जिससे ना केवल आसानी से मां बच्चे को दूध पिला सके बल्कि खुद को भी ब्रेस्टफीडिंग की मदद से हेल्दी रख सके।

खुद से नहीं निकलता है ब्रेस्ट मिल्क

बहुत सारी नई मां को डिलीवरी के बाद स्तनों से दूध निकलता होगा लेकिन ज्यादातर महिलाएं बच्चे के पैदा होने के बाद इस तकलीफ से गुजरती है कि उनके ब्रेस्ट में दूध होने के बाद भी वो बाहर नहीं निकलता। क्योंकि बच्चा बहुत छोटा होता है और उसे ठीक तरीके से पीने का अनुभव नहीं होता। ऐसे में जरूरी है कि नई मां की मदद अस्पताल की नर्स या घर की बुजुर्ग औरतों के जरिए की जाए। छोटे शहरों या अस्पतालों में ब्रेस्ट पंप की मदद कम ली जाती है। लेकिन नई मां के स्तनों को ठीक तरीके से दबाया जाए तो फौरन दूध निकलना शुरू हो जाता है। जिससे बच्चे के लिए पीना आसान हो जाता है और फिर वो आसानी से फीडिंग करना सीख जाता है।

निप्पल के आकार में बदलाव

बहुत सारी न्यू मॉम अपने निप्पलों के साइज को देखकर काफी घबरा जाती हैं। लेकिन ब्रेस्टफीडिंग के लिए जब शरीर तैयार होता है तो निप्पल के साथ ही आसपास का एरिया जिसे एयरोसोल कहते हैं, उसका रंग बदल जाता है। साथ ही ये एरिया काफी फैल जाता है। जिसे लेकर घबराना नहीं चाहिए। बल्कि समय के साथ बच्चा जब ठीक तरीके से ब्रेस्ट फीडिंग करता है तो ये घेरा और रंग दोनों नॉर्मल हो जाता है। एयरोसोल का बड़ा एरिया दिखाता है कि ब्रेस्ट में पर्याप्त मात्रा में मिल्क है।

निप्पलों में दर्द

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ज्यादातर न्यू मॉम को सोर निप्पल और दर्द का सामना करना पड़ता है। इस दर्द से निपटने के लिए बेझिझक दवा लगानी चाहिए। लेकिन साथ ही उसकी सफाई का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए। हर बार जब बच्चे को ब्रेस्टफीड कराना हो तो गर्म पानी और सोप की मदद से उस दवा को साफ करें और फीड कराएं। इससे निप्पल पर होने वाले घाव को भरने में आसानी होती है।

निप्पलों के दर्द से बचने के लिए करें ये काम

डिलीवरी के बाद छोटी बातें घर की बुजुर्ग महिलाएं बताती है जिन्हें अपनाने में भलाई होती है। जब भी बच्चे को फीड कराना हो तो थोड़े से दूध को निकालकर निप्पल पर लगा दें। इससे बच्चा आसानी से फीड कर पाता है साथ ही निप्पल में होने वाले घाव से भी बचाव होता है। क्योंकि ड्राई स्किन की वजह से रैशेज हो जाते हैं लेकिन जब स्किन मुलायम और चिकनी होगी तो घाव होने के चांस कम होंगे।

बच्चे को दोनों निप्पल से कराएं फीड

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान दोनों ब्रेस्ट से समान मात्रा में मिल्क निकलता है। ऐसे में नई मां को दोनों तरफ से बराबर मात्रा में फीड करवाना चाहिए। इससे ब्रेस्ट का साइज नहीं बिगड़ता। लगातार एक ही ब्रेस्ट से फीड कराने पर ब्रेस्ट टिश्यूज ढीले पड़ जाते हैं।

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