बच्चों के एग्जाम से पहले पेरेंट्स को बदलनी चाहिए अपनी ये आदतें, अच्छे नंबरों से होगा पास
परीक्षा का नाम सुनते ही बच्चों को घबराहट होने लगती है।परीक्षा में अच्छे प्रदर्शन के लिए घर का माहौल खुशनुमा होना जरूरी है। इसके लिए किन बातों का रखें ध्यान, बता रही हैं विनीता-
हर माता-पिता की यही इच्छा होती है उनका बच्चा पढ़ाई में सबसे आगे रहे। इसके लिए वे पूरी मेहनत भी करते हैं। इसी वजह से बच्चे की परीक्षा शुरू होने से पहले वे खुद भी बहुत ज्यादा तनावग्रस्त हो जाते हैं, लेकिन चिंतित होना किसी भी समस्या का समाधान नहीं। आपको यह समझना होगा कि आपको चिंतित देखकर आपका बच्चा भी तनाव और एंग्जायटी जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याओं के घेरे में आ सकता है। उन्हें इससे बचाने के लिए यह बहुत जरूरी है कि पहले आप अपनी आदतों और व्यवहार पर ध्यान देकर उनमें सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करें।
आपसे ही सीखते हैं बच्चे
पेरेंट्स ही बच्चों के रोल मॉडल होते हैं और उनके कोमल मन-मस्तिष्क पर बड़ों की बातों का बहुत गहरा असर पड़ता है। जब वे अपनी परीक्षा को लेकर घर में तनावपूर्ण माहौल देखते हैं, तो उनके मन में भी नकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होने लगता है। ठीक से पढ़ाई करो वरना अपने दोस्तों से पीछे रह जाओगे। अभी बहुत मेहनत की जरूरत है, उस हिसाब से तुम्हारी तैयारी अधूरी है। यही हाल रहा तो आगे रिवीजन के लिए समय नहीं बचेगा। अगर अभिभावक बच्चों के सामने बार-बार ऐसी बातें दोहराते हैं तो बच्चा भी मानने लगता है कि वह सममुच पढ़ाई में बहुत कमजोर है और धीरे-धीरे उनके मन में हीन भावना घर कर जाती है। बच्चों को उनकी जिम्मेदारी का अहसास जरूर दिलाएं, पर उनके सामने परीक्षा को हौव्वा न बनाएं। बच्चों को डराने के बजाय उन्हें अच्छी तरह तैयारी करने के लिए प्रोत्साहित करें। उनके साथ बातचीत के दौरान सकारात्मक वाक्यों का प्रयोग करें।
दिनचर्या हो व्यवस्थित
परीक्षा के दौरान बच्चों को तनावमुक्त रखने के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप उनके सोने-जागने और पढ़ाई के समय को सही ढंग से व्यवस्थित करें। हर बच्चे की आदतें दूसरे से अलग होती हैं, कुछ देर रात तक जागकर पढ़ना पसंद करते हैं, तो किसी को सुबह जल्दी उठकर पढ़ने की आदत होती है। आप अपने बच्चे की आदतों को पहचानें और उसे पढ़ने के लिए घर में सुविधाजनक माहौल दें। अगर वह रात को देर तक जाग कर पढ़ता है, तो सुबह जबरन बहुत जल्दी जागने का दबाव न बनाएं। आप उसे लिखकर याद करने को कहें, ऐसे अभ्यास से उसके लिखने की गति तेज होगी, भाषा और व्याकरण संबंधी गलतियों को सुधारने में भी मदद मिलेगी। पढ़ाई के दौरान बीच में ब्रेक लेना भी बहुत जरूरी है। कुछ बच्चे घंटों स्टडी टेबल पर ही बैठे रहते हैं, इससे उन्हें ज्यादा थकान और तनाव जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इससे बचाव के लिए बच्चे को शाम के वक्त थोड़ी देर खेलने के लिए घर से बाहर पार्क में जरूर भेजें। अच्छी मानसिक सेहत के लिए शारीरिक गतिविधियां बहुत जरूरी हैं। ब्रेक के बाद बच्चे खुद को तरोताजा महसूस करते हैं और उनके लिए दोबारा नये सिरे से पढ़ाई करने में आसानी होती है।
हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग है नुकसानदेह
हर पल रोक-टोक यानी हेलिकॉप्टर की तरह लगातार बच्चों के सिर पर मंडराते रहने की आदत उन्हें और ज्यादा तनावग्रस्त कर देती है। कुछ पेरेंट्स इसे अपनी ड्यूटी समझकर पूरी मुस्तैदी के साथ हर पल बच्चों की निगरानी में जुटे रहते हैं। इससे फायदे के बजाय नुकसान होता है, वे पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते। ऐसी समस्या से बच्चे को बचाने के लिए आप उन्हें शांतिपूर्वक अकेले बैठकर पढ़ने का मौका दें। हां, जब भी उन्हें मदद की जरूरत हो, तो मदद के लिए सदैव तैयार रहें। खासतौर पर बड़े बच्चों की पढ़ाई के लिए उन्हें पर्सनल स्पेस देना बहुत जरूरी है। अगर घर में दो बच्चे हैं तो बेहतर यही होगा कि आप उन्हें दो अलग कमरों में पढ़ने के लिए बिठाएं क्योंकि दोनों के पढ़ने का तरीका अलग होगा और छोटे भाई या बहन के कारण बड़े बच्चे की पढ़ाई में बाधा हो सकती है। बेशक बच्चों पर निगरानी रखना बहुत जरूरी है, पर इसके साथ ही आप उन पर थोड़ा भरोसा भी रखें, तभी उसे भी अच्छा महसूस होगा। अन्यथा, उसके मन में यह नकारात्मक भावना पैदा होगी कि मैं पूरी ईमानदारी से पढ़ाई करता हूं, फिर भी मम्मी मुझ पर शक करती हैं।
भावनात्मक सहयोग है जरूरी
परीक्षा के दौरान बच्चे बहुत संवेदनशील हो जाते हैं, इसलिए उनके साथ संतुलित व्यवहार अपनाएं। पढ़ाई के लिए अनुशासन जरूरी है, पर अपने प्यार भरे व्यवहार से बच्चे को हर पल इस बात का एहसास दिलाएं कि आप मदद के लिए हमेशा उसके साथ हैं। जब वह रिवीजन कर रहा हो तो आप उसके साथ बैठकर उससे सवालों के जवाब सुनाने को कहें, उसके लिए सवालों के सैंपल पेपर तैयार करके हल करने के लिए कहें। अगर वह निर्धारित समय सीमा के भीतर सभी सवालों के ही जवाब नहीं दे पाता तो डांटने के बजाय आप उसे दोबारा प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे उसका मनोबल बढ़ेगा और नये सिरे से अभ्यास करने को प्रेरित होगा। जब बच्चा परीक्षा देकर घर लौटे तो परीक्षा के बारे में उससे ज्यादा पूछताछ करने में समय बर्बाद करने के बजाय उससे कहें कि वह अगले दिन की तैयारी पर फोकस करे। इस तरह आपके भावनात्मक सहयोग से उसके लिए परीक्षा की तैयारी आसान हो जाएगी।
(चाइल्ड काउंसलर पूनम कामदार से बातचीत पर आधारित )
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