न्यू बॉर्न बेबी का वजन है कम तो देखभाल से लेकर इन तरीकों से बढ़ाएं
दुनिया भर में हर साल सामान्य से कम वजन वाले दो करोड़ से ज्यादा शिशु पैदा होते हैं। कम वजन उनकी सेहत और विकास दोनों पर असर डालता है। कैसे करें ऐसे शिशु की देखभाल ताकि उनका वजन बढ़े, बता रही हैं शमीम खान
अपने बच्चे के जन्म का इंतजार कर रहे अधिकांश माता-पिता की बस यही प्रार्थना होती है कि बेटा हो या बेटी, बस पूरी तरह से स्वस्थ हो। पर, कई दफा यह प्रार्थना सच साबित नहीं होती। नवजात से जुड़ी समस्याओं और चुनौतियों से सबसे आम चुनौती है, जन्म के वक्त शिशु का वजन औसत से कम होना। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जिन बच्चों का वजन जन्म के वक्त ढाई किलो से कम होता है, उन्हें लो बर्थ वेट बेबी (एलबीडब्ल्यु) माना जाता है। हमारे देश में 20 प्रतिशत नवजात शिशुओं का वजन सामान्य से कम होता है। ऐसा जरूरी नहीं है कि हमेशा समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे का ही वजन ही कम हो। 40 सप्ताह मां के गर्भ में गुजारने वाले बच्चों का वजन भी सामान्य से कम हो सकता है। ऐसे बच्चों की देखभाल और खानपान पर विशेष नजर रखने की जरूरत होती है। इन्हें संक्रमण और दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं की चपेट में आने का खतरा भी अधिक होता है। जिन नवजात शिशुओं का वजन 1.5 किलो से कम होता है, उन्हें तब तक एनआईसीयू (नवजात गहन देखभाल इकाई) में रखने की जरूरत होती है, जब तक उसका वजन थोड़ा बढ़ न जाए क्योंकि इतना कम वजन बच्चे के लिए घातक हो सकता है। ऐसे बच्चों का वजन बढ़ाने में किस तरह की रणनीतियां कारगर साबित हो सकती हैं, आइए जानें:
स्तनपान है सबसे प्रभावी
सभी बच्चों के लिए मां का दूध सबसे महत्वपूर्ण है, पर कम वजन वाले नवजातों के लिए यह अमृत से कम नहीं। मां का दूध पोषक तत्वों और एंटी बॉडीज से भरपूर होता है, जो बच्चों के शरीर के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए सलाह दी जाती है कि बच्चों को स्तनपान कराएं और अगर जन्म के समय बच्चे का वजन कम हो तो ऐसे बच्चों को जितने लंबे समय तक संभव हो स्तनपान करवाएं। ब्रेस्ट मिल्क में प्रोटीन और दूसरे आवश्यक पोषक तत्व मिलाकर इसे फोर्टिफाइड किया जाता है, इससे मां के दूध की पोषकता और कैलोरी की मात्रा दोनों बढ़ जाती है। ऐसे दूध के सेवन से बच्चे का वजन भी बढ़ता है और सेहत में भी सुधार होता है। अगर आपके नवजात शिशु का वजन कम है, तो उसे सामान्य बच्चों की तुलना में अधिक बार स्तनपान कराएं। कम वजन वाले बच्चे की एक बार में दूध पीने की क्षमता सामान्य वजन वाले शिशु से कम होगी, इसलिए वह एक बार में ज्यादा दूध नहीं पी पाएगा। अगर आप उसे थोड़ी मात्रा में अधिक बार दूध पिलाएंगी, तो इससे वजन बढ़ने में सहायता मिल सकती है।
गहन निगरानी है जरूरी
जिन नवजात शिशुओं का वजन कम होता है, उनके लिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि उनकी नियमित अंतराल पर जांच कराई जाए ताकि उनके वजन और शारीरिक विकास पर नजर रखी जा सके।
विशेषज्ञ से सलाह लें
कई बार बच्चे को स्तनपान करने में परेशानी होती है, इसका कारण मां या बच्चे के साथ कोई समस्या होना हो सकता है। ऐसी स्थिति में, प्रशिक्षित लैक्टेशन कंसल्टेंट या र्फींडग थेरेपिस्ट की सहायता लेना फायदेमंद हो सकता है।
संक्रमण से बचाएं
जन्म के समय जिन बच्चों का वजन कम होता है, उनके संक्रमित होने का खतरा उतना ज्यादा होता है। यह वजन बढ़ने में रुकावट बन सकता है। ऐसे में, बच्चे और उसके परिवेश की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। उसे बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचाएं।
जल्दबाजी न करें
नवजात शिशुओं का शरीर बहुत नाजुक होता है और जब उसका वजन कम रहे, तब तक इस तथ्य पर ध्यान देना महत्वपूर्ण होता है। इसलिए अपने बच्चे का वजन बढ़ाने में जल्दबाजी न करें। उसका वजन धीरे-धीरे व स्वस्थ्य तरीके से बढ़ने दें।
स्पर्श का असर
नवजात शिशु का अपनी मां के साथ बार-बार स्किन-टू-स्किन कॉन्टेक्ट यानी कंगारू मदर केयर उसके विकास और वजन को बढ़ाने में सकारात्मक भूमिका निभाता है। जब बच्चे की त्वचा सीधे मां की त्वचा के संपर्क में आती है, तो वह मां की भावनात्मक और शारीरिक गर्माहट को महसूस करता है, इससे वजन बढ़ने में मदद मिलती है।
कैलोरी के सप्लीमेंट्स
जन्म के समय जिन बच्चों का वजन कम होता है, उनके शरीर को विकसित होने के लिए अधिक मात्रा में कैलोरी की जरूरत होती है। अगर स्तनपान से उनकी ये जरूरत पूरी नहीं होती तो डॉक्टर उन उत्पादों/सप्लीमेंट्स को लेने की सलाह देते हैं, जिससे बच्चे को ज्यादा कैलोरी मिल सके।
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