गर्भधारण के लिए ये 5 दिन होते हैं बेस्ट, हेल्दी बच्चा पैदा करने में काम आएगी ये जानकारी
- गर्भधारण की योजना बना रही हैं, तो पहले इस मामले में अपनी जानकारियां बढ़ाएं ताकि आपको किसी चुनौती का सामना न करना पडे़। कौन-सी बातें इस सफर में आपकी साथी साबित होंगी, बता रही हैं शाश्वती
मां बनने का अहसास अपने-आप में खास होता है। पर, गर्भधारण करने से लेकर बच्चे के जन्म तक का यह सफर किसी भी महिला के लिए किसी ऊबड़-खाबड़ रास्ते की चढ़ाई से कम नहीं। इस सफर की शुरुआत से पहले आप गर्भधारण से लेकर बच्चे के प्रसव तक से जुड़ी अपनी जानकारियों में जितना ज्यादा इजाफा करेंगी, आपका सफर उतना ही आसान होगा। कौन-कौन सी जानकारियां नई जान को इस दुनिया में लाने की आपकी कोशिशों में मददगार साबित होंगी, आइए जानें:
जानिए, गर्भधारण का सटीक समय
आप लगातार गर्भधारण की कोशिश कर रही हैं, पर आपको उसमें सफलता नहीं मिल रही। जवाब अगर हां है, तो आपको इस विषय में अपनी जानकारी को और बढ़ाने की जरूरत है। एक अध्ययन के मुताबिक 78 प्रतिशत भारतीय महिलाओं को यह ही नहीं मालूम होता है कि गर्भधारण के लिए माह के पांच सबसे प्रभावी दिन कौन से हैं? गर्भधारण के लिए सबसे मुफीद दिनों को ओवुलेशन पीरियड कहते हैं। ओवरी से परिपक्व अंडाणु यानी एग रिलीज होने की प्रक्रिया को ओवुलेशन कहते है। यह प्रक्रिया हर महीने होती है। इस समय के आसपास एक महिला के गर्भधारण करने की संभावना सबसे अधिक होती है। आमतौर पर महिलाओं का मासिक चक्र यानी पीरियड 28 से 35 दिन का होता है। इस चक्र में कुछ विशेष दिन ही ओवुलेशन पीरियड में आते हैं। सामन्य रूप से महिला के पीरियड्स खत्म होने के 12 से 16 वें दिन का समय ओवुलेशन पीरियड कहलाता है। जब आपके गर्भधारण करने की संभावना सबसे अधिक होती है, इन संभावित दिनों को ओवुलेशन पीरियड कहा जाता है। पीरियड के दौरान जब ओवरी से एग निकलता है तब ओवुलेशन होता है। अब यह एग, स्पर्म से निषेचित (फर्टिलाइज) हो भी सकता है और नहीं भी। यदि एग फर्टिलाइज हो जाता है, तो आप गर्भधारण कर लेती हैं। वहीं अगर ऐसा नहीं होता है, तो एग टूट जाता है और पीरियड के दौरान यूटेराइन लार्इंनग पीरियड के ब्लड के रूप में शरीर से बाहर निकल जाती है।
पोषक तत्वों का साथ
गर्भधारण के लिए सिर्फ ओवुलेशन पीरियड की जानकारी ही काफी नहीं है। गर्भधारण की कोशिश शुरू करने से पहले शरीर में सेहतमंद भू्रण के रख-रखाव के लिए सभी जरूरी पोषक तत्वों की आपूर्ति भी जरूरी है। इन पोषक तत्वों में सबसे पहले नंबर पर है, फॉलिक एसिड। फॉलिक एसिड गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में सबसे महत्वपूर्ण विटामिन है क्योंकि यह गर्भ में पल रहे भ्रूण में न्यूरल ट्यूब दोष को रोकने में मदद करता है। फॉलिक एसिड के अलावा आयरन सप्लीमेंट और आयरन युक्त खाद्य पदार्थों जैसे अनार, काला चना आदि का सेवन भी पर्याप्त मात्रा में करें। हीमोग्लोबिन के उत्पादन के लिए आयरन आवश्यक है, जो शरीर की कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाता है। गर्भावस्था के दौरान, एक महिला के रक्त की मात्रा काफी बढ़ जाती है, जिससे उसे और बच्चे दोनों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक आयरन की आवश्यकता होती है। वहीं, विटामिन-डी शरीर को कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है और हड्डियों के विकास को बढ़ावा देता है। यह बच्चे की हड्डियों के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। विटामिन-डी के स्रोतों में सूरज की रोशनी, फोर्टिफाइड डेयरी उत्पाद और विटामिन-डी सप्लीमेंट शामिल हैं। इनके अलावा विटामिन-सी, विटामिन-बी6, आयोडीन और ओमेगा-थ्री फैटी एसिड्स जैसे पोषक तत्व भी गर्भधारण में मददगार होते हैं।
सही समय पर पहचान
मां बनना कुछ लोगों का सपना होता है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनकी ऐसी कोई योजना नहीं होती और बावजूद इसके वे गर्भधारण कर लेते हैं। चूंकि ये प्रेग्नेंसी नियोजित नहीं होती, इसलिए अधिकांश मामलों में शुरुआत के कुछ माह तक प्रेग्नेंसी के बारे में पता ही नहीं चलता। प्रेग्नेंसी की पहचान में देरी का नकारात्मक असर गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे भ्रूण पर पड़ता है। ऐसे में अगर आपको खुद में प्रेग्नेंसी का कोई लक्षण दिखाई दे, तो आप घर बैठे ही होम प्रेग्नेंसी टेस्ट किट से अपनी प्रेग्नेंसी की जांच कर सकती हैं और सकारात्मक परिणाम आने पर डॉक्टरी परामर्श ले सकती हैं। इस टेस्ट को घर पर बेहद आसान तरीके से पेशाब की बूंदों के द्वारा किया जा सकता है, जिससे तुंरत पॉजिटिव या नेगेटिव रिजल्ट पता चल जाता है। अगर टेस्ट में कुछ स्पष्ट नहीं आ रहा है, तो थोड़ा रुककर दोबारा टेस्ट करें।
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